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बुधवार, 24 अप्रैल 2019

कृतज्ञ और धन्यवादी



      मेरी सहेली ग्लोरिया ने मुझे फोन किया, उसकी आवाज़ में उत्साह था। अपनी शारीरिक अक्षमताओं के कारण वह घर से बाहर केवल डॉक्टर को दिखाने के लिए ही निकलने पाती थी; इसलिए जो उसने मुझे बताया उसे लेकर उसके उत्साह और उत्तेजना को मैं समझ सकती थी। ग्लोरिया ने कहा, “मेरे बेटे ने मेरे कंप्यूटर के साथ नए स्पीकर्स जोड़ दिए हैं, इसलिए अब मैं चर्च की आराधना में सम्मिलित हो सकती हूँ!” अब वह उसके चर्च में हो रही आराधना सभा के सीधे प्रसारण को देख और सुन सकती थी। वह परमेश्वर की भलाई और उस “सर्वोत्तम उपहार जो मेरा बेटा मुझे दे सकता था” को लेकर बहुत उत्साहित थी, लोगों से उसके बारे में बातें करते नहीं थकती थी।

      ग्लोरिया मुझे एक धन्यवादी हृदय रखने के बारे में सिखाती है। अपनी अनेकों सीमाओं के होते हुए भी, वह छोटी-छोटी बातों के लिए – सूर्यास्त का दृश्य, परिवार के लोगों तथा पड़ौसियों और मित्रों आदि से मिलने वाली सहायता, शान्त होकर परमेश्वर के साथ बिताए जा सकने वाला समय, अपने स्वयँ के घर में रहने की सुविधा, आदि, वह सब के लिए सदा परमेश्वर की धन्यवादी बनी रहती है। उसने अपने जीवन भर अनुभव किया है कि परमेश्वर कैसे उसकी देखभाल करता है, उसकी आवश्यकताओं को पूरा करता है, और जो भी उससे मिलने आता है वह उससे परमेश्वर के विषय में बात करती है।

      हम परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 116 के लेखक की परिस्थतियों और कठिनाइयों को तो नहीं जानते हैं; बाइबल के कुछ  व्याख्याकर्ताओं का मानना है संभवतः वह बीमारी से होकर निकल रहा था, क्योंकि उसने लिखा, “मृत्यु की रस्सियाँ मेरे चारों ओर थीं” (पद 3)। परन्तु उन परिस्थतियों में भी वह परमेश्वर का कृतज्ञ और धन्यवादी था कि परमेश्वर ने उस पर करुणा और अनुग्रह दिखाया थाजब उसे “बलहीन किया गया” (पद 5-6)।

      जब हम बलहीन होते हैं, तो ऊपर देखना कठिन होता है। परन्तु यदि हम देखते हैं, तो हम पाते हैं कि परमेश्वर हमारे जीवनों में सब भली वस्तुओं का देवनहारा है – वे चाहे छोटी हों या बड़ी – और इसलिए हमें चाहिए कि हम हर बात के लिए हर परिस्थति में उसके प्रति कृतज्ञ और धन्यवादी बने रहें। - ऐनी सेटास


जब आप अपनी आशीषों को गिनने लगते हैं तो 
परमेश्वर का कृतज्ञ और धन्यवादी होना स्वाभाविक हो जाता है।

क्योंकि हर एक अच्छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है, और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है, जिस में न तो कोई परिवर्तन हो सकता है, ओर न अदल बदल के कारण उस पर छाया पड़ती है। - याकूब 1:17

बाइबल पाठ: भजन 116:1-9
Psalms 116:1 मैं प्रेम रखता हूं, इसलिये कि यहोवा ने मेरे गिड़गिड़ाने को सुना है।
Psalms 116:2 उसने जो मेरी ओर कान लगाया है, इसलिये मैं जीवन भर उसको पुकारा करूंगा।
Psalms 116:3 मृत्यु की रस्सियां मेरे चारों ओर थीं; मैं अधोलोक की सकेती में पड़ा था; मुझे संकट और शोक भोगना पड़ा।
Psalms 116:4 तब मैं ने यहोवा से प्रार्थना की, कि हे यहोवा बिनती सुन कर मेरे प्राण को बचा ले!
Psalms 116:5 यहोवा अनुग्रहकारी और धर्मी है; और हमारा परमेश्वर दया करने वाला है।
Psalms 116:6 यहोवा भोलों की रक्षा करता है; जब मैं बलहीन हो गया था, उसने मेरा उद्धार किया।
Psalms 116:7 हे मेरे प्राण तू अपने विश्राम स्थान में लौट आ; क्योंकि यहोवा ने तेरा उपकार किया है।
Psalms 116:8 तू ने तो मेरे प्राण को मृत्यु से, मेरी आंख को आंसू बहाने से, और मेरे पांव को ठोकर खाने से बचाया है।
Psalms 116:9 मैं जीवित रहते हुए, अपने को यहोवा के साम्हने जान कर नित चलता रहूंगा।

एक साल में बाइबल:  
  • 2 शमूएल 19-20
  • लूका 18:1-23