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गुरुवार, 25 जनवरी 2018

शब्द


   मेरी बेटी हाल ही में काफी बीमार रही, और उसका पति उसकी बहुत देखभाल करता रहा, उसके साथ बहुत सहयोगी रहा। मैंने अपनी बेटी से कहा, “तुम्हारे पास वास्तव में बहुत बड़ा खज़ाना है।” मेरी बेटी ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, “आप ऐसा तब तो नहीं सोचते थे जब मैं ने पहले-पहल उनसे मिलना आरंभ किया था।”

   उसका कहना ठीक था। जब उन दोनों की सगाई हुई थी तब मैं उनके भविष्य के बारे में बहुत चिन्तित था, क्योंकि उन दोनों के व्यक्तित्व इतने भिन्न थे। हमारा परिवार बड़ा है और बहुत बातूनी भी, और मेरी बेटी का मंगेतर स्वभाव से गंभीर और शान्त रहने वाला है। इसलिए इस विषय को लेकर उनके संबंधों के बारे में अपनी मेरी शंकाएं मैंने अपने बेटी के साथ खुलकर व्यक्त की थीं।

   मुझे यह जानकार बहुत ग्लानि हुई कि 15 वर्ष पहले जो मैंने अपनी बेटी से कहा था, वह आज भी उसे स्मरण रखे हुए थी, और मेरे वे शब्द एक अच्छे और आनंदमय संबंध का अन्त कर सकते थे। इस घटना से मुझे सबक मिला कि मुझे अपने शब्दों के बारे में बहुत संयम रखना चाहिए। हम में से कितने ऐसे हैं जो किसी परिवार जन, मित्र या सहकर्मी में दिखने वाली किसी कमी को बड़ी शीघ्रता से बोल देते है; या किसी को उसकी गलतियों को बताने में तो बहुत शीघ्रता दिखाते हैं परन्तु उनकी भलाईयों को व्यक्त करने के प्रति वैसी तत्परता नहीं दिखाते हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखा है, “वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है...” (याकूब  3:5), परन्तु इस छोटे से अंग से जो शब्द निकलते हैं उनके कारण किसी कार्यस्थल, परिवार, या चर्च में परस्पर संबंध टूट सकते हैं, संघर्ष आरंभ हो सकते हैं, या शान्ति और एकता आ सकती है। इसलिए हमें दाऊद की प्रार्थना: “हे यहोवा, मेरे मुख का पहरा बैठा, मेरे होठों के द्वार पर रखवाली कर!” (भजन 141:3) को अपनी प्रार्थना बना लेना चाहिए, और अपने शब्दों को बहुत सोच-विचार कर बोलना चाहिए। - मेरियन स्ट्राउड


जैसे चान्दी की टोकरियों में सोनहले सेब हों 
वैसे ही ठीक समय पर कहा हुआ वचन होता है। - नीतिवचन 25:11

और मैं तुम से कहता हूं, कि जो जो निकम्मी बातें मनुष्य कहेंगे, न्याय के दिन हर एक बात का लेखा देंगे। क्योंकि तू अपनी बातों के कारण निर्दोष और अपनी बातों ही के कारण दोषी ठहराया जाएगा। - मत्ती 12:36-37

बाइबल पाठ: याकूब  3:1-12
James 3:1 हे मेरे भाइयों, तुम में से बहुत उपदेशक न बनें, क्योंकि जानते हो, कि हम उपदेशक और भी दोषी ठहरेंगे।
James 3:2 इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है; और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है।
James 3:3 जब हम अपने वश में करने के लिये घोड़ों के मुंह में लगाम लगाते हैं, तो हम उन की सारी देह को भी फेर सकते हैं।
James 3:4 देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचण्‍ड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं।
James 3:5 वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है।
James 3:6 जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है।
James 3:7 क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्‍तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं।
James 3:8 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है।
James 3:9 इसी से हम प्रभु और पिता की स्‍तुति करते हैं; और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्‍वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं।
James 3:10 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं।
James 3:11 हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए।
James 3:12 क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलते हैं? हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता।


एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 12-13
  • मत्ती 16