ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 11 नवंबर 2015

आशा


   यीव्स कोंगर 10 वर्ष का बालक था जब प्रथम विश्वयुद्ध आरंभ हुआ और फ्रांस के जिस कसबे में वह रहता था उसपर जर्मन सेना का हमाला हुआ। यीव्स की माँ ने उसे प्रोत्साहित किया कि वह अपने अनुभवों को एक डायरी में लिखे, जिसका परिणाम था उस सैन्य कबज़े का एक स्पष्ट और विस्तृत विवरण जिसमें रंगीन रेखा-चित्र भी सम्मिलित थे। यीव्स की डायरी में एक बच्चे के नज़रिये से उस आपदा का चित्रण किया गया; जो कुछ उसने देखा और अनुभव किया उसका इतना गहरा प्रभाव उसके जीवन पर पड़ा कि उसने अपने आप को विवश महसूस किया कि वो मसीह यीशु में उपलब्ध आश्गा को अन्य लोगों तक पहुँचाने में प्रयासरत रहे।

   सदियों पहले यिर्मयाह नबी भी एक आपदा का गवाह रहा था, यरुशालेम पर राजा नबूक्दनेस्सर की चढ़ाई और विनाश का। यिर्मयाह ने भी अपने अनुभव और जो कुछ उसने देखा एक पुस्तिका में लिखा जो आज ’विलापगीत’ के नाम से परमेश्वर के वचन बाइबल का एक भाग है। उन दिनों के कष्टप्रद अनुभवों और बातों के बावजूद यिर्मयाह ने परमेश्वर में आशा और शान्ति पाई; उसने लिखा, "हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है। प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान है" (विलापगीत 3:22-23)।

   जीवन के भिन्न समयों में हम कटु अनुभवों, त्रास्दियों और आपदाओं से होकर निकल सकते हैं, लेकिन ये कष्ट और परेशानी के समय सदा बने नहीं रहते। यिर्मयाह के समान ही हमारी सबसे भरोसेमन्द आशा है अपने स्वर्गीय परमेश्वर पिता की विश्वासयोग्यता और प्रावधानों पर विचार करना और उसपर अपने विश्वास को बनाए रखना। जब हम ऐसा करना आरंभ करेंगे तो जैसा यिर्मयाह का अनुभव था, हम भी पाएंगे कि परमेश्वर की करुणा हमारे लिए प्रतिदिन नई रहती है, हर परिस्थिति में हमारे प्रति उसकी विश्वासयोग्यता अति महान बनी रहती है। - डेनिस फिशर


परमेश्वर की विश्वासयोग्यता ही हमारी आशा का सर्वोत्तम आधार है।

क्योंकि चाहे अंजीर के वृक्षों में फूल न लगें, और न दाखलताओं में फल लगें, जलपाई  के वृक्ष से केवल धोखा पाया जाए और खेतों में अन्न न उपजे, भेड़शालाओं में भेड़-बकरियां न रहें, और न थानों में गाय बैल हों, तौभी मैं यहोवा के कारण आनन्दित और मगन रहूंगा, और अपने उद्धारकर्त्ता परमेश्वर के द्वारा अति प्रसन्न रहूंगा। यहोवा परमेश्वर मेरा बलमूल है, वह मेरे पांव हरिणों के समान बना देता है, वह मुझ को मेरे ऊंचे स्थानों पर चलाता है। हबकुक 3:17-19

बाइबल पाठ: विलापगीत 3:19-33
Lamentations 3:19 मेरा दु:ख और मारा मारा फिरना, मेरा नागदौने और-और विष का पीना स्मरण कर! 
Lamentations 3:20 मैं उन्हीं पर सोचता रहता हूँ, इस से मेरा प्राण ढला जाता है। 
Lamentations 3:21 परन्तु मैं यह स्मरण करता हूँ, इसीलिये मुझे आाशा है: 
Lamentations 3:22 हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है। 
Lamentations 3:23 प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान है। 
Lamentations 3:24 मेरे मन ने कहा, यहोवा मेरा भाग है, इस कारण मैं उस में आशा रखूंगा। 
Lamentations 3:25 जो यहोवा की बाट जोहते और उसके पास जाते हैं, उनके लिये यहोवा भला है। 
Lamentations 3:26 यहोवा से उद्धार पाने की आशा रख कर चुपचाप रहना भला है। 
Lamentations 3:27 पुरुष के लिये जवानी में जूआ उठाना भला है। 
Lamentations 3:28 वह यह जान कर अकेला चुपचाप रहे, कि परमेश्वर ही ने उस पर यह बोझ डाला है; 
Lamentations 3:29 वह अपना मुंह धूल में रखे, क्या जाने इस में कुछ आशा हो; 
Lamentations 3:30 वह अपना गाल अपने मारने वाले की ओर फेरे, और नामधराई सहता रहे। 
Lamentations 3:31 क्योंकि प्रभु मन से सर्वदा उतारे नहीं रहता, 
Lamentations 3:32 चाहे वह दु:ख भी दे, तौभी अपनी करुणा की बहुतायत के कारण वह दया भी करता है; 
Lamentations 3:33 क्योंकि वह मनुष्यों को अपने मन से न तो दबाता है और न दु:ख देता है।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 50
  • इब्रानियों 8