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शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

पापियों


     मेरी एक मित्र है – इडिथ – उसने मुझे बताया कि कैसे उसने प्रभु यीशु के पीछे चलने का निर्णय लिया। इडिथ को धर्म की कोई परवाह नहीं थी। लेकिन एक इतवार की प्रातः वह अपने घर के निकट स्थित चर्च में चली गई, अपनी असंतुष्ट आत्मा की बेचैनी को दूर करने के लिए कुछ पाने की इच्छा के साथ। उस दिन के सन्देश के लिए चर्च के पास्टर ने परमेश्वर के वचन बाइबल में से लूका 15:1-2 को पढ़ा, जहाँ लिखा है, सब चुंगी लेने वाले और पापी उसके पास आया करते थे ताकि उस की सुनें। और फरीसी और शास्त्री कुड़कुड़ा कर कहने लगे, कि यह तो पापियों से मिलता है और उन के साथ खाता भी है।”

     बाइबल में तो लिखा है, यह तो पापियों के साथ मिलता और है और उनके साथ खाता भी है,  किन्तु इडिथ को उस दिन जो सुनाई दिया वह था “यह तो पापियों के साथ, जिनमें इडिथ भी है, मिलता और है और उनके साथ खाता भी है।” यह सुनते ही इडिथ जहाँ  बैठी थी, चौंक कर वहाँ सीधी होकर बैठ गई! थोड़ी देर में उसने अपनी स्थिति को स्वीकार कर लिया, परन्तु यह विचार कि यीशु पापियों का स्वागत करता है, जिनमें वह भी थी, उसके मन में गूँजता रहा। उस दोपहर उसने यीशु के और निकट आने तथा उसकी सुनने के लिए बाइबल में से सुसमाचारों को पढ़ना आरंभ कर दिया, और शीघ्र ही उसने यीशु पर विश्वास कर लिया और उसके पीछे हो लेने का निर्णय कर लिया।

     प्रभु यीशु के समय के ‘धर्मीलोग इस बात को लेकर बहुत चकित और अप्रसन्न होते थे कि प्रभु यीशु पापी लोगों के साथ खाता पीता, और संपर्क रखता था। उनके नियम उन्हें ऐसे लोगों के साथ संपर्क रखने की अनुमति नहीं देते थे। परन्तु प्रभु यीशु ने उनके इन गढ़े हुए नियमों की कोई चिंता नहीं की। उसने समाज के दीन-हीन व्यक्तियों को अपने पास बुलाया और उनके साथ रहा, वे चाहे कितने भी गिरे हुए क्यों न हों।

     क्या आप जानते हैं कि यह बात आज भी उतनी ही सत्य है – प्रभु यीशु आज भी पापियों को, आपको भी, बुलाता है, स्वीकार करता है, और जो भी उसे अपनाता है, उस पर विश्वास लाता है, उसे परमेश्वर की संतान बन जाने का आदर देता है। - डेविड एच. रोपर

 

परमेश्वर हमारी बेचैनी में हमारे पीछे आता है, 

हमारे पापों में हमें अपनाता है, 

और हमारे टूटेपन में हमें संभालता है। - स्कॉटी स्मिथ


परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। - यूहन्ना 1:12-13

बाइबल पाठ: लूका 15:1-7

लूका 15:1 सब चुंगी लेने वाले और पापी उसके पास आया करते थे ताकि उस की सुनें।

लूका 15:2 और फरीसी और शास्त्री कुड़कुड़ा कर कहने लगे, कि यह तो पापियों से मिलता है और उन के साथ खाता भी है।

लूका 15:3 तब उसने उन से यह दृष्टान्त कहा।

लूका 15:4 तुम में से कौन है जिस की सौ भेड़ें हों, और उन में से एक खो जाए तो निन्यानवे को जंगल में छोड़कर, उस खोई हुई को जब तक मिल न जाए खोजता न रहे?

लूका 15:5 और जब मिल जाती है, तब वह बड़े आनन्द से उसे कांधे पर उठा लेता है।

लूका 15:6 और घर में आकर मित्रों और पड़ोसियों को इकट्ठे कर के कहता है, मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई है।

लूका 15:7 मैं तुम से कहता हूं; कि इसी रीति से एक मन फिराने वाले पापी के विषय में भी स्वर्ग में इतना ही आनन्द होगा, जितना कि निन्यानवे ऐसे धर्मियों के विषय नहीं होता, जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 54-56
  • रोमियों 3


गुरुवार, 30 जुलाई 2020

चुनौतियां


    हम कुछ मित्रों ने मिलकर एक गुट बनाया था जो हर महीने एकत्रित होकर एक दूसरे से हमारे व्यक्तिगत लक्ष्यों के प्रति हमारे द्वारा किए गए कार्यों के संबंध में हिसाब पूछता था। मेरी एक सहेली, मेरी, की इच्छा थी कि वर्ष समाप्त होने से पहले वह अपने भोजन-कक्ष की कुर्सियों पर नई गद्दियाँ और उनके कवर लगा सके। नवम्बर की हमारी सभा में उसने अक्तूबर से आगे की प्रगति का ब्यौरा दिया: “मुझे अपनी कुर्सियों को ठीक करने में दस महीने और दो घंटे लगे।” महीनों तक अपनी पसंद की सामग्री न मिल पाने, या अपनी नौकरी और छोटे बच्चे की देखभाल की अपनी व्यस्त दिनचर्या से पर्याप्त समय न निकाल पाने के कारण उसे दस महीने प्रतीक्षा करनी पड़ी; परन्तु सामग्री और समय मिलने पर उसे अपना कार्य पूरा करने में केवल दो घंटे ही लगे।

    हम परमेश्वर के वचन बाइबल में देखते हैं कि परमेश्वर ने नहेम्याह को एक बहुत बड़े काम को करने के लिए बुलाया था: यरूशलेम को पुनःस्थापित करने के लिए, जबकि उसकी दीवार 150 वर्ष से खण्डहर हुई पड़ी थी (नहेम्याह 2:3-5, 12)। जब लोगों ने नहेम्याह के नेतृत्व में उस कार्य को करना आरंभ किया तो उन्हें उपहास, आक्रमण, ध्यान बंटाने, और पाप करने के प्रलोभनों में फंसने जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ा (नहेम्याह 4:3, 8; 6:10-12)। परन्तु फिर भी परमेश्वर ने उन्हें दृढ़ बने रहने, और अपने प्रयासों में विचलित न होने की सामर्थ्य दी, और यह चुनौतीपूर्ण कार्य केवल बावन दिनों में ही पूरा कर लिया गया।

    ऐसी चुनौतियों पर जयवन्त होने के लिए व्यक्तिगत लालसा या लक्ष्य से भी कहीं अधिक कुछ और की आवश्यकता होती है। नहेम्याह की प्रेरणा परमेश्वर द्वारा उसे इस कार्य को पूरा करने के लिए दी गई बुलाहट थी। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसके इस दृढ़ निश्चय ने अन्य लोगों को भी, असाधारण विरोध के बावजूद, उसके नेतृत्व में इस काम को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया।

    जब परमेश्वर हमें किसी कार्य को सौंपता है, वह चाहे किसी संबंध को फिर से ठीक करना हो या जो उसने हमारे जीवनों में किया है उसे दूसरों को बताना हो, तो वह उस कार्य के लिए आवश्यक कौशल और सामर्थ्य भी प्रदान करता है, जिससे हम उसके द्वारा दिए गए कार्य को करने के अपने प्रयासों में लगे रह सकें। चाहे जो भी चुनौती हमारे सामने आए, परमेश्वर ने हमें पहले ही से उसके लिए तैयार कर दिया है। - कर्स्टिन होल्मबर्ग

 

परमेश्वर उसके द्वारा हमें सौंपे गए कार्यों को पूरा करने 

और सभी बाधाओं पर विजयी होने के लिए हमें तैयार भी करता है।


जो मुझे सामर्थ्य देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं। - फिलिप्पियों 4:13  

बाइबल पाठ: नहेम्याह 6:1-9, 15

नहेम्याह 6:1 जब सम्बल्लत, तोबियाह और अरबी गेशेम और हमारे और शत्रुओं को यह समाचार मिला, कि मैं शहरपनाह को बनवा चुका; और यद्यपि उस समय तक भी मैं फाटकों में पल्ले न लगा चुका था, तौभी शहरपनाह में कोई दरार न रह गया था।

नहेम्याह 6:2 तब सम्बल्लत और गेशेम ने मेरे पास यों कहला भेजा, कि आ, हम ओनो के मैदान के किसी गांव में एक दूसरे से भेंट करें। परन्तु वे मेरी हानि करने की इच्छा करते थे।

नहेम्याह 6:3 परन्तु मैं ने उनके पास दूतों से कहला भेजा, कि मैं तो भारी काम में लगा हूँ, वहां नहीं जा सकता; मेरे इसे छोड़ कर तुम्हारे पास जाने से वह काम क्यों बन्द रहे?

नहेम्याह 6:4 फिर उन्होंने चार बार मेरे पास वैसी ही बात कहला भेजी, और मैं ने उन को वैसा ही उत्तर दिया।

नहेम्याह 6:5 तब पांचवी बार सम्बल्लत ने अपने सेवक को खुली हुई चिट्ठी देकर मेरे पास भेजा,

नहेम्याह 6:6 जिस में यों लिखा था, कि जाति जाति के लोगों में यह कहा जाता है, और गेशेम भी यही बात कहता है, कि तुम्हारी और यहूदियों की मनसा बलवा करने की है, और इस कारण तू उस शहरपनाह को बनवाता है; और तू इन बातों के अनुसार उनका राजा बनना चाहता है।

नहेम्याह 6:7 और तू ने यरूशलेम में नबी ठहराए हैं, जो यह कह कर तेरे विषय प्रचार करें, कि यहूदियों में एक राजा है। अब ऐसा ही समाचार राजा को दिया जाएगा। इसलिये अब आ, हम एक साथ सम्मति करें।

नहेम्याह 6:8 तब मैं ने उसके पास कहला भेजा कि जैसा तू कहता है, वैसा तो कुछ भी नहीं हुआ, तू ये बातें अपने मन से गढ़ता है।

नहेम्याह 6:9 वे सब लोग यह सोच कर हमें डराना चाहते थे, कि उनके हाथ ढीले पड़ें, और काम बन्द हो जाए। परन्तु अब हे परमेश्वर तू मुझे हियाव दे।

नहेम्याह 6:15 एलूल महीने के पच्चीसवें दिन को अर्थात बावन दिन के भीतर शहरपनाह बन चुकी।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 51-53
  • रोमियों 2


बुधवार, 29 जुलाई 2020

आशा


    मैं जब उन्नीस वर्ष की थी तो मेरी एक प्रिय सहेली का एक कार दुर्घटना में देहांत हो गया। इसके बाद के कई सप्ताहों और महीनों तक मैं प्रतिदिन गहरे दुःख में होकर चलती रही। इतनी कम आयु के अच्छे मित्र को खो देने के दुःख ने मेरी दृष्टि को धूमिल कर दिया था, और कभी-कभी तो मुझे अपने आस-पास जो हो रहा होता था, उसका पता भी नहीं होता था। मैं दुःख और पीड़ा से इतनी अंधी हो चुकी थी कि मैं परमेश्वर को भी नहीं देख पा रही थी।

    परमेश्वर के वचन बाइबल में लूका 24 अध्याय में, प्रभु यीशु के दो शिष्य प्रभु यीशु की मृत्यु के पश्चात इतने दुःख और दुविधा में थे कि वे यह भी नहीं पहचान सके कि उनका पुनरुत्थान हुआ गुरु उनके साथ चल रहा है और उनसे बातें कर रहा है, उन्हें अपने बारे में पवित्र शास्त्र में से समझा रहा है कि उसे क्यों मरना और फिर मृतकों में से जी उठना अनिवार्य था। जब प्रभु ने रोटी लेकर उनके साथ उसे तोड़ा, तब ही वे उसे पहचान सके (पद 30-31)।

    यद्यपि प्रभु यीशु के शिष्यों ने प्रभु की मृत्यु के समय मृत्यु के वीभत्स स्वरूप का सामना किया था, परन्तु प्रभु के पुनरुत्थान के द्वारा परमेश्वर ने उन्हें दिखाया था कि उनके लिए एक नई आशा भी रखी हुई है। उन शिष्यों के समान हम भी अपने दुखों और दुविधाओं में बोझ तले दबा हुआ अनुभव कर सकते हैं। परन्तु हम इस तथ्य से आशा प्राप्त कर सकते हैं कि प्रभु यीशु जीवित हैं और संसार में, हम में होकर कार्य कर रहे हैं।

    चाहे हमें व्यथा और दुःख का सामना करना पड़े, परन्तु उस समय में भी हमारा प्रभु हमारे साथ-साथ चलता है। वह जगत की ज्योति है (यूहन्ना 8:12), और उसकी ज्योति हमारे जीवनों को आशा की किरणों से भर देती है। - ऐमी बाउचर पाई

 

चाहे हमें दुःख हों, प्रभु यीशु में हमें आशा का भरोसा है।


तब यीशु ने फिर लोगों से कहा, जगत की ज्योति मैं हूं; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा। - यूहन्ना 8:12

बाइबल पाठ: लूका 24:13-32

लू्का 24:13 देखो, उसी दिन उन में से दो जन इम्माऊस नाम एक गांव को जा रहे थे, जो यरूशलेम से कोई सात मील की दूरी पर था।

लू्का 24:14 और वे इन सब बातों पर जो हुईं थीं, आपस में बातचीत करते जा रहे थे।

लू्का 24:15 और जब वे आपस में बातचीत और पूछताछ कर रहे थे, तो यीशु आप पास आकर उन के साथ हो लिया।

लू्का 24:16 परन्तु उन की आंखें ऐसी बन्द कर दी गईं थी, कि उसे पहचान न सके।

लू्का 24:17 उसने उन से पूछा; ये क्या बातें हैं, जो तुम चलते चलते आपस में करते हो? वे उदास से खड़े रह गए।

लू्का 24:18 यह सुनकर, उनमें से क्लियुपास नाम एक व्यक्ति ने कहा; क्या तू यरूशलेम में अकेला परदेशी है; जो नहीं जानता, कि इन दिनों में उस में क्या क्या हुआ है?

लू्का 24:19 उसने उन से पूछा; कौन सी बातें? उन्होंने उस से कहा; यीशु नासरी के विषय में जो परमेश्वर और सब लोगों के निकट काम और वचन में सामर्थी भविष्यद्वक्ता था।

लू्का 24:20 और महायाजकों और हमारे सरदारों ने उसे पकड़वा दिया, कि उस पर मृत्यु की आज्ञा दी जाए; और उसे क्रूस पर चढ़वाया।

लू्का 24:21 परन्तु हमें आशा थी, कि यही इस्राएल को छुटकारा देगा, और इन सब बातों के सिवाय इस घटना को हुए तीसरा दिन है।

लू्का 24:22 और हम में से कई स्त्रियों ने भी हमें आश्चर्य में डाल दिया है, जो भोर को कब्र पर गई थीं।

लू्का 24:23 और जब उस की लोथ न पाई, तो यह कहती हुई आईं, कि हम ने स्वर्गदूतों का दर्शन पाया, जिन्होंने कहा कि वह जीवित है।

लू्का 24:24 तब हमारे साथियों में से कई एक कब्र पर गए, और जैसा स्त्रियों ने कहा था, वैसा ही पाया; परन्तु उसको न देखा।

लू्का 24:25 तब उसने उन से कहा; हे निर्बुद्धियों, और भविष्यद्वक्ताओं की सब बातों पर विश्वास करने में मन्दमतियों!

लू्का 24:26 क्या अवश्य न था, कि मसीह ये दुख उठा कर अपनी महिमा में प्रवेश करे?

लू्का 24:27 तब उसने मूसा से और सब भविष्यद्वक्ताओं से आरम्भ कर के सारे पवित्र शास्त्रों में से, अपने विषय में की बातों का अर्थ, उन्हें समझा दिया।

लू्का 24:28 इतने में वे उस गांव के पास पहुंचे, जहां वे जा रहे थे, और उसके ढंग से ऐसा जान पड़ा, कि वह आगे बढ़ना चाहता है।

लू्का 24:29 परन्तु उन्होंने यह कहकर उसे रोका, कि हमारे साथ रह; क्योंकि संध्या हो चली है और दिन अब बहुत ढल गया है। तब वह उन के साथ रहने के लिये भीतर गया।

लू्का 24:30 जब वह उन के साथ भोजन करने बैठा, तो उसने रोटी ले कर धन्यवाद किया, और उसे तोड़कर उन को देने लगा।

लू्का 24:31 तब उन की आंखें खुल गईं; और उन्होंने उसे पहचान लिया, और वह उन की आंखों से छिप गया।

लू्का 24:32 उन्होंने आपस में कहा; जब वह मार्ग में हम से बातें करता था, और पवित्र शास्त्र का अर्थ हमें समझाता था, तो क्या हमारे मन में उत्तेजना न उत्पन्न हुई?

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 49-50
  • रोमियों 1


मंगलवार, 28 जुलाई 2020

प्रेम


     कुछ समस्याओं पर पिता ही का नाम लिखा हुआ होता है। उदाहरण के लिए, मेरे बच्चों ने देखा कि हमारे सामने के बरामदे में आई एक दरार में मधुमक्खियों ने छत्ता बना लिया था। इसलिए कीड़े मारने वाली दवाई के स्प्रे को लेकर मैं उन्हें वहाँ से हटाने के लिए गया। ऐसा करते समय मुझे पांच बार मधुमक्खियों ने डंक मारा।

     मुझे कीटों द्वारा डसे जाना तो पसंद नहीं है, परन्तु इसके स्थान पर कि मेरे बच्चों या पत्नी को डसा जाए, मैं ही डंक सह लूंगा; अपने परिवार की देखभाल और सुरक्षा मेरे दायित्वों में सर्व-प्रथम जो है। मेरे बच्चों ने एक आवश्यकता को पहचाना, और मुझे उस से अवगत करवा दिया। उन्हें भरोसा था कि मैं उस से उन की सुरक्षा करूँगा जिससे उन्हें डर लग रहा था।

     परमेश्वर के वचन बाइबल में मत्ती 7 अध्याय में, प्रभु यीशु हमें सिखाते हैं कि हमें भी अपनी आवश्यकताएं प्रभु के समक्ष लानी चाहिए (पद 7) और उनके लिए उस पर भरोसा रखना चाहिए। इसे और अधिक अच्छे से समझाने के लिए प्रभु यीशु ने उदाहरण का प्रयोग किया: “तुम में से ऐसा कौन मनुष्य है, कि यदि उसका पुत्र उस से रोटी मांगे, तो वह उसे पत्थर दे? वा मछली मांगे, तो उसे सांप दे?” (पद 9-10)। बच्चों से प्रेम करने वाले माता-पिता का उत्तर तो स्पष्ट है। परन्तु प्रभु यीशु फिर भी स्वयं उत्तर देते हैं, जिसके द्वारा वे हमें पिता परमेश्वर की उदार भलाई में भरोसा न छोड़ने को प्रोत्साहित करते हैं: “सो जब तुम बुरे हो कर, अपने बच्चों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को अच्छी वस्तुएं क्यों न देगा?” (पद 11)।

     मैं अपने बच्चों को और भी अधिक प्रेम करने के किसी तरीके की कल्पना भी नहीं कर सकता हूँ। परन्तु प्रभु यीशु हमें आश्वस्त करते हैं कि पृथ्वी के सर्वोत्तम पिता का अपने बच्चों के प्रति प्रेम, हमारे प्रति परमेश्वर के हमारे प्रति प्रेम के सामने कुछ भी नहीं है। - ऐडम होल्ज़

 

हम अपनी प्रत्येक आवश्यकता के लिए आने पिता पर भरोसा कर सकते हैं।


और अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उसको तुम्हारा ध्यान है। - 1पतरस 5:7

बाइबल पाठ: मत्ती 7:7-11

मत्ती 7:7 मांगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूंढ़ो, तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा।

मत्ती 7:8 क्योंकि जो कोई मांगता है, उसे मिलता है; और जो ढूंढ़ता है, वह पाता है और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा।

मत्ती 7:9 तुम में से ऐसा कौन मनुष्य है, कि यदि उसका पुत्र उस से रोटी मांगे, तो वह उसे पत्थर दे?

मत्ती 7:10 वा मछली मांगे, तो उसे सांप दे?

मत्ती 7:11 सो जब तुम बुरे हो कर, अपने बच्चों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को अच्छी वस्तुएं क्यों न देगा?

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 46-48
  • प्रेरितों 28


सोमवार, 27 जुलाई 2020

देना


     प्रति वर्ष, हमारे विवाह की वर्षगाँठ पर मेरे पति, ऐलन, मुझे फूलों का एक बड़ा गुलदस्ता भेंट करते हैं। जब कंपनी के पुनःसंगठित करने के समय में उनकी नौकरी जाती रही, तो मुझे आशा नहीं थी कि प्रेम की यह महंगी अभिव्यक्ति ज़ारी राखी जा सकेगी। परन्तु उस वर्ष भी, हमारे विवाह की वर्ष गाँठ पर मुझे फूलों का बड़ा सा गुलदस्ता हमारे खाने की मेज़ पर सजा हुआ मिला। क्योंकि ऐलन को यह करना पसंद था, और यह उसके लिए बहुमूल्य था, इसलिए ऐलन हर महीने कुछ पैसा बचा कर रखते थे, जिससे समय आने पर वह अपने प्रेम को दिखा सकें।

     मेरे पति द्वारा योजनाबद्ध रीति से की गई यह बहुतायत की उदारता, परमेश्वर के वचन बाइबल में पौलुस द्वारा कोरिन्थ के मसीही विश्वासियों को कही गई बात के समान है। पौलुस ने कोरिन्थ की मसीही मण्डली की, उनके द्वारा स्वेच्छा और उत्साह के साथ दी गई भेंट के लिए सराहना की (2 कुरिन्थियों 9:2, 5), और उन्हें यह कहकर प्रोत्साहित किया कि परमेश्वर उदारता और प्रसन्नता के साथ देने वालों से आनन्दित होता है (पद 6-7)। यह अपेक्षित भी है क्योंकि हमारे प्रेमी स्वर्गीय पिता से बढ़कर कोई नहीं दे सकता है, और वह हमारी प्रत्येक आवश्यकता की पूर्ति के लिए तैयार रहता है (पद 8-10)।

     हम हर प्रकार के देने और एक-दूसरे की देखभाल करने में उदार हो सकते हैं, क्योंकि हमारा प्रभु हमारी सभी भौतिक, आत्मिक, और भावनात्मक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है (पद 11)। जब हम देते हैं तो हम परमेश्वर के प्रति अपनी कृतज्ञता भी व्यक्त कर सकते हैं, उस सब के लिए जो परमेश्वर ने हमें दिया है। हम औरों को भी प्रोत्साहित कर सकते हैं कि वे भी उसमें से जो परमेश्वर ने उन्हें दिया है उदारता से दें और प्रभु की आराधना करें (पद 12-13)।

     खुले हाथों से देना, प्रेम और कृतज्ञता की उदार अभिव्यक्ति, परमेश्वर में हमारे भरोसे को व्यक्त करता है कि वह अपने लोगों की सभी आवश्यकताओं का प्रावधान करता है, उनकी आवश्यकता के अनुसार देता है। - होकिटिल डिक्सन

 

उदारता से देना परमेश्वर के प्रावधानों में विश्वास का चिह्न है।

 

जिनका भला करना चाहिये, यदि तुझ में शक्ति रहे, तो उनका भला करने से न रुकना। यदि तेरे पास देने को कुछ हो, तो अपने पड़ोसी से न कहना कि जा कल फिर आना, कल मैं तुझे दूंगा। - नीतिवचन 3:27-28

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 9:6-15

2कुरिन्थियों 9:6 परन्तु बात तो यह है, कि जो थोड़ा बोता है वह थोड़ा काटेगा भी; और जो बहुत बोता है, वह बहुत काटेगा।

2कुरिन्थियों 9:7 हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करे न कुढ़ कुढ़ के, और न दबाव से, क्योंकि परमेश्वर हर्ष से देने वाले से प्रेम रखता है।

2कुरिन्थियों 9:8 और परमेश्वर सब प्रकार का अनुग्रह तुम्हें बहुतायत से दे सकता है जिस से हर बात में और हर समय, सब कुछ, जो तुम्हें आवश्यक हो, तुम्हारे पास रहे, और हर एक भले काम के लिये तुम्हारे पास बहुत कुछ हो।

2कुरिन्थियों 9:9 जैसा लिखा है, उसने बिथराया, उसने कंगालों को दान दिया, उसका धर्म सदा बना रहेगा।

2कुरिन्थियों 9:10 सो जो बोने वाले को बीज, और भोजन के लिये रोटी देता है वह तुम्हें बीज देगा, और उसे फलवन्त करेगा; और तुम्हारे धर्म के फलों को बढ़ाएगा।

2कुरिन्थियों 9:11 कि तुम हर बात में सब प्रकार की उदारता के लिये जो हमारे द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद करवाती है, धनवान किए जाओ।

2कुरिन्थियों 9:12 क्योंकि इस सेवा के पूरा करने से, न केवल पवित्र लोगों की घटियां पूरी होती हैं, परन्तु लोगों की ओर से परमेश्वर का बहुत धन्यवाद होता है।

2कुरिन्थियों 9:13 क्योंकि इस सेवा से प्रमाण ले कर वे परमेश्वर की महिमा प्रगट करते हैं, कि तुम मसीह के सुसमाचार को मान कर उसके आधीन रहते हो, और उन की, और सब की सहायता करने में उदारता प्रगट करते रहते हो।

2कुरिन्थियों 9:14 ओर वे तुम्हारे लिये प्रार्थना करते हैं; और इसलिये कि तुम पर परमेश्वर का बड़ा ही अनुग्रह है, तुम्हारी लालसा करते रहते हैं।

2कुरिन्थियों 9:15 परमेश्वर को उसके उस दान के लिये जो वर्णन से बाहर है, धन्यवाद हो।

 

एक साल में बाइबल: 
    • भजन 40-42
    • प्रेरितों 27:1-26

रविवार, 26 जुलाई 2020

सेवा


     कुछ लोग एक साथ खड़े थे, और आँगन में गिरे हुए एक विशाल वृक्ष को देख रहे थे। एक वृद्ध महिला, अपनी छड़ी के सहारे खड़ी हुई, रात आए तूफ़ान और उसके कारण उस वृक्ष के गिर जाने का वर्णन कर रही थी। उसने भरभराई आवाज़ में कहा, “न केवल यह पेड़ गिरा, परन्तु इससे पत्थरों से बनी हमारे आँगन की सुन्दर दीवार भी गिर गई, जिसे मेरे पति ने हमारे विवाह के वर्ष में बनाया था। उन्हें वह दीवार बहुत पसंद थी, और मुझे भी वह बहुत पसंद थी! अब उनके समान यह दीवार भी जाती रही है।”

     अगली प्रातः उसने खिड़की से बाहर झाँक कर देखा कि कंपनी के कर्मचारी आकर उस गिरे हुए पेड़ को हटा रहे थे; साथ ही कुछ और भी हो रहा था, जिसे देखकर उसके चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कराहट आ गई। गिरे हुए पेड़ के डालियों के बीच में से उसने देखा कि दो वयस्क आदमी और एक लड़का जो उसके लॉन की घास काटता था, उसकी प्रिय दीवार की मरम्मत करने के सामान के साथ वहां थे और दीवार के नाप ले रहे थे, जिससे उसकी प्रिय दीवार को फिर से बना दें।

     परमेश्वर के वचन बाइबल में यशायाह भविष्यद्वक्ता उस सेवा का वर्णन करता है जो परमेश्वर को पसंद है: ऐसे कार्य जो हमारे आस-पास के लोगों के मनों को प्रसन्न करते हैं, जैसे कि उन दीवार की मरम्मत करने वालों ने उस वृद्ध महिला के लिए किया था। बाइबल का यह खण्ड यह भी बताता है कि परमेश्वर धार्मिक क्रियाओं के व्यर्थ निर्वाह करने के स्थान पर निःस्वार्थ सेवा को अधिक मूल्यवान समझता है। यथार्थ में, परमेश्वर अपने बच्चों द्वारा की गई निःस्वार्थ सेवा पर दोहरी आशीष देता है। पहले, परमेश्वर हमारी स्वेच्छा से की गई सेवा को शोषित और आवश्यकता में पड़े लोगों की सहायता के लिए प्रयोग करता है (यशायाह 58:7-10)। फिर वह जो इस सेवा में लगे हैं, उनको आदर प्रदान करता है, उनकी प्रतिष्ठा को बना या बढ़ा कर, जिससे वे उसके राज्य में प्रबल सकारात्मक प्रभाव हों (पद 11, 12)।

     आज आप परमेश्वर के लिए क्या सेवा अर्पित करेंगे? – रैंडी किल्गोर

 

दूसरों की निःस्वार्थ सेवा से परमेश्वर को आदर मिलता है।


 अपनी रोटी जल के ऊपर डाल दे, क्योंकि बहुत दिन के बाद तू उसे फिर पाएगा। - सभोपदेशक 11:1

बाइबल पाठ: यशायाह 58:6-12

यशायाह 58:6 जिस उपवास से मैं प्रसन्न होता हूं, वह क्या यह नहीं, कि, अन्याय से बनाए हुए दासों, और अन्धेर सहने वालों का जुआ तोड़कर उन को छुड़ा लेना, और, सब जूओं को टुकड़े टुकड़े कर देना?

यशायाह 58:7 क्या वह यह नहीं है कि अपनी रोटी भूखों को बांट देना, अनाथ और मारे मारे फिरते हुओं को अपने घर ले आना, किसी को नंगा देखकर वस्त्र पहनाना, और अपने जाति-भाइयों से अपने को न छिपाना?

यशायाह 58:8 तब तेरा प्रकाश पौ फटने के समान चमकेगा, और तू शीघ्र चंगा हो जाएगा; तेरा धर्म तेरे आगे आगे चलेगा, यहोवा का तेज तेरे पीछे रक्षा करते चलेगा।

यशायाह 58:9 तब तू पुकारेगा और यहोवा उत्तर देगा; तू दुहाई देगा और वह कहेगा, मैं यहां हूं। यदि तू अन्धेर करना और उंगली मटकाना, और, दुष्ट बातें बोलना छोड़ दे,

यशायाह 58:10 उदारता से भूखे की सहायता करे और दीन दु:खियों को सन्तुष्ट करे, तब अन्धियारे में तेरा प्रकाश चमकेगा, और तेरा घोर अन्धकार दोपहर का सा उजियाला हो जाएगा।

यशायाह 58:11 और यहोवा तुझे लगातार लिये चलेगा, और काल के समय तुझे तृप्त और तेरी हड्डियों को हरी भरी करेगा; और तू सींची हुई बारी और ऐसे सोते के समान होगा जिसका जल कभी नहीं सूखता।

यशायाह 58:12 और तेरे वंश के लोग बहुत काल के उजड़े हुए स्थानों को फिर बसाएंगे; तू पीढ़ी पीढ़ी की पड़ी हुई नेव पर घर उठाएगा; तेरा नाम टूटे हुए बाड़े का सुधारक और पथों का ठीक करने वाला पड़ेगा।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 40-42
  • प्रेरितों 27:1-26


शनिवार, 25 जुलाई 2020

सिद्ध


     मेरे कॉलेज के एक प्रोफ़ेसर ने मेरी बिलकुल सिद्ध कार्य करने की अभिलाषा के कारण काम करने को टालने की प्रवृति के विषय मुझे कुछ अच्छा परामर्श दिया। उनहोंने कहा, “सिद्धता को अच्छे होने का शत्रु मत बनने दो,” उन्होंने समझाते हुए कहा, सिद्ध प्रदर्शन के प्रयास में मैं बढ़ोतरी के लिए आवश्यक जोखिम उठाने से अपने आप को रोके रख सकती हूँ। यह स्वीकार कर लेना कि मैं सदा ही असिद्ध रहूँगी, मुझे बढ़ोतरी के लिए प्रयास करने की स्वतंत्रता देगा।

     परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस इससे भी गंभीर कारण बताता है कि हम स्वयं को सिद्ध बनाने के प्रयासों को छोड़ दें – क्योंकि यह हमें प्रभु यीशु की हमारी आवश्यकता के प्रति अँधा कर सकता है। पौलुस ने इस तथ्य को कठिन तरीके से सीखा था। वह वर्षों तक सिद्धता से परमेश्वर की व्यवस्था के पालन के लिए प्रयास करता रहा। लेकिन जब उसका प्रभु यीशु से सामना हुआ तो उस से सब कुछ बदल गया (गलातियों 1:11-16)। पौलुस को बोध हुआ कि परमेश्वर के समक्ष सही और पूर्ण होने के लिए यदि उसके अपने प्रयास पर्याप्त होते, तो फिर प्रभु यीशु को मरने की कोई आवश्यकता ही नहीं थी (गलातियों 2:21)। केवल अपने इस प्रयास को छोड़ देने के द्वारा, अपने आप पर निर्भर होने की अपनी प्रवृति का त्याग कर देने के बाद ही, वह प्रभु यीशु को अपने अन्दर निवास करते हुए अनुभव कर सका (पद 20)। अपनी असिद्धता में ही वह परमेश्वर की सिद्ध सामर्थ्य को अनुभव कर सका।

     इसका यह अभिप्राय नहीं है कि हम पाप का प्रतिरोध करना छोड़ दें (पद 17); परन्तु इसका यह अर्थ अवश्य है कि हम अपनी आत्मिक बढ़ोतरी के लिए अपने प्रयासों पर भरोसा करना छोड़ दें (पद 20)। हमारे पृथ्वी के जीवन में हम सदा ही “कार्य प्रगति पर है” बने रहेंगे। परन्तु जब हम दीन होकर उस सर्वसिद्ध प्रभु परमेश्वर की हमारी निरंतर बनी रहने वाली आवश्यकता को स्वीकार करेंगे, तो वह  हमारे अन्दर घर बनाएगा और रहेगा (इफिसियों 3:17)।

     उस सर्व सिद्ध में अपने जीवनों की जड़ें जमा कर हम उसके प्रेम में और अधिक बढ़ते जाने के लिए पूर्णतः स्वतंत्र हैं, और वह हमें अपने सिद्ध स्वरूप में ढालता चला जाएगा (2 कुरिन्थियों 3:18)। - मोनिका ब्रैंड्स

 

हम सिद्ध यीशु के प्रेम में बढ़ते जाने के लिए स्वतंत्र हैं।


परन्तु जब हम सब के उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्‍वी रूप में अंश अंश कर के बदलते जाते हैं। - (2 कुरिन्थियों 3:18)

बाइबल पाठ: गलातियों 2:17-21

गलातियों 2:17 हम जो मसीह में धर्मी ठहरना चाहते हैं, यदि आप ही पापी निकलें, तो क्या मसीह पाप का सेवक है? कदापि नहीं।

गलातियों 2:18 क्योंकि जो कुछ मैं ने गिरा दिया, यदि उसी को फिर बनाता हूं, तो अपने आप को अपराधी ठहराता हूं।

गलातियों 2:19 मैं तो व्यवस्था के द्वारा व्यवस्था के लिये मर गया, कि परमेश्वर के लिये जीऊं।

गलातियों 2:20 मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूं, और अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है: और मैं शरीर में अब जो जीवित हूं तो केवल उस विश्वास से जीवित हूं, जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिसने मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया।

गलातियों 2:21 मैं परमेश्वर के अनुग्रह को व्यर्थ नहीं ठहराता, क्योंकि यदि व्यवस्था के द्वारा धामिर्कता होती, तो मसीह का मरना व्यर्थ होता।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 37-39
  • प्रेरितों 26


शुक्रवार, 24 जुलाई 2020

समझ


     मेरे कुछ मित्र हैं जिन्हें आंशिक चंगाई तो मिली है, किन्तु उन्हें अभी भी अपनी अस्वस्थता के दुखद पहलुओं से अभी भी संघर्ष करना पड़ता है। एनी मित्रों को उनकी किसी लत से चंगाई मिली है परन्तु वे अभी भी आत्म-ग्लानि और अयोग्यता की भावनाओं के साथ संघर्ष करते हैं। और मैं विचार करता हूँ कि परमेश्वर उन्हें एक ही बार में पूर्णतया चंगा क्यों नहीं कर देता है?

     परमेश्वर के वचन बाइबल में हम मरकुस 8:22-26 में प्रभु यीशु द्वारा जन्म के अंधे मनुष्य की चंगाई की घटना को पढ़ते हैं। यीशु उस अंधे आदमी को पहले गाँव से बाहर ले गया, फिर उसने उस आदमी की आँखों पर थूका और उनपर अपने हाथ रखे। आदमी ने कहा कि वह देख तो सकता है, परन्तु उसे आदमी चलते हुए, और पेड़ों के समान दिखाई देते हैं। प्रभु यीशु ने फिर से उस आदमी की आँखों को छुआ, और अब वह आदमे सब कुछ स्पष्ट देखने लगा।

     पृथ्वी पर उसकी सेवकाई के दिनों में यीशु की कार्यों ने बहुधा उसके अनुयायियों और भीड़ को चकित किया, दुविधा में डाला (मत्ती 7:28; लूका 8:10; 11:14) जिस से कुछ तो उसे छोड़ कर भी चले गए (यूहन्ना 6:60-66)। निःसंदेह इस दो भागों में किए गए आश्चर्यकर्म से भी लोग असमंजस में पड़े होंगे। उस आदमी को एक ही बार में और तुरंत ही पूरी चंगाई क्यों नहीं दे दी गई?

     हम नहीं जानते क्यों; परन्तु प्रभु यीशु जानते थे की उस आदमी को, और वहाँ उपस्थित प्रभु के शिष्यों को, उस स्थिति और उस समय में क्या आवश्यक था। और आज वह हमारे विषय भी जानता है कि उसकी निकटता में बढ़ने के लिए हमें आज हमें किसे बात की आवश्यकता है। चाहे हम हमेशा समझ न सकें, हम भरोसा रख सकते हैं  कि परमेश्वर हमारे तथा हमारे प्रिय जनों के जीवनों में कार्यरत है। और वह हमें सामर्थ्य, साहस, और स्पष्टता प्रदान करेगा कि हम उसके पीछे चलते रहें। - एलिसन कीडा

 

प्रभु, हमारी आँखें खोलिए, हम यीशु को देखना चाहते हैं। - रोबर्ट कल


जब यीशु ये बातें कह चुका, तो ऐसा हुआ कि भीड़ उसके उपदेश से चकित हुई। क्योंकि वह उन के शास्‍त्रियों के समान नहीं परन्तु अधिकारी के समान उन्हें उपदेश देता था। - मत्ती 7:28-29

बाइबल पाठ: मरकुस 8:22-26

मरकुस 8:22 और वे बैतसैदा में आए; और लोग एक अन्धे को उसके पास ले आए और उस से बिनती की, कि उसको छूए।

मरकुस 8:23 वह उस अन्धे का हाथ पकड़कर उसे गांव के बाहर ले गया, और उस की आंखों में थूककर उस पर हाथ रखे, और उस से पूछा; क्या तू कुछ देखता है?

मरकुस 8:24 उसने आंख उठा कर कहा; मैं मनुष्यों को देखता हूं; क्योंकि वे मुझे चलते हुए दिखाई देते हैं, जैसे पेड़।

मरकुस 8:25 तब उसने फिर दोबारा उस की आंखों पर हाथ रखे, और उसने ध्यान से देखा, और चंगा हो गया, और सब कुछ साफ साफ देखने लगा।

मरकुस 8:26 और उसने उस से यह कहकर घर भेजा, कि इस गांव के भीतर पांव भी न रखना।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 35-36
  • प्रेरितों 25


गुरुवार, 23 जुलाई 2020

चौकसी


     उसके स्कूल के लिए दरवाज़े के बाहर भाग जाने से पहले मैंने अपने बेटे से पूछा कि उसने अपने दांत साफ़ कर लिए थे कि नहीं। उसे सच बोलने के महत्त्व को समझाते हुए, मैंने उससे दोबारा यही प्रश्न पूछा। मेरी हलकी सी चेतावनी की परवाह किए बिना, उसने कुछ विनोद के साथ मुझ से कहा कि मुझे बाथरूम में एक सुरक्षा कैमरा लगवा लेना चाहिए। तब मुझे कुछ पूछने के आवश्यकता ही नहीं होगी, और मैं अपने आप जाँचने पाऊँगी कि उसने दांत साफ़ किए हैं अथवा नहीं, और वह भी झूठ बोलने के प्रलोभन से बचा रहेगा।

     चाहे सुरक्षा कैमरा की उपस्थिति हमारे लिए नियमों का पालन करने को स्मरण रखने में सहायक हो सकती है, परन्तु फिर भी ऐसे अनेकों स्थान होते हैं जहाँ हम बिना कैमरे द्वारा देखे रह सकते हैं, या उस से बच सकते हैं। हम सुरक्षा कैमरा से तो बच सकते हैं, या उसे झाँसा दे सकते हैं, परन्तु हम अपने आप को धोखा देते हैं यदि यह समझते हैं कि हम कभी भी परमेश्वर की दृष्टि से ओझल हो सकते हैं।

     परमेश्वर ने अपने वचन बाइबल में पूछा है, “फिर यहोवा की यह वाणी है, क्या कोई ऐसे गुप्त स्थानों में छिप सकता है, कि मैं उसे न देख सकूं? क्या स्वर्ग और पृथ्वी दोनों मुझ से परिपूर्ण नहीं हैं?” (यिर्मयाह 23:24)। उसके इस प्रश्न में चेतावनी भी है और प्रोत्साहन भी। चेतावनी यह है की हम कभी परमेश्वर की दृष्टि से ओझल नहीं हो सकते हैं, कभी उसे धोखा नहीं दे सकते हैं, कभी उससे आगे नहीं निकल सकते हैं। हम जो कुछ भी करते हैं, उसे सब दिखता रहता है।

     प्रोत्साहन यह कि संसार या आकाश में ऐसा कोई स्थान नहीं है जहाँ हम अपने स्वर्गीय परमेश्वर पिता की चौकसी से बाहर हों। हम चाहे अपने आप को अकेला अनुभव करें, परमेश्वर फिर भी हमारे साथ होता है। हम चाहे जहाँ चले जाएँ, परन्तु उसके इस सत्य का एहसास हमें सदा प्रोत्साहित करता रहे कि हम उसके वचन के आज्ञाकारी बने रहें, क्योंकि वह हम पर चौकसी रखता है। - लीसा सामरा

 

हम अपने स्वर्गीय परमेश्वर पिता की चौकसी के कभी बाहर नहीं होते हैं।


मैं तेरे आत्मा से भाग कर किधर जाऊं? वा तेरे साम्हने से किधर भागूं? यदि मैं आकाश पर चढूं, तो तू वहां है! यदि मैं अपना बिछौना अधोलोक में बिछाऊं तो वहां भी तू है!  - भजन 139:7-8

बाइबल पाठ: यिर्मयाह 23:20-24

यिर्मयाह 23:20 जब तक यहोवा अपना काम और अपनी युक्तियों को पूरी न कर चुके, तब तक उसका क्रोध शान्त न होगा। अन्त के दिनों में तुम इस बात को भली भांति समझ सकोगे।

यिर्मयाह 23:21 ये भविष्यद्वक्ता बिना मेरे भेजे दौड़ जाते और बिना मेरे कुछ कहे भविष्यद्वाणी करने लगते हैं।

यिर्मयाह 23:22 यदि ये मेरी शिक्षा में स्थिर रहते, तो मेरी प्रजा के लोगों को मेरे वचन सुनाते; और वे अपनी बुरी चाल और कामों से फिर जाते।

यिर्मयाह 23:23 यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं ऐसा परमेश्वर हूँ, जो दूर नहीं, निकट ही रहता हूँ?

यिर्मयाह 23:24 फिर यहोवा की यह वाणी है, क्या कोई ऐसे गुप्त स्थानों में छिप सकता है, कि मैं उसे न देख सकूं? क्या स्वर्ग और पृथ्वी दोनों मुझ से परिपूर्ण नहीं हैं?

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 33-34
  • प्रेरितों 24


बुधवार, 22 जुलाई 2020

आशा


     मेरे द्वारा सन 1988 से लेकर अब तक Our Daily Bread के लिए लिखे गए सैंकड़ों लेखों में से कुछ हैं जो मेरे मन में बस गए हैं। इनमें से एक लेख है जिसे मैंने 1990 के दशक के मध्य के समय लिखा था, जिसमें मैंने उस समय के बारे में बताया था जब हमारी तीनो बेटियाँ घर से बाहर या तो किसी कैम्प अथवा मिशन दौरे पर गई हुई थीं, और हमारा छः वर्षीय बेटा स्टीव हमारे साथ था।

     एक दिन स्टीव के साथ बाहर सैर पर जाते हुए, उसने कहा, “बिना मेलिस्सा के यह उतना मज़ेदार नहीं है” – मेलिस्सा उसकी आठ वर्षीय बहन थी, और दोनों की आपस में बहुत पटती थी। उस समय हम में से कोई नहीं जानता था कि उसके ये शब्द आगे कितने मार्मिक हो जाएँगे। कुछ वर्ष बाद, किशोरावस्था में मेलिस्सा की एक कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई; और तब से उसके बिना जीवन वास्तव में “उतना मज़ेदार” नहीं रह गया है। समय के साथ उसके जाने का दुःख कम अवश्य हुआ है, परन्तु पूरी तरह से गया नहीं है, और न ही जाएगा। समय उस घाव को पूरी तरह कभी नहीं भरने पाएगा। परन्तु फिर भी कुछ है जो सहायता करता है – परमेश्वर को उसके वचन बाइबल में होकर सुनना, उस पर मनन करना, और उसकी शान्ति का स्वाद लेना।

     सुनना: “हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है” (विलापगीत 3:22)।

     मनन करना: “क्योंकि वह तो मुझे विपत्ति के दिन में अपने मण्डप में छिपा रखेगा; अपने तम्बू के गुप्त स्थान में वह मुझे छिपा लेगा, और चट्टान पर चढ़ाएगा” (भजन संहिता 27:5)।

     स्वाद लेना:  मेरे दु:ख में मुझे शान्ति उसी से हुई है, क्योंकि तेरे वचन के द्वारा मैं ने जीवन पाया है” (भजन 119:50)।

     जब हमारा कोई प्रिय जन जाता रहता है तो जीवन कभी पहले जैसा नहीं होने पाता है, परन्तु परमेश्वर की प्रतिज्ञाएँ आशा और शान्ति प्रदान करती हैं। - डेव ब्रैनन

 

परमेश्वर का वचन सच्ची शान्ति का स्त्रोत है।


तेरी व्यवस्था से प्रीति रखने वालों को बड़ी शान्ति होती है; और उन को कुछ ठोकर नहीं लगती। - भजन 119:165

बाइबल पाठ: भजन 34:15-18

भजन संहिता 34:15 यहोवा की आंखे धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान भी उसकी दोहाई की ओर लगे रहते हैं।

भजन संहिता 34:16 यहोवा बुराई करने वालों के विमुख रहता है, ताकि उनका स्मरण पृथ्वी पर से मिटा डाले।

भजन संहिता 34:17 धर्मी दोहाई देते हैं और यहोवा सुनता है, और उन को सब विपत्तियों से छुड़ाता है।

भजन संहिता 34:18 यहोवा टूटे मन वालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 31-32
  • प्रेरितों 23:16-35


मंगलवार, 21 जुलाई 2020

शरण स्थान


     जब मैं ओक्लाहोमा में रहता था, तो मेरा एक मित्र था, जॉन, जो चक्रवाधी तूफानों का “पीछा” करता था। जॉन बड़े ध्यान से अपने समान अन्य तूफ़ान का पीछा करने वालों के और स्थानीय रडार यंत्र के साथ संपर्क में बना रहता था, और उनकी सहायता से एक सुरक्षित दूरी से लोगों को उस चक्रवाध की स्थिति, दिशा, और संभावित मार्ग बताता रहता था, जिससे जो लोग उस तूफ़ान के मार्ग में हों, वे अपनी सुरक्षा की तैयारी कर लें। एक दिन एक चक्रवाध ने अचानक और इतनी तीव्रता से अपनी दिशा बदली कि जॉन बड़े खतरे में पड़ गया। किन्तु संयोग से उसे एक शरण स्थान मिल गया, और वह वहाँ सुरक्षित रह सका।

     जॉन के उस दोपहर के अनुभव से मुझे एक अन्य विनाशकारी बात का स्मरण हो आता है – हमारे जीवनों में बसा हुआ पाप। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बताती है, “परन्तु प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही अभिलाषा में खिंच कर, और फंस कर परीक्षा में पड़ता है। फिर अभिलाषा गर्भवती हो कर पाप को जनती है और पाप जब बढ़ जाता है तो मृत्यु को उत्पन्न करता है” (याकूब 1:14-15)। इस पद में पाप के दुष्परिणामों का एक क्रम दिया गया है। वह जो आरम्भ में अहानिकारक प्रतीत होता है, वही अचानक ही नियंत्रण से बाहर होकर विनाशकारी बन सकता है। परन्तु हम मसीही विश्वासियों को हमारा प्रभु परमेश्वर एक शरण स्थान प्रदान करता है, जो हमें सदा उपलब्ध रहता है।

     परमेश्वर का वचन हमें यह भी आश्वासन देता है कि कभी भी परमेश्वर हमें किसी परीक्षा में नहीं डालता है, और हम अपने बुरे या गलत चुनावों के लिए अपने आप को ही दोषी कह सकते हैं। परमेश्वर का आश्वासन है “तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है: और परमेश्वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ्य से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको” (1 कुरिन्थियों 10:13)। जब हम उसकी ओर मुड़ते हैं, और परीक्षा की घड़ी में उससे सहायता की प्रार्थना करते हैं, तब हमारा प्रभु हमें उस परिस्थिति पर जयवंत होने तथा सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक सामर्थ्य एवं मार्गदर्शन भी उपलब्ध करवाता है।

     प्रभु यीशु सदा हमारा दृढ़ और विश्वसनीय शरण स्थान है। - जेम्स बैंक्स

 

जगत का उद्धारकर्ता प्रभु यीशु, हमारे जीवनों के तूफानों में हमारा शरण स्थान है।


परन्तु परमेश्वर के समीप रहना, यही मेरे लिये भला है; मैं ने प्रभु यहोवा को अपना शरण स्थान माना है, जिस से मैं तेरे सब कामों का वर्णन करूं। - भजन 73:28

बाइबल पाठ: याकूब 1:12-18

याकूब 1:12 धन्य है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है; क्योंकि वह खरा निकल कर जीवन का वह मुकुट पाएगा, जिस की प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों को दी है।

याकूब 1:13 जब किसी की परीक्षा हो, तो वह यह न कहे, कि मेरी परीक्षा परमेश्वर की ओर से होती है; क्योंकि न तो बुरी बातों से परमेश्वर की परीक्षा हो सकती है, और न वह किसी की परीक्षा आप करता है।

याकूब 1:14 परन्तु प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही अभिलाषा में खिंच कर, और फंस कर परीक्षा में पड़ता है।

याकूब 1:15 फिर अभिलाषा गर्भवती हो कर पाप को जनती है और पाप जब बढ़ जाता है तो मृत्यु को उत्पन्न करता है।

याकूब 1:16 हे मेरे प्रिय भाइयों, धोखा न खाओ।

याकूब 1:17 क्योंकि हर एक अच्छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है, और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है, जिस में न तो कोई परिवर्तन हो सकता है, ओर न अदल बदल के कारण उस पर छाया पड़ती है।

याकूब 1:18 उसने अपनी ही इच्छा से हमें सत्य के वचन के द्वारा उत्पन्न किया, ताकि हम उस की सृष्‍टि की हुई वस्‍तुओं में से एक प्रकार के प्रथम फल हों।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 29-30
  • प्रेरितों 23:1-15


सोमवार, 20 जुलाई 2020

घर


     मेरे बेटे ने मुझ से पूछा, “हमें अपना घर छोड़कर दूसरे स्थान पर क्यों जाना पड़ रहा है?” किसी को भी, विशेषकर एक पाँच वर्षीय बालक को यह समझा पाना कठिन है कि घर क्या होता है। हम एक मकान छोड़ रहे थे, घर नहीं, इस अर्थ में कि घर वह स्थान है जहाँ हमारे प्रिय जन हैं; घर वह स्थान है जहाँ लौटने के लिए हम लालायित रहते हैं, चाहे दिन भर के काम के बाद, या किसी लंबी यात्रा के बाद।

     परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि अपनी मृत्यु से कुछ ही घंटे पहले, प्रभु यीशु जब अपने शिष्यों के साथ ऊपर के कमरे में थे, तब उन्होंने उन से कहा, “तुम्हारा मन व्याकुल न हो, तुम परमेश्वर पर विश्वास रखते हो मुझ पर भी विश्वास रखो” (यूहन्ना 14:1)। क्योंकि प्रभु यीशु ने अपनी मृत्यु की भविष्यवाणी की थी, इसलिए शिष्य अपने भविष्य को लेकर दुविधा में थे। परन्तु प्रभु यीशु ने उनके साथ अपनी उपस्थिति के विषय उन्हें आश्वस्त किया, और उन्हें स्मरण करवाया कि वे फिर से उन्हें देखेंगे। प्रभु ने उन से कहा, “मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते, तो मैं तुम से कह देता क्योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूं” (पद 2)। स्वर्ग के बारे में बताने के लिए प्रभु अन्य शब्द भी प्रयोग कर सकते थे। परन्तु उन्होंने वो शब्द चुनें जो किसी असुविधाजनक या अपरिचित स्थान के बारे में नहीं थे, वरन ऐसे स्थान के बारे में थे जहाँ हमारा प्रिय जन, प्रभु यीशु स्वयं होगा।

     सी. एस. ल्युइस ने लिखा, “हमारी यात्रा में हमारा परमेश्वर पिता हमें अनेकों आरामदायक सरायों में लाकर हमें तरोताज़ा करता है, परन्तु हमें कभी यह सोचने के लिए प्रोत्साहित नहीं करता है कि हम उन्हें अपना घर समझ लें।” हम जीवन यात्रा के आरामदायक पड़ावों के लिए प्रभु परमेश्वर के धन्यवादी हो सकते हैं, परन्तु यह सदा स्मरण रखें कि हमारा वास्तविक घर स्वर्ग में है, जहाँ “हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे” (1 थिस्सलुनीकियों 4:17)। कीला ओकोआ

 

हम प्रभु के साथ अनन्तकाल की राह देख रहे हैं।


तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उन के साथ बादलों पर उठा लिये जाएंगे, कि हवा में प्रभु से मिलें, और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे। - 1 थिस्स्लुनीकियों 4:17

बाइबल पाठ: युहन्ना 14:1-14

यूहन्ना 14:1 तुम्हारा मन व्याकुल न हो, तुम परमेश्वर पर विश्वास रखते हो मुझ पर भी विश्वास रखो।

यूहन्ना 14:2 मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते, तो मैं तुम से कह देता क्योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूं।

यूहन्ना 14:3 और यदि मैं जा कर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूं, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहां ले जाऊंगा, कि जहां मैं रहूं वहां तुम भी रहो।

यूहन्ना 14:4 और जहां मैं जाता हूं तुम वहां का मार्ग जानते हो।

यूहन्ना 14:5 थोमा ने उस से कहा, हे प्रभु, हम नहीं जानते कि तू कहां जाता है तो मार्ग कैसे जानें?

यूहन्ना 14:6 यीशु ने उस से कहा, मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता।

यूहन्ना 14:7 यदि तुम ने मुझे जाना होता, तो मेरे पिता को भी जानते, और अब उसे जानते हो, और उसे देखा भी है।

यूहन्ना 14:8 फिलेप्पुस ने उस से कहा, हे प्रभु, पिता को हमें दिखा दे: यही हमारे लिये बहुत है।

यूहन्ना 14:9 यीशु ने उस से कहा; हे फिलेप्पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूं, और क्या तू मुझे नहीं जानता? जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है: तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा।

यूहन्ना 14:10 क्या तू प्रतीति नहीं करता, कि मैं पिता में हूं, और पिता मुझ में हैं? ये बातें जो मैं तुम से कहता हूं, अपनी ओर से नहीं कहता, परन्तु पिता मुझ में रहकर अपने काम करता है।

यूहन्ना 14:11 मेरी ही प्रतीति करो, कि मैं पिता में हूं; और पिता मुझ में है; नहीं तो कामों ही के कारण मेरी प्रतीति करो।

यूहन्ना 14:12 मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जो मुझ पर विश्वास रखता है, ये काम जो मैं करता हूं वह भी करेगा, वरन इन से भी बड़े काम करेगा, क्योंकि मैं पिता के पास जाता हूं।

यूहन्ना 14:13 और जो कुछ तुम मेरे नाम से मांगोगे, वही मैं करूंगा कि पुत्र के द्वारा पिता की महिमा हो।

यूहन्ना 14:14 यदि तुम मुझ से मेरे नाम से कुछ मांगोगे, तो मैं उसे करूंगा।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 26-28
  • प्रेरितों 22



रविवार, 19 जुलाई 2020

क्रूस


     मेरा एक सहकर्मी, जो कैंसर से बच कर आया है, अपने डेस्क पर कांच का एक क्रूस सदा रखता है। उसे यह क्रूस उसके समान एक अन्य कैंसर से बच कर आए उसके एक मित्र ने दिया था, जिससे वह हर बात को क्रूस में से होकर देख सके। वह कांच का क्रूस उसे सदा परमेश्वर के प्रेम और उसके लिए परमेश्वर के भले उद्देश्यों को स्मरण दिलाता है।

     यह हम सभी मसीही विश्वासियों के लिए एक चुनौतीपूर्ण विचार है, विशेषकर कठिन परिस्थितियों में; क्योंकि हमारे लिए परमेश्वर के प्रेम पर ध्यान केन्द्रित रखने से अधिक सरल अपनी ही समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित रखना होता है।

     परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि प्रेरित पौलुस का जीवन निःसंदेह क्रूस के दृष्टिकोण को सामने रखकर व्यतीत किया गया जीवन था। पौलुस ने अपने दुःख और सताव के समय के लिए कहा, “सताए तो जाते हैं; पर त्यागे नहीं जाते; गिराए तो जाते हैं, पर नाश नहीं होते” (2 कुरिन्थियों 4:9)। उसका विश्वास था कि कठिन समयों में भी परमेश्वर हम में होकर और हमारे लिए कार्य कर रहा है, “क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्‍लेश हमारे लिये बहुत ही महत्‍वपूर्ण और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है। और हम तो देखी हुई वस्‍तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्‍तुओं को देखते रहते हैं, क्योंकि देखी हुई वस्तुएं थोड़े ही दिन की हैं, परन्तु अनदेखी वस्तुएं सदा बनी रहती हैं” (2 कुरिन्थियों 4:17-18)।

     अनदेखी वस्तुओं को देखते रहने का अर्थ यह नहीं है कि हम अपनी समस्याओं का आंकलन कम या हलका करके करें। इस खंड पर अपनी व्याख्या में पॉल बार्नेट इसे समझाता है, “हमारे लिए परमेश्वर के उद्देश्यों पर आधारित भरोसा तो होना ही है ... दूसरी ओर हमें यह भी गंभीर बोध रहता है कि जिस आशा में हम जीते हुए कराहते हैं उसके साथ दुःख भी मिला हुआ है।”

     प्रभु यीशु ने क्रूस पर हमारे लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। उसका प्रेम बहुत गहरा और बलिदान से भरा हुआ है। जब हम क्रूस के दृष्टिकोण से जीवन को देखते हैं, तो हमें उसका यही प्रेम और विश्वासयोग्यता दिखाई देती है, और उसका क्रूस हम में एक भरोसा उत्पन्न करता और बढ़ाता रहता है। -  एनी सेटास

 

हर बात को क्रूस के दृष्टिकोण से देखें।


क्योंकि क्रूस की कथा नाश होने वालों के निकट मूर्खता है, परन्तु हम उद्धार पाने वालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ्य है। - 1 कुरिन्थियों 1:18

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 4:8-18

2 कुरिन्थियों 4:8 हम चारों ओर से क्‍लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरूपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते।

2 कुरिन्थियों 4:9 सताए तो जाते हैं; पर त्यागे नहीं जाते; गिराए तो जाते हैं, पर नाश नहीं होते।

2 कुरिन्थियों 4:10 हम यीशु की मृत्यु को अपनी देह में हर समय लिये फिरते हैं; कि यीशु का जीवन भी हमारी देह में प्रगट हो।

2 कुरिन्थियों 4:11 क्योंकि हम जीते जी सर्वदा यीशु के कारण मृत्यु के हाथ में सौंपे जाते हैं कि यीशु का जीवन भी हमारे मरणहार शरीर में प्रगट हो।

2 कुरिन्थियों 4:12 सो मृत्यु तो हम पर प्रभाव डालती है और जीवन तुम पर।

2 कुरिन्थियों 4:13 और इसलिये कि हम में वही विश्वास की आत्मा है, (जिस के विषय मे लिखा है, कि मैं ने विश्वास किया, इसलिये मैं बोला) सो हम भी विश्वास करते हैं, इसी लिये बोलते हैं।

2 कुरिन्थियों 4:14 क्योंकि हम जानते हैं, जिसने प्रभु यीशु को जिलाया, वही हमें भी यीशु में भागी जानकर जिलाएगा, और तुम्हारे साथ अपने साम्हने उपस्थित करेगा।

2 कुरिन्थियों 4:15 क्योंकि सब वस्तुएं तुम्हारे लिये हैं, ताकि अनुग्रह बहुतों के द्वारा अधिक हो कर परमेश्वर की महिमा के लिये धन्यवाद भी बढ़ाए।

2 कुरिन्थियों 4:16 इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्‍व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्‍व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है।

2 कुरिन्थियों 4:17 क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्‍लेश हमारे लिये बहुत ही महत्‍वपूर्ण और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है।

2 कुरिन्थियों 4:18 और हम तो देखी हुई वस्‍तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्‍तुओं को देखते रहते हैं, क्योंकि देखी हुई वस्तुएं थोड़े ही दिन की हैं, परन्तु अनदेखी वस्तुएं सदा बनी रहती हैं।     

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 23-25
  • प्रेरितों 21:18-40