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शनिवार, 20 जून 2020

प्रत्येक पल


     मैं जब एडा से मिला, वह अकेली रहने वाली वृद्धा थी, और एक नर्सिंग होम में रहती थी। उसके साथ के परिवार तथा मित्र जन अपनी आयु पूरी करके सँसार से जा चुके थे। एडा ने मुझ से कहा, “वृद्ध होने का यह सबसे कठिन भाग है, आप के देखते-देखते, सभी आप को छोड़कर चले जाते हैं।” एक दिन मैंने एडा से पूछा कि वह अपना समय कैसे बिताती है, उसकी पसंद की बातें क्या हैं? उसने परमेश्वर के वचन बाइबल में से प्रेरित पौलुस द्वारा लिखे एक पद के द्वारा उत्तर दिया: “क्योंकि मेरे लिये जीवित रहना मसीह है, और मर जाना लाभ है” (फिलिप्पियों 1:21)। फिर उस ने कहा, जब तक मैं यहाँ हूँ, मेरे पास करने के लिए कार्य है। अपने अच्छे दिनों में मैं यहाँ के लोगों के साथ प्रभु यीशु के बारे में बातचीत करती हूँ; और कठिन दिनों में, मैं प्रार्थना करती रहती हूँ।

     यह महत्वपूर्ण है कि पौलुस ने फिलिप्प्यों को यह पत्री कैद से लिखी थी, और उसने एक ऐसी वास्तविकता को पहचाना था जिसे बहुतेरे मसीही भी समझते हैं, जब वे अपने दिनों के समाप्त होने की प्रतीक्षा कर रहे होते हैं। पौलुस का अभिप्राय था, यद्यपि स्वर्ग इतना आकर्षक प्रतीत होता है, किन्तु फिर भी हमारा जो भी समय यहाँ पृथ्वी पर शेष है, परमेश्वर के लिए उसका महत्त्व है।

     पौलुस के समान, एडा ने पहचाना कि हर साँस जो वह लेती है, परमेश्वर की सेवा करने और उसे महिमा देने का एक अवसर होता है। इसलिए एडा अपने दिनों को औरों के प्रति प्रेम प्रदर्शित करने और उन्हें अपने उद्धाकर्ता से परिचित करवाने में व्यतीत करती थी।

     हमारे सबसे कठिन समयों में भी, हम मसीही विश्वासी परमेश्वर के साथ मिलने वाले अनन्तकालीन परमानन्द की प्रतिज्ञा में आश्वस्त बने रह सकते हैं। और हम जब तक जीवित हैं, हम अपने प्रभु परमेश्वर के साथ संगति का आनन्द लेते रह सकते हैं, क्योंकि वह हमारे जीवन के प्रत्येक पल को महत्वपूर्ण बनाए रखता है। - रैंडी किलगोर

 

जब परमेश्वर हमें घर ले जाने के लिए, तो वह हमको उसके कार्य में व्यस्त पाए।


इसलिये तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा। - मत्ती 24:44

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 1:12-24

फिलिप्पियों 1:12 हे भाइयों, मैं चाहता हूं, कि तुम यह जान लो, कि मुझ पर जो बीता है, उस से सुसमाचार ही की बढ़ती हुई है।

फिलिप्पियों 1:13 यहां तक कि कैसरी राज्य की सारी पलटन और शेष सब लोगों में यह प्रगट हो गया है कि मैं मसीह के लिये कैद हूं।

फिलिप्पियों 1:14 और प्रभु में जो भाई हैं, उन में से बहुधा मेरे कैद होने के कारण, हियाव बान्‍ध कर, परमेश्वर का वचन निधड़क सुनाने का और भी हियाव करते हैं।

फिलिप्पियों 1:15 कितने तो डाह और झगड़े के कारण मसीह का प्रचार करते हैं और कितने भली मनसा से।

फिलिप्पियों 1:16 कई एक तो यह जान कर कि मैं सुसमाचार के लिये उत्तर देने को ठहराया गया हूं प्रेम से प्रचार करते हैं।

फिलिप्पियों 1:17 और कई एक तो सीधाई से नहीं पर विरोध से मसीह की कथा सुनाते हैं, यह समझ कर कि मेरी कैद में मेरे लिये क्‍लेश उत्पन्न करें।

फिलिप्पियों 1:18 सो क्या हुआ? केवल यह, कि हर प्रकार से चाहे बहाने से, चाहे सच्चाई से, मसीह की कथा सुनाई जाती है, और मैं इस से आनन्‍दित हूं, और आनन्‍दित रहूंगा भी।

फिलिप्पियों 1:19 क्योंकि मैं जानता हूं, कि तुम्हारी बिनती के द्वारा, और यीशु मसीह की आत्मा के दान के द्वारा इस का प्रतिफल मेरा उद्धार होगा।

फिलिप्पियों 1:20 मैं तो यही हादिर्क लालसा और आशा रखता हूं, कि मैं किसी बात में लज्ज़ित न होऊं, पर जैसे मेरे प्रबल साहस के कारण मसीह की बड़ाई मेरी देह के द्वारा सदा होती रही है, वैसा ही अब भी हो चाहे मैं जीवित रहूं या मर जाऊं।

फिलिप्पियों 1:21 क्योंकि मेरे लिये जीवित रहना मसीह है, और मर जाना लाभ है।

फिलिप्पियों 1:22 पर यदि शरीर में जीवित रहना ही मेरे काम के लिये लाभदायक है तो मैं नहीं जानता, कि किस को चुनूं।

फिलिप्पियों 1:23 क्योंकि मैं दोनों के बीच अधर में लटका हूं; जी तो चाहता है कि कूच कर के मसीह के पास जा रहूं, क्योंकि यह बहुत ही अच्छा है।

फिलिप्पियों 1:24 परन्तु शरीर में रहना तुम्हारे कारण और भी आवश्यक है।    

 

एक साल में बाइबल: 

  • एस्तेर 1-2
  • प्रेरितों 5:1-21