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मंगलवार, 18 फ़रवरी 2020

विश्वासयोग्य



      प्रथम शताब्दी के समय की पृष्ठभूमी में लिखी गई फ्रंसिन रिवर्स की पुस्तक A Voice in the Wind की नायिका, हद्दस्साह, एक गुलाम यहूदी युवती है, जो एक रोमी परिवार में सेविका है, तथा प्रभु यीशु मसीह में विश्वास भी करती है। अपने मसीही विश्वास के कारण उसे भय बना रहता है की उसे सताव का सामना करना पड़ सकता है। उस समय में मसीही विश्वासियों को बहुत तुच्छ समझा जाता था और उन्हें बहुत सताव तथा उत्पीड़न का सामना करना पड़ता था। बहुतेरों को या तो सूली पर चढ़ाकर मार दिया जाता था, या उन्हें अखाड़ों में भूखे शेरों के साम्हने फेंक दिया जाता था। हद्दस्साह को चिंता रहती थी कि यदि वह परखी गई, तो क्या वह सत्य और अपने मसीही विश्वास के लिए दृढ़ खड़ी रहने पाएगी?

      एक दिन उसका यह भय यथार्त में उसके सामने खड़ा हो जाता है, उसकी स्वामिनी और अन्य रोमी अधिकारी, जो मसीहियों से घृणा करते थे, उससे उसके मसीही विश्वास के विषय पूछते हैं। उसके पास दो विकल्प थे, या तो वह प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास से इनकार करे और प्रभु के विरुद्ध बोले, अथवा अखाड़े में फेंके जाने के लिए तैयार हो जाए। उस स्थिति में वह प्रभु यीशु मसीह पर अपना विश्वास व्यक्त करती है, और ऐसा करते हुए उसका भय जाता रहता है, और वह मृत्यु के मुंह में भी प्रभु के लिए दृढ़ खड़ी रहती है।

      परमेश्वर का वचन बाइबल हमें स्मरण दिलाती है कि कभी-कभी हमें सत्य का साथ देने के लिए सताव भी झेलना पड़ेगा। यह प्रभु यीशु में विश्वास द्वारा उद्धार और पापों की क्षमा के सुसमाचार का प्रचार करने के लिए हो सकता है, या फिर वर्तमान प्रचालन के विपरीत, परमेश्वर के भय में सच्चाई और खराई का जीवन जीने का प्रयास करने के लिए हो सकता है। साथ ही बाइबल हमें यह भी कहती है कि ऐसे में हम भयभीत न हों (1 पतरस 3:14), वरन अपने मनों में “मसीह को प्रभु जान कर पवित्र समझें” (पद 15)। हद्दस्साह का मुख्य युद्ध उसके मन में हुआ था; और जब एक बार उसने मन में यीशु मसीह को अपना प्रभु मानना ठान लिया, तो उसे प्रभु के प्रति विश्वासयोग्य बने रहने का साहस भी मिल गया।

      हम जब मसीह यीशु को अपने जीवनों से आदर देने की ठान लेते हैं, तो प्रभु यीशु हमें हमारे विरुद्ध उठने वाले प्रतिरोध का सामना करने और प्रभु के प्रति विश्वासयोग्य होने की सामर्थ्य भी प्रदान करता है। - कीला ओकोआ

विश्वास में दृढ़ तथा प्रभु के विश्वासयोग्य गवाह बनें।

सो जब कि मसीह ने शरीर में हो कर दुख उठाया तो तुम भी उस ही मनसा को धारण कर के हथियार बान्‍ध लो क्योंकि जिसने शरीर में दुख उठाया, वह पाप से छूट गया। - 1 पतरस 4:1

बाइबल पाठ: 1 पतरस 3:13-18
1 Peter 3:13 और यदि तुम भलाई करने में उत्तेजित रहो तो तुम्हारी बुराई करने वाला फिर कौन है?
1 Peter 3:14 और यदि तुम धर्म के कारण दुख भी उठाओ, तो धन्य हो; पर उन के डराने से मत डरो, और न घबराओ।
1 Peter 3:15 पर मसीह को प्रभु जान कर अपने अपने मन में पवित्र समझो, और जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ।
1 Peter 3:16 और विवेक भी शुद्ध रखो, इसलिये कि जिन बातों के विषय में तुम्हारी बदनामी होती है उनके विषय में वे, जो तुम्हारे मसीही अच्‍छे चालचलन का अपमान करते हैं लज्ज़ित हों।
1 Peter 3:17 क्योंकि यदि परमेश्वर की यही इच्छा हो, कि तुम भलाई करने के कारण दुख उठाओ, तो यह बुराई करने के कारण दुख उठाने से उत्तम है।
1 Peter 3:18 इसलिये कि मसीह ने भी, अर्थात अधर्मियों के लिये धर्मी ने पापों के कारण एक बार दुख उठाया, ताकि हमें परमेश्वर के पास पहुंचाए: वह शरीर के भाव से तो घात किया गया, पर आत्मा के भाव से जिलाया गया।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 23-24
  • मरकुस 1:1-22