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रविवार, 29 नवंबर 2015

धारणा


   एक दिन जब मैं किराने की दुकान से सामान खरीदने गया तो एक व्यक्ति ने मुझे चोर तो एक अन्य ने मुझे नायक समझ लिया। अपनी खरीद्दारी कर के जब मैं दुकान से बाहर निकलने को था तो दुकान के एक कर्मचारी ने मुझ से कहा, "श्रीमन, क्षमा कीजिए किंतु आपकी रेढ़ी में बहुत सी वस्तुएं ऐसी हैं जो थैलों में नहीं रखी गई हैं", और मेरी जाँच करने लगा। क्योंकि दुकानों से सामान चोरी करने वाले अकसर सामान को बिना थैलों में बाँधे बाहर ले जाते हैं, इसीलिए उस कर्मचारी ने मुझे रोका और जाँचा। जब उसने मेरे सामान का नीरिक्षण करने पर देखा कि मेरी खरीदी हुई वस्तुओं में से कई इतनी बड़ी थीं कि वे थैलों में नहीं रखी जा सकती थीं तो उसने मुझ से क्षमा मांगी और बाहर जाने की अनुमति दे दी।

   बाहर निकलकर जब मैं गाड़ी खड़ी करने के स्थान पर अपनी गाड़ी के निकट सामान लेकर पहुँचा तो पास से निकलती एक महिला ने मुझे देखा और बोली, "देश की रक्षा में योगदान करने के लिए धन्यवाद" और  आगे बढ़ गई। उस महिला को संभवतः मेरी टोपी देखकर यह गलतफहमी हुई कि मैं फौजी हूँ और उसने मुझे धन्यवाद बोला। उस दुकान के कर्मचारी और बाहर मिली उस महिला, दोनों ने मेरे बारे में जल्दबाज़ी में अपनी धारणा बना ली थी, और दोनों ही अपनी धारणा में गलत थे। प्रथमदृष्टया किसी के बारे में धारणा बना लेना बहुत सामान्य और सरल है, और हम प्रतिदिन के जीवन में ऐसा जाने-अनजाने अनेक बार करते रहते हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में एक घटना लिखी है, जब परमेश्वर ने अपने नबी शमूएल को यिशै के घर भेजा कि उसके पुत्रों में से एक को भविष्य में इस्त्राएल का राजा होने के लिए अभिषिक्त करे, तो उसने भी यही गलती करी, प्रथमदृष्टया ही अपनी धारणा बना ली कि किसे अभिषेक करना है। लेकिन परमेश्वर ने उससे कहा, "...न तो उसके रूप पर दृष्टि कर, और न उसके डील की ऊंचाई पर, क्योंकि मैं ने उसे अयोग्य जाना है;..." (1 शमूएल 16:7)।

   परमेश्वर की सहायता लें कि वह आपको उसकी नज़रों से, उसके दृष्टिकोण के समान लोगों और संसार को देखना सिखाए, "...क्योंकि यहोवा का देखना मनुष्य का सा नहीं है; मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु यहोवा की दृष्टि मन पर रहती है" (1 शमूएल 16:7) और तब आप गलत धारणा बनाने से बचे रहेंगे। - डेनिस फिशर


प्रथमदृष्टया धारणाएं अकसर गलत निर्णय करवाती हैं।

और हे मेरे पुत्र सुलैमान! तू अपने पिता के परमेश्वर का ज्ञान रख, और खरे मन और प्रसन्न जीव से उसकी सेवा करता रह; क्योंकि यहोवा मन को जांचता और विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है उसे समझता है। यदि तू उसकी खोज में रहे, तो वह तुझ को मिलेगा; परन्तु यदि तू उसको त्याग दे तो वह सदा के लिये तुझ को छोड़ देगा। - 1 इतिहास 28:9

बाइबल पाठ: 1 शमूएल 16:1-7
1 Samuel 16:1 और यहोवा ने शमूएल से कहा, मैं ने शाऊल को इस्राएल पर राज्य करने के लिये तुच्छ जाना है, तू कब तक उसके विषय विलाप करता रहेगा? अपने सींग में तेल भर के चल; मैं तुझ को बेतलेहेमी यिशै के पास भेजता हूं, क्योंकि मैं ने उसके पुत्रों में से एक को राजा होने के लिये चुना है। 
1 Samuel 16:2 शमूएल बोला, मैं क्योंकर जा सकता हूं? यदि शाऊल सुन लेगा, तो मुझे घात करेगा। यहोवा ने कहा, एक बछिया साथ ले जा कर कहना, कि मैं यहोवा के लिये यज्ञ करने को आया हूं। 
1 Samuel 16:3 और यज्ञ पर यिशै को न्योता देना, तब मैं तुझे जता दूंगा कि तुझ को क्या करना है; और जिस को मैं तुझे बताऊं उसी को मेरी ओर से अभिषेक करना। 
1 Samuel 16:4 तब शमूएल ने यहोवा के कहने के अनुसार किया, और बेतलहेम को गया। उस नगर के पुरनिये थरथराते हुए उस से मिलने को गए, और कहने लगे, क्या तू मित्रभाव से आया है कि नहीं? 
1 Samuel 16:5 उसने कहा, हां, मित्रभाव से आया हूं; मैं यहोवा के लिये यज्ञ करने को आया हूं; तुम अपने अपने को पवित्र कर के मेरे साथ यज्ञ में आओ। तब उसने यिशै और उसके पुत्रों को पवित्र कर के यज्ञ में आने का न्योता दिया। 
1 Samuel 16:6 जब वे आए, तब उसने एलीआब पर दृष्टि कर के सोचा, कि निश्चय जो यहोवा के साम्हने है वही उसका अभिषिक्त होगा। 
1 Samuel 16:7 परन्तु यहोवा ने शमूएल से कहा, न तो उसके रूप पर दृष्टि कर, और न उसके डील की ऊंचाई पर, क्योंकि मैं ने उसे अयोग्य जाना है; क्योंकि यहोवा का देखना मनुष्य का सा नहीं है; मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु यहोवा की दृष्टि मन पर रहती है।

एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल 35-36
  • 2पतरस 1