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गुरुवार, 1 सितंबर 2016

समाधान


   प्रतीक्षा करना सदा कठिन होता है; जब दिन, सप्ताह, महीने बीतते चले जाते हैं और हमारी प्रार्थनाओं का कोई उत्तर नहीं आता, तो यह मान लेना कि परमेश्वर ने हमें भुला दिया है सहज होता है। ऐसे में दिन तो इधर-उधर ध्यान लगाकर निकल जाता है लेकिन रात निकालना दूभर हो जाता है। चिंताएं और परेशानियों की संभावनाओं के विचार रात के पलों को और लंबा बना देते हैं; फिर थकान के कारण नए दिन का सामना करना और असंभव सा लगता है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार का भी यही हाल था, वह अपनी प्रतीक्षा से थक चला था (भजन 13:1)। उसे लगा जैसे वह त्याग दिया गया है और उसके शत्रु उसपर प्रबल होते जा रहे हैं (पद 2)। परमेश्वर से जब अनेकों बार करी गई प्रार्थनाओं के उत्तर पाने या किसी कठिन परिस्थिति के समाधान के लिए हम प्रतीक्षा कर रहे होते हैं, तो निराश हो जाना आसान होता है।

   शैतान कान में फुसफुसाता है कि परमेश्वर हमें भूल गया है, और हालात कभी बदलने वाले नहीं हैं; हम निराशा के सामने घुटने टेकने के लिए बाध्य से होने लगते हैं। मन में प्रश्न उठते हैं कि बाइबल पढ़ने या प्रार्थना करने से क्या लाभ? अन्य मसीही विश्वासियों के साथ मिलकर उपासना और आराधना में क्यों जाएं? लेकिन इन अत्मिक जीवन-सुरक्षा सहायकों की हमें सबसे अधिक आवश्यकता ऐसे प्रतीक्षा के समयों में ही होती है। इन ही के सहारे हम परमेश्वर के प्रेम में अपने विश्वास को बनाए रख सकते हैं और उसके आत्मा की आवाज़ के प्रति संवेदनशील रह सकते हैं।

   भजनकार के पास समाधान भी था। उसने अपना ध्यान परमेश्वर के प्रेम पर लगाया - जितना भी वह उस प्रेम के बारे में जानता था, जैसा उसने अनुभव किया था। वह पिछले दिनों की आशीषों को याद करने लगा और अन्य सब बातों से ध्यान हटाकर परमेश्वर की आराधना करने लगा, उस परमेश्वर की जो कभी अपने बच्चों को भूल नहीं सकता।

   जो समाधान भजनकार के लिए कार्यकारी हुआ, वही हमारे लिए भी कार्यकारी होगा - आज़मा कर देख लें। - मेरियन स्ट्राउड


परमेश्वर का समय सबसे सही समय होता है; उसकी प्रतीक्षा करना उचित होता है।

परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाईं उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे। - यशायाह 40:31

बाइबल पाठ: भजन 13
Psalms 13:1 हे परमेश्वर तू कब तक? क्या सदैव मुझे भूला रहेगा? तू कब तक अपना मुखड़ा मुझ से छिपाए रहेगा? 
Psalms 13:2 मैं कब तक अपने मन ही मन में युक्तियां करता रहूं, और दिन भर अपने हृदय में दुखित रहा करूं, कब तक मेरा शत्रु मुझ पर प्रबल रहेगा? 
Psalms 13:3 हे मेरे परमेश्वर यहोवा मेरी ओर ध्यान दे और मुझे उत्तर दे, मेरी आंखों में ज्योति आने दे, नहीं तो मुझे मृत्यु की नींद आ जाएगी; 
Psalms 13:4 ऐसा न हो कि मेरा शत्रु कहे, कि मैं उस पर प्रबल हो गया; और ऐसा न हो कि जब मैं डगमगाने लगूं तो मेरे शत्रु मगन हों।
Psalms 13:5 परन्तु मैं ने तो तेरी करूणा पर भरोसा रखा है; मेरा हृदय तेरे उद्धार से मगन होगा। 
Psalms 13:6 मैं परमेश्वर के नाम का भजन गाऊंगा, क्योंकि उसने मेरी भलाई की है।

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 135-136
  • 1 कुरिन्थियों 12

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