ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 25 जून 2019

वचन



      हमारा बेटा ज़ेवियर अभी छोटा ही था जब हम एक समुद्री जीवों के अजायबघर में गए। जब हमने उस भवन में प्रवेश किया तो सामने ही छत से एक विशाल प्रतिमा लटकी हुई थी, और मैंने उसकी ओर संकेत करते हुए ज़ेवियर से कहा, “देखो, वह हम्पबैक व्हेल मछली है।” उसके आकार को देखकर अचरज से ज़ेवियर की आँखें फैल गईं और वह बोला “विशालकाय!”

      मेरे पति ने मेरी ओर मुड़कर कहा, “यह इस शब्द को कैसे जानता है?”

      मैंने भी अचरज से कंधे झटकते हुए कहा, “शायद उसने हमें इस शब्द को प्रयोग करते हुए सुना होगा;” मैं चकित थी कि हमारे छोटे से बच्चे ने अनजाने में ही वह शब्द सुनकर सीख लिया था, जबकि हम नें उसे वह शब्द कभी सिखाया नहीं था।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में व्यवस्थाविवरण 6 अध्याय में परमेश्वर ने अपने लोगों से कहा कि वे ध्यान देकर अपनी युवा और आने वाली पीढ़ियों को उसके पवित्र-शास्त्र को सीखने और मानने की शिक्षा दें। जैसे-जैसे इस्राएली परमेश्वर के ज्ञान में बढ़ेंगे, वैसे-वैसे वे स्वयँ और उनके बच्चे परमेश्वर के प्रति श्रद्धा और आज्ञाकारिता में बढ़ते जाएँगे, और परमेश्वर को निकटता से जानने, उससे संपूर्ण हृदय से प्रेम करने, और आज्ञाकारिता के साथ उसका अनुसरण करने से मिलने वाले प्रतिफलों का आनन्द लेने पाएँगे (पद 2-5)।

      अपने मन और मस्तिष्क को परमेश्वर के वचन से भर लेने (पद 6) से, हम परमेश्वर के प्रेम और सत्य को अपने बच्चों के साथ, उनके दैनिक जीवन की गतिविधियों में, और अधिक भली रीति से समझाने सिखाने पाएँगे (पद 7)। इस प्रकार से उदाहरण बनके उनकी अगुवाई करने के द्वारा हम अपने जवानों को प्रोत्साहित तथा तैयार कर सकते हैं कि वे परमेश्वर के कभी न बदलने वाले वचन के सत्यों पहचानें और अपने जीवनों में उन वचनों को योग्य आदर प्रदान करें (पद 8-9)।

      जब परमेश्वर का वचन हमारे मन और मुख से स्वाभाविक रीति से प्रवाह करेगा, हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए उस वचन पर आधारित विश्वास की प्रबल और दृढ़ धरोहर को छोड़ने पाएँगे। - जोशील डिक्सन


जो शब्द हम अपने अन्दर लेते हैं, वे ही निर्धारित करते हैं कि हम क्या बोलेंगे, 
कैसे व्यवहार करेंगे, और अपने आस-पास वालों के साथ क्या बाँटेंगे।

तेरी व्यवस्था से प्रीति रखने वालों को बड़ी शान्ति होती है; और उन को कुछ ठोकर नहीं लगती। - भजन 119:165

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 6:1-9
Deuteronomy 6:1 यह वह आज्ञा, और वे विधियां और नियम हैं जो तुम्हें सिखाने की तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने आज्ञा दी है, कि तुम उन्हें उस देश में मानो जिसके अधिकारी होने को पार जाने पर हो;
Deuteronomy 6:2 और तू और तेरा बेटा और तेरा पोता यहोवा का भय मानते हुए उसकी उन सब विधियों और आज्ञाओं पर, जो मैं तुझे सुनाता हूं, अपने जीवन भर चलते रहें, जिस से तू बहुत दिन तक बना रहे।
Deuteronomy 6:3 हे इस्राएल, सुन, और ऐसा ही करने की चौकसी कर; इसलिये कि तेरा भला हो, और तेरे पितरों के परमेश्वर यहोवा के वचन के अनुसार उस देश में जहां दूध और मधु की धाराएं बहती हैं तुम बहुत हो जाओ।
Deuteronomy 6:4 हे इस्राएल, सुन, यहोवा हमारा परमेश्वर है, यहोवा एक ही है;
Deuteronomy 6:5 तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना।
Deuteronomy 6:6 और ये आज्ञाएं जो मैं आज तुझ को सुनाता हूं वे तेरे मन में बनी रहें;
Deuteronomy 6:7 और तू इन्हें अपने बाल-बच्चों को समझाकर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना।
Deuteronomy 6:8 और इन्हें अपने हाथ पर चिन्हानी कर के बान्धना, और ये तेरी आंखों के बीच टीके का काम दें।
Deuteronomy 6:9 और इन्हें अपने अपने घर के चौखट की बाजुओं और अपने फाटकों पर लिखना।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्यूब 3-4
  • प्रेरितों 7:44-60