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सोमवार, 17 जून 2019

साथ



      परिवार के एक सदस्य के विवाह से घर लौटते समय, उस दो घंटे की यात्रा में, मेरी माँ ने तीन बार मुझसे पूछा कि मेरी नौकरी में नया क्या है। मैंने बार-बार अपनी नौकरी से संबंधित विवरण को ऐसे दोहराया मानो पहली बार बता रही हूँ; और साथ ही यह विचार करने लगी कि ऐसा क्या किया जा सकता है जिससे मेरे शब्द अधिक स्मरणीय हो सकें। मेरी माँ को एलज्हाईमर्स नामक मस्तिष्क की बीमारी है जिसमें धीरे-धीरे व्यक्ति की स्मरण शक्ति समाप्त होती चली जाती है, व्यवहार पर बुरा प्रभाव पड़ता और बढ़ता जाता है, और बोलना भी बन्द हो सकता है, तथा और भी ऐसी लाचारियाँ आ सकती हैं।

      मैं अपनी माँ की बिमारी को लेकर दुखी हूँ, परन्तु धन्यवादी भी हूँ कि वे अभी हमारे साथ हैं, और हम साथ समय बिता सकते हैं, बात कर सकते हैं। मैं यह देखकर बहुत उत्साहित होती हूँ कि जब भी मैं उनके पास जाती हूँ, मुझे देखकर उनका चेहरा खिल उठता है और वे बड़े जोश में कहती हैं “एलीसन! तुम्हारा आना कितना अच्छा आश्चर्य है।” हम एक दूसरे की संगति का आनन्द लेते हैं; और खामोशी में भी जब माँ को कहने के लिए शब्द बन नहीं पड़ते हैं, तब भी हम एक-दूसरे की संगति से खुश होते हैं।

      यह संभवतः परमेश्वर के साथ हमारे संबंध की एक छोटी से झलक के समान है। परमेश्वर का वचन, बाइबल हमें बताती है कि, “यहोवा अपने डरवैयों ही से प्रसन्न होता है, अर्थात उन से जो उसकी करूणा की आशा लगाए रहते हैं” (भजन 147:11)। जो प्रभु यीशु को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार करते हैं, उसमें विश्वास लाते हैं, परमेश्वर उन्हें अपनी सन्तान मानता है (यूहन्ना 1:12)। और क्योंकि वह हमसे एक पिता के समान प्रेम करता है, इसलिए हम चाहे वही अनुरोध बारंबार क्यों न करें, या हमारे पास व्यक्त करने के लिए शब्द न भी हों, तब भी वह हमारे प्रति धैर्य रखता है, क्योंकि उसे हमारी संगति अच्छी लगती है। जब हम प्रार्थना में उसके साथ होते हैं, उससे अपने मन की बात कहते हैं, उसे अच्छा लगता है, चाहे हम सही शब्द प्रयोग न भी करने पाएँ। परमेश्वर का वायदा है कि वह सदा हमारे साथ बना रहेगा। - एलीसन कीडा


परमेश्वर हमारे साथ से प्रसन्न होता है।

तुम्हारा स्‍वभाव लोभरिहत हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो; क्योंकि उसने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा। इसलिये हम बेधड़क हो कर कहते हैं, कि प्रभु, मेरा सहायक है; मैं न डरूंगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है। - इब्रानियों 13:5-6

बाइबल पाठ: भजन 147:1-11
Psalms 147:1 याह की स्तुति करो! क्योंकि अपने परमेश्वर का भजन गाना अच्छा है; क्योंकि वह मन भावना है, उसकी स्तुति करनी मन भावनी है।
Psalms 147:2 यहोवा यरूशलेम को बसा रहा है; वह निकाले हुए इस्राएलियों को इकट्ठा कर रहा है।
Psalms 147:3 वह खेदित मन वालों को चंगा करता है, और उनके शोक पर मरहम- पट्टी बान्धता है।
Psalms 147:4 वह तारों को गिनता, और उन में से एक एक का नाम रखता है।
Psalms 147:5 हमारा प्रभु महान और अति सामर्थी है; उसकी बुद्धि अपरम्पार है।
Psalms 147:6 यहोवा नम्र लोगों को सम्भलता है, और दुष्टों को भूमि पर गिरा देता है।
Psalms 147:7 धन्यवाद करते हुए यहोवा का गीत गाओ; वीणा बजाते हुए हमारे परमेश्वर का भजन गाओ।
Psalms 147:8 वह आकाश को मेघों से छा देता है, और पृथ्वी के लिये मेंह की तैयारी करता है, और पहाड़ों पर घास उगाता है।
Psalms 147:9 वह पशुओं को और कौवे के बच्चों को जो पुकारते हैं, आहार देता है।
Psalms 147:10 न तो वह घोड़े के बल को चाहता है, और न पुरूष के पैरों से प्रसन्न होता है;
Psalms 147:11 यहोवा अपने डरवैयों ही से प्रसन्न होता है, अर्थात उन से जो उसकी करूणा की आशा लगाए रहते हैं।

एक साल में बाइबल:  
  • नहेम्याह 7-9
  • प्रेरितों 3