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रविवार, 12 नवंबर 2017

कठिन लोग


   हम जब अपने वर्तमान घर में आए, तो मैं निकट ही स्थित हंसों और उनके घोंसलों की सुन्दरता को निहार्ता था। जिस प्रकार वे एक दुसरे का ध्यान रखते थे और पानी में एक सीधी पंक्ति में तैरते थे तथा हवा में V का आकार बनाकर उडते थे, मुझे वह सब देखना अच्छा लगता था। उन्हें अपने बच्चों की देखभाल करके बड़ा करते हुए देखना भी बहुत आनन्दायक था। फिर ग्रीष्म ऋतु आई, और मुझे उन हंसों के बारे में कुछ कम रुचिकर बातें पता लगीं। हंसों को घास खाना अच्छा लगता है, और ऐसा करने के लिए उन्हें कोई चिन्ता नहीं होती है कि वे किसी के परिश्रम से लगाए और बना कर रखे गए लॉन को खराब कर रहे हैं। इससे भी बुरी बात यह है कि जो गन्दगी वे अपने पीछे छोड़ जाते हैं उसके कारण लॉन पर टहलना एक अप्रिय अनुभव हो जाता है।

   जब भी मुझे कुछ कठिन लोगों के साथ व्यवहार करना होता है, मैं उन हंसों के बारे में सोचता हूँ। कभी-कभी मैं चाहता हूँ कि ऐसे लोगों को अपने जीवन से बाहर वैसे ही भगा दूँ, जैसे कि उन हंसों को अपने लॉन से भगाता हूँ। जब ऐसी भावना मेरे अन्दर उठती है तब परमेश्वर मुझे स्मरण दिलाता है कि कठिन व्यक्तियों में भी कुछ सुन्दरता अवश्य ही होती है, यदि हम उनके निकट आकर उसे देखने का प्रयास करें; यह भी संभव है कि जो पीड़ा वे दूसरों को दे रहे हैं वह उस पीड़ा का भाग है जिसे वे स्वयं अनुभव कर रहे हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने रोम के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में लिखा, "जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो" (रोमियों 12:18)। इसलिए मैं परमेश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि औरों के "कठिन" स्वभाव का सामना करते समय मुझे धीरजवन्त रखें। इससे सदा ही अच्छा परिणाम तो नहीं आता है, परन्तु उल्लेखनीय बात यह है कि इस धीरज एक कारण परमेश्वर ने कितने ही संबंधों को बचा कर रखा है।

   जब भी हमारा सामना कठिन लोगों से हो, तो परमेश्वर के अनुग्रह तथा दृष्टिकोण के द्वारा हम उनसे प्रेम कर सक्ते हैं, उनके साथ निभा सकते हैं। - रैंडी किलगोर


यदि हम नम्र उत्तर दें तो शांति स्थापित रह सकती है।

जो मनुष्य बुद्धि से चलता है वह विलम्ब से क्रोध करता है, और अपराध को भुलाना उसको सोहता है। - नीतिवचन 19:11

बाइबल पाठ: रोमियों 12:12-21
Romans 12:12 आशा मे आनन्दित रहो; क्लेश मे स्थिर रहो; प्रार्थना मे नित्य लगे रहो। 
Romans 12:13 पवित्र लोगों को जो कुछ अवश्य हो, उस में उन की सहायता करो; पहुनाई करने में लगे रहो। 
Romans 12:14 अपने सताने वालों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो। 
Romans 12:15 आनन्द करने वालों के साथ आनन्द करो; और रोने वालों के साथ रोओ। 
Romans 12:16 आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो; परन्तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न हो। 
Romans 12:17 बुराई के बदले किसी से बुराई न करो; जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उन की चिन्ता किया करो। 
Romans 12:18 जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो। 
Romans 12:19 हे प्रियो अपना पलटा न लेना; परन्तु क्रोध को अवसर दो, क्योंकि लिखा है, पलटा लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूंगा। 
Romans 12:20 परन्तु यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसे खाना खिला; यदि प्यासा हो, तो उसे पानी पिला; क्योंकि ऐसा करने से तू उसके सिर पर आग के अंगारों का ढेर लगाएगा। 
Romans 12:21 बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई का जीत लो।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 51-52
  • इब्रानियों 9