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बुधवार, 6 मार्च 2019

सिद्ध प्रेम



      उस महिला ने रुंधे गले से अपने बेटी से संबंधित उसकी समस्या के बारे में मुझे बताया। अपनी तरुण आयु बेटी के मित्रों के संदिग्ध आचरण के कारण उस चिन्तित महिला ने अपनी बेटी का मोबाइल फोन ज़ब्त कर लिया था और उसके साथ प्रत्येक स्थान पर जाने लगी थी। उनके संबंध बिगड़ते ही जा रहे थे।

      जब मैंने इस विषय पर उसकी बेटी से बात की तो उसने बताया कि वह अपने माँ से बहुत प्रेम करती है, परन्तु उसकी माँ का प्रेम व्यवहार इतना अभिभूत करने वाला होने लगा था कि उसे घुटन अनुभव होने लगी थी। वह माँ के इस प्रेम-प्रकटीकरण की घुटन से स्वतंत्र होना चाहती थी।

      हम सभी अपूर्ण हैं, और अपने संबंधों में परस्पर संघर्षों का सामना करते हैं। हम चाहे अभिभावक हों या बच्चे, अविवाहित हो या विवाहित, हम सभी प्रेम को सही रीति से व्यक्त करने में समस्याओं का सामना करते हैं, सही बात को सही समय पर सही रीति से करने या कहने में गड़बड़ा जाते हैं। हम अपने जीवन भर प्रेम में बढ़ते तथा परिपक्व होते रहते हैं।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने कोरिन्थ की मसीही मण्डली को लिखी अपनी पत्री में सिद्ध प्रेम के विषय लिखा, उन्हें उसके गुण बताए। पौलुस द्वारा दिए गए मानक बहुत अद्भुत तो हैं, परन्तु उन्हें व्यवहार में लाना बहुत चुनौतीपूर्ण तथा कठिन भी हो सकता है। परन्तु हमें परमेश्वर के धन्यवादी होना चाहिए कि उसने प्रभु यीशु मसीह में हमारे सामने सिद्ध प्रेम का सजीव उदाहरण रखा है। विभिन्न प्रकार के लोगों और उनकी विभिन्न समस्याओं के साथ व्यवहार के दौरान प्रभु यीशु ने दिखाया कि व्यवाहारिक जीवन में सिद्ध प्रेम कैसा होना चाहिए। हम मसीही विश्वासी जब प्रभु का अनुसरण करते हुए जीवन व्यतीत करते हैं, उसके प्रेम में बने रहते हैं, उसके वचनों से अपने मन को भर लेते हैं, तो हम उसके प्रेम और जीवन को अधिकाधिक प्रतिबिंबित करते जाऐंगे। हम फिर भी गलतियाँ तो करेंगे, परन्तु परमेश्वर उन्हें सुधार कर प्रत्येक परिस्थिति में से भलाई को उत्पन्न करेगा, क्योंकि उसका प्रेम सब कुछ सह लेता है, और कभी टलता नहीं है (पद 7-8)। - पोह फैंग चिया


हमारे प्रति अपने प्रेम को दिखाने के लिए प्रभु यीशु ने अपना जीवन बलिदान किया; 
उसके प्रति हमारे प्रेम को दिखाने के लिए हमें उसके लिए जीवन जीना है।

प्रेम इस में नहीं कि हम ने परमेश्वर ने प्रेम किया; पर इस में है, कि उसने हम से प्रेम किया; और हमारे पापों के प्रायश्‍चित्त के लिये अपने पुत्र को भेजा। हे प्रियो, जब परमेश्वर ने हम से ऐसा प्रेम किया, तो हम को भी आपस में प्रेम रखना चाहिए। - 1 यूहन्ना 4:10-11

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 13: 1-13
1 Corinthians 13:1 यदि मैं मनुष्यों, और सवर्गदूतों की बोलियां बोलूं, और प्रेम न रखूं, तो मैं ठनठनाता हुआ पीतल, और झंझनाती हुई झांझ हूं।
1 Corinthians 13:2 और यदि मैं भविष्यद्वाणी कर सकूं, और सब भेदों और सब प्रकार के ज्ञान को समझूं, और मुझे यहां तक पूरा विश्वास हो, कि मैं पहाड़ों को हटा दूं, परन्तु प्रेम न रखूं, तो मैं कुछ भी नहीं।
1 Corinthians 13:3 और यदि मैं अपनी सम्पूर्ण संपत्ति कंगालों को खिला दूं, या अपनी देह जलाने के लिये दे दूं, और प्रेम न रखूं, तो मुझे कुछ भी लाभ नहीं।
1 Corinthians 13:4 प्रेम धीरजवन्‍त है, और कृपाल है; प्रेम डाह नहीं करता; प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं।
1 Corinthians 13:5 वह अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता।
1 Corinthians 13:6 कुकर्म से आनन्‍दित नहीं होता, परन्तु सत्य से आनन्‍दित होता है।
1 Corinthians 13:7 वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है।
1 Corinthians 13:8 प्रेम कभी टलता नहीं; भविष्यद्वाणियां हों, तो समाप्‍त हो जाएंगी, भाषाएं हो तो जाती रहेंगी; ज्ञान हो, तो मिट जाएगा।
1 Corinthians 13:9 क्योंकि हमारा ज्ञान अधूरा है, और हमारी भविष्यद्वाणी अधूरी।
1 Corinthians 13:10 परन्तु जब सवर्सिद्ध आएगा, तो अधूरा मिट जाएगा।
1 Corinthians 13:11 जब मैं बालक था, तो मैं बालकों के समान बोलता था, बालकों का सा मन था बालकों की सी समझ थी; परन्तु सियाना हो गया, तो बालकों की बातें छोड़ दी।
1 Corinthians 13:12 अब हमें दर्पण में धुंधला सा दिखाई देता है; परन्तु उस समय आमने साम्हने देखेंगे, इस समय मेरा ज्ञान अधूरा है; परन्तु उस समय ऐसी पूरी रीति से पहिचानूंगा, जैसा मैं पहिचाना गया हूं।
1 Corinthians 13:13 पर अब विश्वास, आशा, प्रेम थे तीनों स्थाई है, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है।  


एक साल में बाइबल:  
  • व्यवस्थाविवरण 1-2
  • मरकुस 10:1-31