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बुधवार, 25 मार्च 2020

सुनना



      मनुष्य होने के नाते हम अकसर उसी जानकारी के खोजी होते हैं जो हमारे अपने विचारों का समर्थन करती है। जांचने के द्वारा देखा गया है कि लोग उनके दृष्टिकोण का समर्थन करने वाली जानकारी को ढूँढने और जुटाने के लिए दो गुना अधिक प्रयास करते हैं। जब हम अपने विचारों के प्रति गहराई से प्रतिबद्ध होते हैं, तो हम प्रयास करते हैं कि कोई हमारे दृष्टिकोण को चुनौती न दे, और प्रतिकूल विचार वालों से बच कर रहने का प्रयास करते हैं।

      परमेश्वर के बाइबल में भी हम इसका एक उदाहरण इस्राएल के राजा अहाब में पाते हैं। जब अहाब और यहूदा का राजा यहोशापात रामोत पर चढ़ाई करने के विषय मंत्रणा कर रहे थे, तो ‘परमेश्वर की इच्छा’ जानने के अभिप्राय से अहाब ने अपने 400 भविष्यद्वक्ताओं को एकत्र किया; क्योंकि वे सभी के अहाब द्वारा नियुक्त किए गए थे, इसलिए वे वही बोलते थे जो अहाब सुनना चाहता था। उन सभी ने अहाब से कहा कि वह युद्ध में जाए, “...क्योंकि परमेश्वर उसको राजा के हाथ कर देगा” (2 इतिहास 18:5)। परन्तु यहोशापात इससे आश्वस्त नहीं हुआ और उसने पूछा की क्या कोई ऐसा भविष्यद्वक्ता है जो परमेश्वर के द्वारा नियुक्त किया गया हो जिस से वे परमेश्वर की इच्छा को जान सकें। अहाब ने बड़े संकोच के साथ मीकायाह का नाम लिया क्योंकि अहाब को लगता था कि “...वह मेरे विष्य कभी कल्याण की नहीं, सदा हानि ही की नबूवत करता है। वह यिम्ला का पुत्र मीकायाह है” (पद 7)। और मीकायाह ने ऐसा ही कहा भी, कि वे विजयी नहीं होंगे, वरन सभी लोग तित्तर-बित्तर हो जाएंगे(पद 16)।

      इस कहानी को पढ़ते हुए मैं देखती हूँ कि, यदि वह मेरी इच्छा के अनुसार नहीं है तो मैं भी बुद्धिमत्ता की सलाह से बचना चाहती हूँ। अहाब के लिए, उसका अपने नियुक्त 400 चापलूस भविष्यद्वक्ताओं की सुनना विनाशकारी हुआ (पद 34)। हमें भी सत्य की आवाज़ को, बाइबल में दी गई परमेश्वर की सलाह को सुनने और मानने वाला होना चाहिए, चाहे वह बात हमारी अपनी राय के अनुकूल न भी हो। - कर्सटन होल्मबर्ग

परमेश्वर की सलाह सदा विश्वसनीय और बुद्धिमत्तापूर्ण होती है।

तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण कर के सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा। - नीतिवचन 3:5-6

बाइबल पाठ: 2 इतिहास 18: 4-27
2 इतिहास 18:4 फिर यहोशापात ते इस्राएल के राजा से कहा, आज यहोवा की आज्ञा ले।
2 इतिहास 18:5 तब इस्राएल के राजा ने नबियों को जो चार सौ पुरुष थे, इकट्ठा कर के उन से पूछा, क्या हम गिलाद के रामोत पर युद्ध करने को चढ़ाई करें, अथवा मैं रुका रहूं? उन्होंने उत्तर दिया चढ़ाई कर, क्योंकि परमेश्वर उसको राजा के हाथ कर देगा।
2 इतिहास 18:6 परन्तु यहोशापात ने पूछा, क्या यहां यहोवा का और भी कोई नबी नहीं है जिस से हम पूछ लें?
2 इतिहास 18:7 इस्राएल के राजा ने यहोशापात से कहा, हां, एक पुरुष और है, जिसके द्वारा हम यहोवा से पूछ सकते हैं; परन्तु मैं उस से घृणा करता हूँ; क्योंकि वह मेरे विष्य कभी कल्याण की नहीं, सदा हानि ही की नबूवत करता है। वह यिम्ला का पुत्र मीकायाह है। यहोशापात ने कहा, राजा ऐसा न कहे।
2 इतिहास 18:8 तब इस्राएल के राजा ने एक हाकिम को बुलवा कर कहा, यिम्ला के पुत्र मीकायाह को फुर्ती से ले आ।
2 इतिहास 18:9 इस्राएल का राजा और यहूदा का राजा यहोशापात अपने अपने राजवस्त्र पहिने हुए, अपने अपने सिंहासन पर बैठे हुए थे; वे शोमरोन के फाटक में एक खुले स्थान में बैठे थे और सब नबी उनके साम्हने नबूवत कर रहे थे।
2 इतिहास 18:10 तब कनाना के पुत्र सिदकिय्याह ने लोहे के सींग बनवा कर कहा, यहोवा यों कहता है, कि इन से तू अरामियों को मारते मारते नाश कर डालेगा।
2 इतिहास 18:11 और सब नबियों ने इसी आशय की नबूवत कर के कहा, कि गिलाद के रामोत पर चढ़ाई कर और तू कृतार्थ होवे; क्योंकि यहोवा उसे राजा के हाथ कर देगा।
2 इतिहास 18:12 और जो दूत मीकायाह को बुलाने गया था, उसने उस से कहा, सुन, नबी लोग एक ही मुंह से राजा के विषय शुभ वचन कहते हैं; सो तेरी बात उनकी सी हो, तू भी शुभ वचन कहना।
2 इतिहास 18:13 मीकायाह ने कहा, यहोवा के जीवन की सौंह, जो कुछ मेरा परमेश्वर कहे वही मैं भी कहूंगा।
2 इतिहास 18:14 जब वह राजा के पास आया, तब राजा ने उस से पूछा, हे मीकायाह, क्या हम गिलाद के रामोत पर युद्ध करने को चढ़ाई करें अथवा मैं रुका रहूं? उसने कहा, हां, तुम लोग चढ़ाई करो, और कृतार्थ होओ; और वे तुम्हारे हाथ में कर दिए जाएंगे।
2 इतिहास 18:15 राजा ने उस से कहा, मुझे कितनी बार तुझे शपथ धरा कर चिताना होगा, कि तू यहोवा का स्मरण कर के मुझ से सच ही कह।
2 इतिहास 18:16 मीकायाह ने कहा, मुझे सारा इस्राएल बिना चरवाहे की भेंड़-बकरियों की नाईं पहाड़ों पर तित्तर-बित्तर दिखाई पड़ा, और यहोवा का वचन आया कि वे तो अनाथ हैं, इसलिये हर एक अपने अपने घर कुशल क्षेम से लौट जाएं।
2 इतिहास 18:17 तब इस्राएल के राजा ने यहोशापात से कहा, क्या मैं ने तुझ से न कहा था, कि वह मेरे विषय कल्याण की नहीं, हानि ही की नबूवत करेगा?
2 इतिहास 18:18 मीकायाह ने कहा, इस कारण तुम लोग यहोवा का यह वचन सुनो: मुझे सिंहासन पर विराजमान यहोवा और उसके दाहिने बाएं खड़ी हुई स्वर्ग की सारी सेना दिखाई पड़ी।
2 इतिहास 18:19 तब यहोवा ने पूछा, इस्राएल के राजा अहाब को कौन ऐसा बहकाएगा, कि वह गिलाद के रामोत पर चढ़ाई कर के खेत आए, तब किसी ने कुछ और किसी ने कुछ कहा।
2 इतिहास 18:20 निदान एक आत्मा पास आकर यहोवा के सम्मुख खड़ी हुई, और कहने लगी, मैं उसको बहकाऊंगी।
2 इतिहास 18:21 यहोवा ने पूछा, किस उपाय से? उसने कहा, मैं जा कर उसके सब नबियों में पैठ के उन से झूठ बुलवाऊंगी। यहोवा ने कहा, तेरा उसको बहकाना सफल होगा, जा कर ऐसा ही कर।
2 इतिहास 18:22 इसलिये सुन अब यहोवा ने तेरे इन नबियों के मुंह में एक झूठ बोलने वाली आत्मा पैठाई है, और यहोवा ने तेरे विषय हानि की बात कही है।
2 इतिहास 18:23 तब कनाना के पुत्र सिदकिय्याह ने निकट जा, मीकायाह के गाल पर थप्पड़ मार कर पूछा, यहोवा का आत्मा मुझे छोड़ कर तुझ से बातें करने को किधर गया।
2 इतिहास 18:24 उसने कहा, जिस दिन तू छिपने के लिये कोठरी से कोठरी में भागेगा, तब जान लेगा।
2 इतिहास 18:25 इस पर इस्राएल के राजा ने कहा, कि मीकायाह को नगर के हाकिम आमोन और राजकुमार योआश के पास लौटा कर,
2 इतिहास 18:26 उन से कहो, राजा यों कहता है, कि इस को बन्दीगृह में डालो, और जब तक मैं कुशल से न आऊं, तब तक इसे दु:ख की रोटी और पानी दिया करो।
2 इतिहास 18:27 तब मीकायाह ने कहा, यदि तू कभी कुशल से लौटे, तो जान, कि यहोवा ने मेरे द्वारा नहीं कहा। फिर उसने कहा, हे लोगो, तुम सब के सब सुन लो।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 19-21
  • लूका 2:25-52



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