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रविवार, 18 मार्च 2018

भाग निकलें



   जब मेरे पिता अपने बुढ़ापे में मसीह यीशु में विश्वास कर के मसीही बने, तो प्रलोभानों और परीक्षाओं पर जयवंत होने की अपनी योजना से उन्होंने मुझे मुग्ध कर दिया – वे प्रलोभन तथा परीक्षा वाली परिस्थिति से भाग निकलते थे! उदाहरण के लिए यदि किसी पड़ौसी के साथ उनकी कोई असहमति, विवाद में बदलने लगती थी, तो मेरे पिता कुछ समय के लिए वहाँ से चले जाते थे, उस असहमति को झगड़े में बिगड़ने नहीं देते थे। एक दिन वे अपने कुछ पुराने मित्रों के साथ बैठे हुए थे, और उनके मित्रों ने उनकी पसंदीदा स्थानीय मदिरा मँगवाई। अब मसीही विश्वास में आने के बाद क्योंकि पिताजी मदिरापान छोड़ चुके थे, इसलिए उस प्रलोभन के साथ बैठे रहने के स्थान पर, वे उठ कर खड़े हुए, मित्रों को विदा कहा और पुराने मित्रों से उस दिन के लिए अलग चले गए।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पढ़ते हैं कि कैसे जब पोतीपर की पत्नि ने यूसुफ पर, जो उसके घर में गुलाम था, डोरे-डालने के प्रयास किए, तो उसने तुरंत पहचाना कि ऐसा करना परमेश्वर के विरुद्ध पाप होगा, और वह वहाँ से भाग गया (उत्पत्ति 39:9-12)।

   प्रलोभन और परिक्षा बहुधा हमारे समक्ष आते हैं, कभी हमारी अपनी लालसाओं के कारण तो कभी परिस्थितियों या हमारे संपर्क में आने वाले लोगों के कारण। लेकिन परमेश्वर हमें आश्वस्त करता है कि , “तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है: और परमेश्वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको” (1 कुरिन्थियों 10:13)।

   यह ‘निकास’ उन प्रलोभन लाने वाली बातों को हटा लेने के द्वारा भी हो सकता है, या उन बातों से हमारे भाग निकलने के द्वारा भी। प्रलोभानों और परीक्षाओं में गिरने से बचने के लिए, हमारे लिए सर्वोत्तम मार्ग होता है उन बातों, लोगों और परिस्थितियों से भाग निकलना। - लॉरेंस दर्मानी


प्रत्येक प्रलोभन परमेश्वर की ओर भागने का अवसर होता है।

पर हे परमेश्वर के जन, तू इन बातों से भाग; और धर्म, भक्ति, विश्वास, प्रेम, धीरज, और नम्रता का पीछा कर। - 1 तिमुथियुस 6:11

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 39:1-12
Genesis 39:1 जब यूसुफ मिस्र में पहुंचाया गया, तब पोतीपर नाम एक मिस्री, जो फिरौन का हाकिम, और जल्लादों का प्रधान था, उसने उसको इश्माएलियों के हाथ, से जो उसे वहां ले गए थे, मोल लिया।
Genesis 39:2 और यूसुफ अपने मिस्री स्वामी के घर में रहता था, और यहोवा उसके संग था; सो वह भाग्यवान पुरूष हो गया।
Genesis 39:3 और यूसुफ के स्वामी ने देखा, कि यहोवा उसके संग रहता है, और जो काम वह करता है उसको यहोवा उसके हाथ से सफल कर देता है।
Genesis 39:4 तब उसकी अनुग्रह की दृष्टि उस पर हुई, और वह उसकी सेवा टहल करने के लिये नियुक्त किया गया: फिर उसने उसको अपने घर का अधिकारी बना के अपना सब कुछ उसके हाथ में सौप दिया।
Genesis 39:5 और जब से उसने उसको अपने घर का और अपनी सारी सम्पत्ति का अधिकारी बनाया, तब से यहोवा यूसुफ के कारण उस मिस्री के घर पर आशीष देने लगा; और क्या घर में, क्या मैदान में, उसका जो कुछ था, सब पर यहोवा की आशीष होने लगी।
Genesis 39:6 सो उसने अपना सब कुछ यूसुफ के हाथ में यहां तक छोड़ दिया: कि अपने खाने की रोटी को छोड़, वह अपनी सम्पत्ति का हाल कुछ न जानता था। और यूसुफ सुन्दर और रूपवान था।
Genesis 39:7 इन बातों के पश्चात ऐसा हुआ, कि उसके स्वामी की पत्नी ने यूसुफ की ओर आंख लगाई; और कहा, मेरे साथ सो।
Genesis 39:8 पर उसने अस्वीकार करते हुए अपने स्वामी की पत्नी से कहा, सुन, जो कुछ इस घर में है मेरे हाथ में है; उसे मेरा स्वामी कुछ नहीं जानता, और उसने अपना सब कुछ मेरे हाथ में सौप दिया है।
Genesis 39:9 इस घर में मुझ से बड़ा कोई नहीं; और उसने तुझे छोड़, जो उसकी पत्नी है; मुझ से कुछ नहीं रख छोड़ा; सो भला, मैं ऐसी बड़ी दुष्टता कर के परमेश्वर का अपराधी क्योंकर बनूं?
Genesis 39:10 और ऐसा हुआ, कि वह प्रति दिन यूसुफ से बातें करती रही, पर उसने उसकी न मानी, कि उसके पास लेटे वा उसके संग रहे।
Genesis 39:11 एक दिन क्या हुआ, कि यूसुफ अपना काम काज करने के लिये घर में गया, और घर के सेवकों में से कोई भी घर के अन्दर न था।
Genesis 39:12 तब उस स्त्री ने उसका वस्त्र पकड़कर कहा, मेरे साथ सो, पर वह अपना वस्त्र उसके हाथ में छोड़कर भागा, और बाहर निकल गया।


एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 32-34
  • मरकुस 15:26-47