ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 3 अक्तूबर 2018

चरित्र



      घाना के दूरस्थ इलाकों में, जहाँ मैं बचपन में रहा करता था, एक सामान्य कहावत थी, “भोजन के समय, कोई मित्र नहीं।” सामान्यतः भोजन के आभाव के कारण, स्थानीय लोग इसे अशिष्ट मानते थे यदि कोई मेहमान भोजन के समय किसी के घर पहुँच जाता। यह बात पड़ौसी और बाहरी लोगों दोनों पर समान लागू होती थी।

      परन्तु फिलिप्पींस में, जहाँ पर भी मैं कुछ वर्ष रहा था, आप चाहे भोजन के समय बिना बताए भी चले आते थे तो भी मेज़बान इस बात पर ज़ोर देते थे के आप उनके साथ कुछ खाएं, चाहे स्वयँ उनके लिए भी भोजन पर्याप्त न हो। अपने कुछ खास कारणों से भिन्न स्थानों पर भिन्न संस्कृतियां होती हैं।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि जब इस्राएली मिस्र से निकलकर चले, तब परमेश्वर ने उन्हें उनकी संस्कृति के लिए कुछ विशेष नियम दिए। परन्तु नियम, वे चाहे परमेश्वर ही के नियम क्यों न हों, मनुष्यों के मनों को परिवर्तित नहीं कर सकते हैं। इसीलिए मूसा ने उन से कहा, “इसलिये अपने अपने हृदय का खतना करो, और आगे को हठीले न रहो” (व्यवस्थाविवरण 10:16)। यह रोचक है कि मन परिवर्तन के इस आहवान के तुरंत बाद ही मूसा ने इस्राएलियों द्वारा परदेशियों के प्रति किए जाने वाले व्यवहार के विषय निर्देश दिए; उसने परमेश्वर के चरित्र के आधार पर उनसे कहा, “वह अनाथों और विधवा का न्याय चुकाता, और परदेशियों से ऐसा प्रेम करता है कि उन्हें भोजन और वस्त्र देता है। इसलिये तुम भी परदेशियों से प्रेम भाव रखना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे” (पद 18-19)।

      इस्राएली एक अति महान एवँ अनुपम परमेश्वर की सेवा करते थे: “क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा वही ईश्वरों का परमेश्वर और प्रभुओं का प्रभु है, वह महान्‌ पराक्रमी और भय योग्य ईश्वर है, जो किसी का पक्ष नहीं करता और न घूस लेता है” (पद 17) । ऐसे महान और पराक्रमी परमेश्वर के जन होने के कारण उन्हें इस बात का प्रमाण परदेशियों के प्रति, वे जो उनकी संस्कृति से नहीं थे, उनके प्रति प्रेम दर्शाने के द्वारा दिखाना था।

      परमेश्वर के चरित्र का यह संक्षिप्त विवरण, आज हमारे लिए क्या अर्थ रखता है? परमेश्वर के जन होने के कारण आज हम मसीही विश्वासी, परमेश्वर के प्रेम को तिरीस्कृत और ज़रूरतमंद लोगों को किस प्रकार से दिखा सकते हैं? – टिम गुस्ताफ्सन


मसीह यीशु में कोई परदेशी नहीं है।

इसलिये तुम अब विदेशी और मुसाफिर नहीं रहे, परन्तु पवित्र लोगों के संगी स्‍वदेशी और परमेश्वर के घराने के हो गए। - इफिसियों 2:19

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 10:12-22
Deuteronomy 10:12 और अब, हे इस्राएल, तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ से इसके सिवाय और क्या चाहता है, कि तू अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानें, और उसके सारे मार्गों पर चले, उस से प्रेम रखे, और अपने पूरे मन और अपने सारे प्राण से उसकी सेवा करे,
Deuteronomy 10:13 और यहोवा की जो जो आज्ञा और विधि मैं आज तुझे सुनाता हूं उन को ग्रहण करे, जिस से तेरा भला हो?
Deuteronomy 10:14 सुन, स्वर्ग और सब से ऊंचा स्वर्ग भी, और पृथ्वी और उस में जो कुछ है, वह सब तेरे परमेश्वर यहोवा ही का है;
Deuteronomy 10:15 तौभी यहोवा ने तेरे पूर्वजों से स्नेह और प्रेम रखा, और उनके बाद तुम लोगों को जो उनकी सन्तान हो सर्व देशों के लोगों के मध्य में से चुन लिया, जैसा कि आज के दिन प्रगट है।
Deuteronomy 10:16 इसलिये अपने अपने हृदय का खतना करो, और आगे को हठीले न रहो।
Deuteronomy 10:17 क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा वही ईश्वरों का परमेश्वर और प्रभुओं का प्रभु है, वह महान्‌ पराक्रमी और भय योग्य ईश्वर है, जो किसी का पक्ष नहीं करता और न घूस लेता है।
Deuteronomy 10:18 वह अनाथों और विधवा का न्याय चुकाता, और परदेशियों से ऐसा प्रेम करता है कि उन्हें भोजन और वस्त्र देता है।
Deuteronomy 10:19 इसलिये तुम भी परदेशियों से प्रेम भाव रखना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे।
Deuteronomy 10:20 अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानना; उसी की सेवा करना और उसी से लिपटे रहना, और उसी के नाम की शपथ खाना।
Deuteronomy 10:21 वही तुम्हारी स्तुति के योग्य है; और वही तेरा परमेश्वर है, जिसने तेरे साथ वे बड़े महत्व के और भयानक काम किए हैं, जिन्हें तू ने अपनी आंखों से देखा है।
Deuteronomy 10:22 तेरे पुरखा जब मिस्र में गए तब सत्तर ही मनुष्य थे; परन्तु अब तेरे परमेश्वर यहोवा ने तेरी गिनती आकाश के तारों के समान बहुत कर दिया है।


एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 17-19
  • इफिसियों 5:17-33