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गुरुवार, 20 सितंबर 2018

चित्र



      फ़्रांसीसी कलाकार जॉरजेस सेयुरत ने 1880 के समय में कला की एक नई विधि को प्रस्तुत किया, जिसे “बिंदु चित्रण” (pointillism) भी कहा जाता है। जैसा कि नाम से पता चलता है, सेयुरत ने रंगों की कूची की बजाए, चित्र बनाने के लिए रंगीन बिंदुओं का प्रयोग किया। निकट से देखने पर उसकी कृतियाँ अलग-अलग बिंदुओं के समूह जैसी लगती हैं। परन्तु जब उन्हें थोड़ा सा पीछे हटाकर, कुछ दूरी से देखा जाए तो मानव आँख उन बिंदुओं एक-दूसरे के साथ मिलाकर रंगीन चित्र बना देती है।

      परमेश्वर के वचन बाइबल का दूर से दिखने वाला बड़ा चित्र भी कुछ ऐसा ही है। जब हम बाइबल की बातों को निकट से देखते हैं तो वे हमें सेयुरत के चित्र बनाने के पटल पर बिखरे उन बिंदुओं के समान जटिल और समझने में कठिन दिखाई दे सकती हैं। बाइबल को पढ़ते समय हम अपने आप को प्रभु यीशु के उन शिष्यों, क्लियोपास और उसके मित्र के समान देख सकते हैं जो प्रभु के पुनारुत्थान के पश्चात, संध्या काल को यरूशलेम से इम्माउस को हाल ही में घटित हुई घटनाओं के विषय परस्पर चर्चा करते हुए जा रहे थे। वे उस सप्ताहांत में हुई त्रासदीपूर्ण घटनाओं के “बिंदुओं” को परस्पर मिला और समझ नहीं पा रहे थे। उन्हें अपेक्षा थी प्रभु यीशु ही वह मसीहा हैं जो इस्राएल को छुटकारा देंगे (लूका 24:21), परन्तु अभी हाल ही में उन्होंने प्रभु यीशु को क्रूस पर मारे जाते हुए देखा था।

      तभी अचानक एक व्यक्ति जिसे वे पहचानते नहीं थे, उनके साथ चलने लगा, और उनके वार्तालाप में रुचि दिखाने लगा। उस व्यक्ति ने उन्हें, वचन में पहले से मसीह यीशु के संबंध में, उसके सताए जाने, मारे जाने और मृतकों में से जी उठने के बारे में लिखी भविष्यवाणियों के उन “बिंदुओं” को जोड़ने में सहायता की। बाद में जब वह उनके साथ भोजन करने बैठा तो उस व्यक्ति ने उन्हें उसे पहचानने दिया, कि वह प्रभु यीशु ही है, और फिर जैसे वह आश्चर्यजनक रीति से उनके पास आया था, वैसे ही चला भी गया।

      जब हम पवित्र-शास्त्र और प्रभु यीशु के संबंध में दी गई भविष्यवाणियों के “बिंदुओं” को मिलाकर देखते हैं, तो हमारे सामने एक ऐसे परमेश्वर का चित्र उभर कर आता है जो हमसे इतना अधिक प्रेम करता है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। - मार्ट डीहॉन


प्रभु यीशु ने हमारे प्रति अपने प्रेम को दिखाने के लिए अपने आप को बलिदान किया।

इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे। - यूहन्ना 15:13

बाइबल पाठ: लूका 24:13-32
Luke 24:13 देखो, उसी दिन उन में से दो जन इम्माऊस नाम एक गांव को जा रहे थे, जो यरूशलेम से कोई सात मील की दूरी पर था।
Luke 24:14 और वे इन सब बातों पर जो हुईं थीं, आपस में बातचीत करते जा रहे थे।
Luke 24:15 और जब वे आपस में बातचीत और पूछताछ कर रहे थे, तो यीशु आप पास आकर उन के साथ हो लिया।
Luke 24:16 परन्तु उन की आंखे ऐसी बन्‍द कर दी गईं थी, कि उसे पहिचान न सके।
Luke 24:17 उसने उन से पूछा; ये क्या बातें हैं, जो तुम चलते चलते आपस में करते हो? वे उदास से खड़े रह गए।
Luke 24:18 यह सुनकर, उनमें से क्‍लियुपास नाम एक व्यक्ति ने कहा; क्या तू यरूशलेम में अकेला परदेशी है; जो नहीं जानता, कि इन दिनों में उस में क्या क्या हुआ है?
Luke 24:19 उसने उन से पूछा; कौन सी बातें? उन्होंने उस से कहा; यीशु नासरी के विषय में जो परमेश्वर और सब लोगों के निकट काम और वचन में सामर्थी भविष्यद्वक्ता था।
Luke 24:20 और महायाजकों और हमारे सरदारों ने उसे पकड़वा दिया, कि उस पर मृत्यु की आज्ञा दी जाए; और उसे क्रूस पर चढ़वाया।
Luke 24:21 परन्तु हमें आशा थी, कि यही इस्त्राएल को छुटकारा देगा, और इन सब बातों के सिवाय इस घटना को हुए तीसरा दिन है।
Luke 24:22 और हम में से कई स्‍त्रियों ने भी हमें आश्चर्य में डाल दिया है, जो भोर को कब्र पर गई थीं।
Luke 24:23 और जब उस की लोथ न पाई, तो यह कहती हुई आईं, कि हम ने स्‍वर्गदूतों का दर्शन पाया, जिन्हों ने कहा कि वह जीवित है।
Luke 24:24 तब हमारे साथियों में से कई एक कब्र पर गए, और जैसा स्‍त्रियों ने कहा था, वैसा ही पाया; परन्तु उसको न देखा।
Luke 24:25 तब उसने उन से कहा; हे निर्बुद्धियों, और भविष्यद्वक्ताओं की सब बातों पर विश्वास करने में मन्‍दमतियों!
Luke 24:26 क्या अवश्य न था, कि मसीह ये दुख उठा कर अपनी महिमा में प्रवेश करे?
Luke 24:27 तब उसने मूसा से और सब भविष्यद्वक्ताओं से आरम्भ कर के सारे पवित्र शास्‍त्रों में से, अपने विषय में की बातों का अर्थ, उन्हें समझा दिया।
Luke 24:28 इतने में वे उस गांव के पास पहुंचे, जहां वे जा रहे थे, और उसके ढंग से ऐसा जान पड़ा, कि वह आगे बढ़ना चाहता है।
Luke 24:29 परन्तु उन्होंने यह कहकर उसे रोका, कि हमारे साथ रह; क्योंकि संध्या हो चली है और दिन अब बहुत ढल गया है। तब वह उन के साथ रहने के लिये भीतर गया।
Luke 24:30 जब वह उन के साथ भोजन करने बैठा, तो उसने रोटी ले कर धन्यवाद किया, और उसे तोड़कर उन को देने लगा।
Luke 24:31 तब उन की आंखे खुल गईं; और उन्होंने उसे पहचान लिया, और वह उन की आंखों से छिप गया।
Luke 24:32 उन्होंने आपस में कहा; जब वह मार्ग में हम से बातें करता था, और पवित्र शास्त्र का अर्थ हमें समझाता था, तो क्या हमारे मन में उत्तेजना न उत्पन्न हुई?


एक साल में बाइबल: 
  • सभोपदेशक 4-6
  • 2 कुरिन्थियों 12