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बुधवार, 28 सितंबर 2016

अवसर


   अनेकों अन्य शहरों के समान, अमेरिका के अलाबामा प्रांत में स्थित शहर एंटरप्राइज़ में भी वहाँ की विशिष्ट बात के लिए एक प्रतिष्ठित स्मारक बनाया गया है। लेकिन यह स्मारक अन्य किसी भी स्मारक से बहुत भिन्न है क्योंकि यह ना तो वहाँ के किसी प्रतिष्ठित नागरिक के सम्मान में है, और ना ही वहाँ की किसी विशेष वस्तु अथवा उपलब्धि के लिए है। वह स्मारक रूई की खेती को बरबाद करने वाले एक छोटे से कीड़े बॉल वीविल के सम्मान में है।

   सन 1900 के आरंभिक वर्षों में बॉल वीविल मेक्सिको से दक्षिणी अमेरिका में आया और कुछ ही समय में उस कीड़े ने उस इलाके की आय के प्रमुख स्त्रोत, कपास के खेतों को बरबाद कर दिया। उस कीड़े के कारण आई निराशा और मजबूरी में पड़े किसान कपास छोड़कर एक अन्य फसल - मूँगफली उगाने लगे, जिसपर बॉल वीविल का ज़ोर नहीं चलता था। साथ ही उन्होंने इस बात को भी पहचाना कि वे एक ही प्रकार की फसल पर आवश्यकता से अधिक निर्भर हो गए थे, और बॉल वीविल ने उन्हें फसलों में विविधता लाने पर मजबूर किया, जो उनके लिए और भी अधिक समृद्ध होने का कारण हो गया। इसी बात का श्रेय उस कीड़े को देते हुए उसका वह स्मारक एंटरप्राइज़ शहर में बनाया गया।

   यह घटना और बॉल वीविल से मिली यह शिक्षा हमारे जीवनों में कभी-कभी आने वाली उन परिस्थितियों के समान है जो वह सब कुछ बरबाद कर देती हैं जिसे हमने वर्षों की मेहनत और लगन से बनाकर खड़ा किया है। यह बरबादी आर्थिक, या शारीरिक एवं सेहत संबंधी, या हमारी भावनाओं से संबंधित या अन्य किसी प्रकार की हो सकती है, और उस समय बहुत भयावह होती है; हमें लगता है कि अब कुछ नहीं हो सकता, बस यही अन्त है। लेकिन जैसे एंटरप्राइज़ शहर के लोगों ने सीखा, किसी पुराने की हानि उठाना एक नई आशीष को सीखने का अवसर बन सकता है। परमेश्वर भी हमारे जीवनों में कठिन परिस्थितियों को हमारी किसी पुरानी बुरी आदत को छुड़ाने या फिर हमें कोई नया सदगुण सिखाने के लिए कर सकता है। परमेश्वर ने ऐसा ही पौलुस के साथ किया, जब उसे अनुग्रह के और गहरे अर्थ को समझाने-सिखाने के लिए उसके शरीर में एक कष्ट को आने दिया (2 कुरिन्थियों 12:7-9)।

   बजाए इसके कि हम उन पुरानी बातों या आदतों में बने रहें जो अब प्रभावी और उपयोगी नहीं रही हैं, और उनके जाने से शोकित हों, निराशा में पड़ें; उन परिस्थितियों को जो उन पुरानी बातों को हमारे जीवनों से निकालने में सहायक होती हैं, परमेश्वर की ओर से दिए गए नई आशीषों को पाने के अवसर के रूप में स्वीकार करना चाहिए और उन से शिक्षा लेकर आगे बढ़ना चाहिए। - जूली ऐकैरमैन लिंक


परमेश्वर अकसर कठिन अनुभवों के द्वारा हमारे जीवनों को बेहतर बनाता है।

मुझे जो दु:ख हुआ वह मेरे लिये भला ही हुआ है, जिस से मैं तेरी विधियों को सीख सकूं। - भजन 119:71

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 12:7-10
2 Corinthians 12:7 और इसलिये कि मैं प्रकाशों की बहुतायत से फूल न जाऊं, मेरे शरीर में एक कांटा चुभाया गया अर्थात शैतान का एक दूत कि मुझे घूँसे मारे ताकि मैं फूल न जाऊं। 
2 Corinthians 12:8 इस के विषय में मैं ने प्रभु से तीन बार बिनती की, कि मुझ से यह दूर हो जाए। 
2 Corinthians 12:9 और उसने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्‍ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ मुझ पर छाया करती रहे। 
2 Corinthians 12:10 इस कारण मैं मसीह के लिये निर्बलताओं, और निन्‍दाओं में, और दरिद्रता में, और उपद्रवों में, और संकटों में, प्रसन्न हूं; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्‍त होता हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 5-6
  • इफिसियों 1


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