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सोमवार, 18 जनवरी 2016

महान


   कुछ लोग अपने आप को एक विशाल खाई में कहीं खोए हुए एक छोटे से कंकड़ के समान देखते हैं; परन्तु हम अपने आप को चाहे जितना भी नगण्य समझें, हम सभी परमेश्वर द्वारा बहुतायत से प्रयोग किए जाने की क्षमता रखते हैं। सुप्रसिद्ध मसीही प्रचार्क मार्टिन लूथर किंग ने 1968 के आरंभ में, परमेश्वर के वचन बाइबल में मरकुस 10 में प्रभु यीशु द्वारा कही गई बातों पर आधारित एक सन्देश में कहा था, "प्रत्येक जन महान हो सकता है, क्योंकि प्रत्येक जन मसीही सेवकाई कर सकता है। मसीही सेवकाई के लिए आपके पास किसी कॉलेज की कोई डिग्री होने की आवश्यकता नहीं है; आपको अपनी भाषा के व्याकरण में अच्छा होने की आवश्यकता नहीं है; आपको प्रसिद्ध दार्शनिकों प्लेटो और सुकरात के बारे में जानने की आवश्यकता नहीं है...आपके पास केवल अनुग्रह से भरा हृदय और प्रेम से जन्मी आत्मा होनी चाहिए।"

   जब प्रभु यीशु के शिष्य आपस में विवाद कर रहे थे कि स्वर्ग में अधिक आदर के स्थान किसे मिलेंगे, तो प्रभु ने उन से कहा, "...जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा सेवक बने। और जो कोई तुम में प्रधान होना चाहे, वह सब का दास बने। क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिये नहीं आया, कि उस की सेवा टहल की जाए, पर इसलिये आया, कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के लिये अपना प्राण दे" (मरकुस 10:43-45)।

   मैं अपने और हम सब के बारे में सोचता हूँ; क्या महानता के विषय में हमारी समझ प्रभु की समझ के अनुरूप है? क्या हम खुशी से सेवा करने और ऐसे कार्य करने को तैयार रहते हैं जहाँ हमें कोई नहीं देखता, जिसके बारे में कोई नहीं जानता? हमारी सेवा का उद्देश्य क्या है - प्रभु को प्रसन्न करना या लोगों से प्रशंसा प्राप्त करना? प्रभु हमारे हर छोटे से छोटे कार्य की भी जानकारी रखता है और उसके लिए किया गया कोई कार्य बिना प्रतिफल नहीं जाएगा: "जो कोई एक कटोरा पानी तुम्हें इसलिये पिलाए कि तुम मसीह के हो तो मैं तुम से सच कहता हूं कि वह अपना प्रतिफल किसी रीति से न खोएगा" (मरकुस 9:41)।

   यदि हम समर्पित सेवक बनकर अपने स्वामी की सच्ची सेवा करेंगे, तो हमारे जीवन प्रभु यीशु की ओर संकेत करेंगे जो वास्तव में महान है, और अपने समय तथा तरीके से वह अपने सेवकों को भी महान करता है। - वैर्नन ग्राउंड्स


मसीह यीशु के नाम में किए गए छोटे छोटे कार्य भी प्रभु की दृष्टि में महान होते हैं।

इसलिये परमेश्वर के बलवन्‍त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए। - 1 पतरस 5:6 

बाइबल पाठ: मरकुस 10:35-45
Mark 10:35 तब जब्‍दी के पुत्र याकूब और यूहन्ना ने उसके पास आकर कहा, हे गुरू, हम चाहते हैं, कि जो कुछ हम तुझ से मांगे, वही तू हमारे लिये करे। 
Mark 10:36 उसने उन से कहा, तुम क्या चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये करूं? 
Mark 10:37 उन्होंने उस से कहा, कि हमें यह दे, कि तेरी महिमा में हम में से एक तेरे दाहिने और दूसरा तेरे बांए बैठे। 
Mark 10:38 यीशु ने उन से कहा, तुम नहीं जानते, कि क्या मांगते हो? जो कटोरा मैं पीने पर हूं, क्या पी सकते हो? और जो बपतिस्मा मैं लेने पर हूं, क्या ले सकते हो? 
Mark 10:39 उन्होंने उस से कहा, हम से हो सकता है: यीशु ने उन से कहा: जो कटोरा मैं पीने पर हूं, तुम पीओगे; और जो बपतिस्मा मैं लेने पर हूं, उसे लोगे। 
Mark 10:40 पर जिन के लिये तैयार किया गया है, उन्हें छोड़ और किसी को अपने दाहिने और अपने बाएं बिठाना मेरा काम नहीं। 
Mark 10:41 यह सुन कर दसों याकूब और यूहन्ना पर रिसयाने लगे। 
Mark 10:42 और यीशु ने उन को पास बुला कर उन से कहा, तुम जानते हो, कि जो अन्यजातियों के हाकिम समझे जाते हैं, वे उन पर प्रभुता करते हैं; और उन में जो बड़ें हैं, उन पर अधिकार जताते हैं। 
Mark 10:43 पर तुम में ऐसा नहीं है, वरन जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा सेवक बने। 
Mark 10:44 और जो कोई तुम में प्रधान होना चाहे, वह सब का दास बने। 
Mark 10:45 क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिये नहीं आया, कि उस की सेवा टहल की जाए, पर इसलिये आया, कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के लिये अपना प्राण दे।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 43-45
  • मत्ती 12:24-50


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