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शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

पापियों


     मेरी एक मित्र है – इडिथ – उसने मुझे बताया कि कैसे उसने प्रभु यीशु के पीछे चलने का निर्णय लिया। इडिथ को धर्म की कोई परवाह नहीं थी। लेकिन एक इतवार की प्रातः वह अपने घर के निकट स्थित चर्च में चली गई, अपनी असंतुष्ट आत्मा की बेचैनी को दूर करने के लिए कुछ पाने की इच्छा के साथ। उस दिन के सन्देश के लिए चर्च के पास्टर ने परमेश्वर के वचन बाइबल में से लूका 15:1-2 को पढ़ा, जहाँ लिखा है, सब चुंगी लेने वाले और पापी उसके पास आया करते थे ताकि उस की सुनें। और फरीसी और शास्त्री कुड़कुड़ा कर कहने लगे, कि यह तो पापियों से मिलता है और उन के साथ खाता भी है।”

     बाइबल में तो लिखा है, यह तो पापियों के साथ मिलता और है और उनके साथ खाता भी है,  किन्तु इडिथ को उस दिन जो सुनाई दिया वह था “यह तो पापियों के साथ, जिनमें इडिथ भी है, मिलता और है और उनके साथ खाता भी है।” यह सुनते ही इडिथ जहाँ  बैठी थी, चौंक कर वहाँ सीधी होकर बैठ गई! थोड़ी देर में उसने अपनी स्थिति को स्वीकार कर लिया, परन्तु यह विचार कि यीशु पापियों का स्वागत करता है, जिनमें वह भी थी, उसके मन में गूँजता रहा। उस दोपहर उसने यीशु के और निकट आने तथा उसकी सुनने के लिए बाइबल में से सुसमाचारों को पढ़ना आरंभ कर दिया, और शीघ्र ही उसने यीशु पर विश्वास कर लिया और उसके पीछे हो लेने का निर्णय कर लिया।

     प्रभु यीशु के समय के ‘धर्मीलोग इस बात को लेकर बहुत चकित और अप्रसन्न होते थे कि प्रभु यीशु पापी लोगों के साथ खाता पीता, और संपर्क रखता था। उनके नियम उन्हें ऐसे लोगों के साथ संपर्क रखने की अनुमति नहीं देते थे। परन्तु प्रभु यीशु ने उनके इन गढ़े हुए नियमों की कोई चिंता नहीं की। उसने समाज के दीन-हीन व्यक्तियों को अपने पास बुलाया और उनके साथ रहा, वे चाहे कितने भी गिरे हुए क्यों न हों।

     क्या आप जानते हैं कि यह बात आज भी उतनी ही सत्य है – प्रभु यीशु आज भी पापियों को, आपको भी, बुलाता है, स्वीकार करता है, और जो भी उसे अपनाता है, उस पर विश्वास लाता है, उसे परमेश्वर की संतान बन जाने का आदर देता है। - डेविड एच. रोपर

 

परमेश्वर हमारी बेचैनी में हमारे पीछे आता है, 

हमारे पापों में हमें अपनाता है, 

और हमारे टूटेपन में हमें संभालता है। - स्कॉटी स्मिथ


परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। - यूहन्ना 1:12-13

बाइबल पाठ: लूका 15:1-7

लूका 15:1 सब चुंगी लेने वाले और पापी उसके पास आया करते थे ताकि उस की सुनें।

लूका 15:2 और फरीसी और शास्त्री कुड़कुड़ा कर कहने लगे, कि यह तो पापियों से मिलता है और उन के साथ खाता भी है।

लूका 15:3 तब उसने उन से यह दृष्टान्त कहा।

लूका 15:4 तुम में से कौन है जिस की सौ भेड़ें हों, और उन में से एक खो जाए तो निन्यानवे को जंगल में छोड़कर, उस खोई हुई को जब तक मिल न जाए खोजता न रहे?

लूका 15:5 और जब मिल जाती है, तब वह बड़े आनन्द से उसे कांधे पर उठा लेता है।

लूका 15:6 और घर में आकर मित्रों और पड़ोसियों को इकट्ठे कर के कहता है, मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई है।

लूका 15:7 मैं तुम से कहता हूं; कि इसी रीति से एक मन फिराने वाले पापी के विषय में भी स्वर्ग में इतना ही आनन्द होगा, जितना कि निन्यानवे ऐसे धर्मियों के विषय नहीं होता, जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 54-56
  • रोमियों 3