ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

रविवार, 12 मार्च 2017

आकाशमण्डल


   अपने प्राथमिक विद्यालय के छात्र होने के दिनों में, मैं और मेरा मित्र केन्ट अकसर रात्रि के आकाशमण्डल को दूरबीन द्वारा देखने में बिताते थे। हम सितारों को, चन्द्रमा के पहाड़ों को, देखकर चकित होते। सारी शाम हम बारी बारी आकाशमण्डल को निहारने के लिए एक दुसरे से कहते रहते थे, "ज़रा दूरबीन मुझे देना!"

   हम से कई सदियाँ पहले एक अन्य यहूदी चरवाहा युवक भी रात्रि के आकाशमण्डल को देख कर विस्मित होता था। उसके पास आकाशमण्डल की भव्यता को देखने और निहारने के लिए दूरबीन नहीं थी। परन्तु उसके पास कुछ और था, जो दूरबीन से भी अधिक महत्वपूर्ण था - जीवते परमेश्वर के साथ व्यक्तिगत संबंध। मैं कल्पना कर सकता हूँ कि दाऊद मैदान में बैठा आकाशमण्डल को निहार रहा है, परमेश्वर के बारे में मनन कर रहा है, और उसकी भेड़ें आस-पास हैं, मिमिया रही हैं। बाद में दाऊद ने परमेश्वर की प्रेरणा द्वारा अपने एक भजन में लिखा, "आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है" (भजन 19:1-2)।

   अपनी व्यस्त दिनचर्या में हमारे आनन्द तथा उसकी सामर्थ एवं महिमा प्रकट करने के लिए हमारे परमेश्वर पिता द्वारा आकाशमण्डल में रचि गई आश्चर्यचकित कर देने वाली उसकी अद्भुत कारीगरी एवं सुन्दरता को हम निहारना भूल जाते हैं। जब भी हम समय निकाल कर रात्रि के आकाशमण्डल को देखते हैं, परमेश्वर की सृष्टि पर मनन करते हैं तो अपने स्वर्गीय प्रेमी पिता की हस्ती, असीम सामर्थ एवं महिमा की गहरी समझ प्राप्त करते हैं, उसकी निकटता में बढ़ते हैं। - डेनिस फिशर


परमेश्वर की सृष्टि के अजूबों से हम उसकी महिमा, गौरव और चरित्र का दर्शन पाते हैं।

इसलिये कि परमेश्वर के विषय का ज्ञान उन के मनों में प्रगट है, क्योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है। क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं। - रोमियों 1:19-20

बाइबल पाठ: भजन 19
Psalms 19:1 आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। 
Psalms 19:2 दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है। 
Psalms 19:3 न तो कोई बोली है और न कोई भाषा जहां उनका शब्द सुनाई नहीं देता है। 
Psalms 19:4 उनका स्वर सारी पृथ्वी पर गूंज गया है, और उनके वचन जगत की छोर तक पहुंच गए हैं। उन में उसने सूर्य के लिये एक मण्डप खड़ा किया है, 
Psalms 19:5 जो दुल्हे के समान अपने महल से निकलता है। वह शूरवीर की नाईं अपनी दौड़ दौड़ने को हर्षित होता है। 
Psalms 19:6 वह आकाश की एक छोर से निकलता है, और वह उसकी दूसरी छोर तक चक्कर मारता है; और उसकी गर्मी सब को पहुंचती है।
Psalms 19:7 यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है; यहोवा के नियम विश्वासयोग्य हैं, साधारण लोगों को बुद्धिमान बना देते हैं; 
Psalms 19:8 यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं; यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आंखों में ज्योति ले आती है; 
Psalms 19:9 यहोवा का भय पवित्र है, वह अनन्तकाल तक स्थिर रहता है; यहोवा के नियम सत्य और पूरी रीति से धर्ममय हैं। 
Psalms 19:10 वे तो सोने से और बहुत कुन्दन से भी बढ़कर मनोहर हैं; वे मधु से और टपकने वाले छत्ते से भी बढ़कर मधुर हैं। 
Psalms 19:11 और उन्हीं से तेरा दास चिताया जाता है; उनके पालन करने से बड़ा ही प्रतिफल मिलता है। 
Psalms 19:12 अपनी भूलचूक को कौन समझ सकता है? मेरे गुप्त पापों से तू मुझे पवित्र कर। 
Psalms 19:13 तू अपने दास को ढिठाई के पापों से भी बचाए रख; वह मुझ पर प्रभुता करने न पाएं! तब मैं सिद्ध हो जाऊंगा, और बड़े अपराधों से बचा रहूंगा।
Psalms 19:14 मेरे मुंह के वचन और मेरे हृदय का ध्यान तेरे सम्मुख ग्रहण योग्य हों, हे यहोवा परमेश्वर, मेरी चट्टान और मेरे उद्धार करने वाले!

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 17-19
  • मरकुस 13:1-20