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गुरुवार, 13 जुलाई 2017

कोई भय नहीं


   मुझे प्रभु यीशु के संपर्क में लाने वाले व्यक्ति फ्रांसिस एलेन थे, और अब वह समय निकट था जब फ्रांसिस को प्रभु यीशु से साक्षात मिलना था। उनके अन्त समय पर मैं उनके घर में ही था, और अलविदा के साथ ही मैं उन से कुछ ऐसा भी कहना चाहता था जो यादगार और सार्थक हो। लगभग एक घंटे तक मैं उनके बिस्तर के किनारे खड़ा रहा। मेरे द्वारा अपने विषय में सुनाई जाने वाली कहानियों को सुनकर वे ज़ोर से हंसते रहे। फिर वे थक गए, और हम गंभीर हो गए, और उन्होंने अपनी शेष शक्ति मेरे जीवन में उन्हें अभी भी दिखने वाले खुरदरे किनारों को संवारने में लगाई। मैं सुनता रहा और उनसे अलविदा के लिए कुछ कहने का प्रयास करता रहा।

   मुझे कुछ कह पाने का अवसर मिलने से पहले ही उन्होंने मुझे रोक दिया, और बोले, "रैंडी, जो मैंने तुम्हें सिखाया है उसे सदा स्मरण रखना। हमें जीवन की कहानी से कोई भय नहीं है क्योंकि हम जानते हैं कि उसका अन्त कैसे होगा। मुझे किसी बात का कोई भय नहीं है; तुम बस जाकर वह करो जो मैंने तुम्हें सिखाया है।" उनके ये चुनौती भरे शब्द मुझे प्रेरित पौलुस द्वारा परमेश्वर के वचन बाइबल में फिलिप्पी के विश्वासियों को कहे गए शब्दों की याद दिलाते हैं। पौलुस ने फिलिप्पी के मसीही विश्वासियों से कहा: "जो बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहण की, और सुनी, और मुझ में देखीं, उन्‍हीं का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्‍ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा" (फिलिप्पियों 4:9)।

   अपने जीवन के अन्तिम दिन में भी फ्रांसिस की आँखों में वही चमक थी जो तब थी जब मैं पहली बार उनसे मिला था। उनके मन में कोई भय नहीं था। मैं जो लिखता हूँ, जो कहानियाँ बताता हूँ और लोगों के मध्य जो सेवकाई करता हूँ, उन सब में फ्रांसिस का स्पर्श होता है।

   अपनी जीवन यात्रा में हम उन्हें कभी न भूलें जिन्होंने हमें आत्मिक जीवन में प्रोत्साहित किया है; हमारे जीवनों में जिनके परिश्रम के कारण आज अपने भविष्य को लेकर हमारे जीवनों में भी कोई भय नहीं है। - रैंडी किलगोर


ऐसे जीओ कि जब लोग आपको जानें तो वे मसीह यीशु को भी जानना चाहें।

मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूं, इधर उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूं; मैं तुझे दृढ़ करूंगा और तेरी सहायता करूंगा, अपने धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुझे सम्हाले रहूंगा। - यशायाह 41:10

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 4:1-9
Philippians 4:1 इसलिये हे मेरे प्रिय भाइयों, जिन में मेरा जी लगा रहता है जो मेरे आनन्द और मुकुट हो, हे प्रिय भाइयो, प्रभु में इसी प्रकार स्थिर रहो।
Philippians 4:2 मैं यूओदिया को भी समझाता हूं, और सुन्‍तुखे को भी, कि वे प्रभु में एक मन रहें। 
Philippians 4:3 और हे सच्चे सहकर्मी मैं तुझ से भी बिनती करता हूं, कि तू उन स्‍त्रियों की सहयता कर, क्योंकि उन्होंने मेरे साथ सुसमाचार फैलाने में, क्‍लेमेंस और मेरे उन और सहकिर्मयों समेत परिश्रम किया, जिन के नाम जीवन की पुस्‍तक में लिखे हुए हैं। 
Philippians 4:4 प्रभु में सदा आनन्‍दित रहो; मैं फिर कहता हूं, आनन्‍दित रहो। 
Philippians 4:5 तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों पर प्रगट हो: प्रभु निकट है। 
Philippians 4:6 किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। 
Philippians 4:7 तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी।
Philippians 4:8 निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्‍हीं पर ध्यान लगाया करो। 
Philippians 4:9 जो बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहण की, और सुनी, और मुझ में देखीं, उन्‍हीं का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्‍ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 7-9
  • प्रेरितों 18