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बुधवार, 25 सितंबर 2019

भरोसा



      अपनी भांजी से विदा कहते हुए, उस संध्या को मेरा गला रुंधा हुआ था। अगले दिन उसने अपने स्नातकोत्तर कॉलेज की पढ़ाई करने के लिए हमसे 800 मील दूर चले जाना था। पिछले चार वर्ष से वह स्नातक डिग्री के लिए कॉलेज में हम से दूर तो थी, परन्तु फिर भी उसके कॉलेज और हमारे घर के मध्य केवल ढाई घंटे की यात्रा की दूरी थी, और हमारा मिलना तथा साथ होना काफी सहज था। परन्तु अब ऐसा नहीं होने पाएगा; अब हम वैसे नियमित नहीं मिलने पाएँगे, जैसे अभी तक मिल रहे थे। बस अब मुझे यही भरोसा रखना था कि परमेश्वर वहां पर भी उसकी वैसे ही देखभाल करता रहेगा, जैसे यहाँ पर कर रहा था।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में, इफिसुस की मसीही विश्वासियों की मण्डली के अगुवों से विदा लेते समय, संभवतः पौलुस को भी ऐसा ही लगा होगा। उसने इफसुस में मसीही मण्डली को स्थापित किया था, वह उन्हें तीन वर्ष तक सिखाता रहा था। पौलुस के लिए वे अगुवे उसके परिवार के समान ही निकट थे। अब जब पौलुस को यरूशलेम जाना था, और वह जानता था कि अब वह दोबारा उनसे इस शरीर में नहीं मिलेगा।

      इफिसुस के मसीही विश्वासियों के लिए पौलुस के पास कुछ परामर्श था। चाहे अब से पौलुस उनके पास उनके शिक्षक के रूप में नहीं रहेगा, फिर भी इफसुस की मण्डली के लोगों को अपने आप को त्यागा हुआ नहीं समझना था। पौलुस ने उन्हें समझाया कि परमेश्वर आगे भी उन्हें अपने “अनुग्रह के वचन” के द्वारा सिखाता रहेगा (प्रेरितों 20:32) कि मसीही विश्वासियों की मण्डली की अगुवाई कैसे करें। पौलुस तो उनके साथ हमेशा नहीं रह सकता था, किन्तु परमेश्वर हमेशा उनके साथ बना रहेगा।

      चाहे वे हमारे बच्चे हों, जिन्हें हम घर से बाहर आगे के जीवन के लिए भेजते हैं, या कोई अन्य परिवार अथवा मित्रगण हों जो जीवन में आगे बढ़ने के लिए कहीं और जाते हैं – किसी भी प्रिय जन से विदा लेना बहुत कष्टदायक होता है। वे हमारे प्रभाव से निकलकर अपने नए जीवन में चले जाते हैं। जब हम अपने हाथों में से उनके हाथों को छोड़ते हैं, तब हम भरोसा रख सकते हैं कि परमेश्वर उन्हें थामे हुए है। वह उनकी देखभाल करता रहेगा, उनका मार्गदर्शन करता रहेगा, और उनकी आवश्यकताओं को पूरा करता रहेग – हमसे भी कहीं अधिक भली रीति से। - लिंडा वॉशिंगटन

अपने प्रिय जनों से चाहे हम दूर हों, किन्तु परमेश्वर उनसे कभी दूर नहीं होता है।

और अब मैं तुम्हें परमेश्वर को, और उसके अनुग्रह के वचन को सौंप देता हूं; जो तुम्हारी उन्नति कर सकता है, और सब पवित्रों में साझी कर के मीरास दे सकता है। - प्रेरितों 20:32

बाइबल पाठ: प्रेरितों 20:17-20, 35-38
Acts 20:17 और उसने मीलेतुस से इफिसुस में कहला भेजा, और कलीसिया के प्राचीनों को बुलवाया।
Acts 20:18 जब वे उस के पास आए, तो उन से कहा, तुम जानते हो, कि पहिले ही दिन से जब मैं आसिया में पहुंचा, मैं हर समय तुम्हारे साथ किस प्रकार रहा।
Acts 20:19 अर्थात बड़ी दीनता से, और आंसू बहा बहाकर, और उन परीक्षाओं में जो यहूदियों के षडयन्‍त्र के कारण मुझ पर आ पड़ी; मैं प्रभु की सेवा करता ही रहा।
Acts 20:20 और जो जो बातें तुम्हारे लाभ की थीं, उन को बताने और लोगों के साम्हने और घर घर सिखाने से कभी न झिझका।
Acts 20:35 मैं ने तुम्हें सब कुछ कर के दिखाया, कि इस रीति से परिश्रम करते हुए निर्बलों को सम्भालना, और प्रभु यीशु की बातें स्मरण रखना अवश्य है, कि उसने आप ही कहा है; कि लेने से देना धन्य है।
Acts 20:36 यह कहकर उसने घुटने टेके और उन सब के साथ प्रार्थना की।
Acts 20:37 तब वे सब बहुत रोए और पौलुस के गले में लिपट कर उसे चूमने लगे।
Acts 20:38 वे विशेष कर के इस बात का शोक करते थे, जो उसने कही थी, कि तुम मेरा मुंह फिर न देखोगे; और उन्होंने उसे जहाज तक पहुंचाया।

एक साल में बाइबल: 
  • श्रेष्ठगीत 6-8
  • गलातियों 4