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शनिवार, 22 अगस्त 2020

प्रेम


          मेरे नाती-पोते, जो अभी छोटे बच्चे हैं, उन्हें अपने आप को तैयार करना बहुत अच्छा लगता है, परन्तु वह बहुत गलतियां भी करते हैं। कभी वह अपने कमीज़ को उलटा पहन लेते हैं, तो कभी सबसे छोटी वाली अपनी जूतियाँ उलटी पहन लेती है। मुझे उनकी यह मासूमियत अच्छी लगती है, और उनकी गलतियाँ भी प्यारी लगती हैं।


          मुझे संसार को उनके दृष्टिकोण से देखना भी अच्छा लगता है। उनके लिए हर बात एक रोमांचक अनुभव है, चाहे वह किसी गिरे हुए पेड़ पर चलना हो, या किसी कछुए को धूप सकते हुए देखना हो, या किसी दमकल को घंटा बजाते हुए तेज़ी से जाते हुए देखना हो। परन्तु मैं यह भी जानती हूँ कि छोटे होने के बावजूद मेरे नाती-पोतों की मासूमियत निर्दोष नहीं है – उनके पास सोने का समय होने पर अपने बिस्तरों में न जाने के दर्जनों बहाने होते है; और वे एक दूसरे से अपनी पसंद के खिलौने छीन लेने में कोई देर नहीं करते हैं। लेकिन फिर भी मैं उन सब से बहुत प्रेम करती हूँ।


          परमेश्वर के वचन बाइबल में परमेश्वर द्वारा रचे गए पहले मनुष्यों – आदम और हव्वा भी कई प्रकार से मेरे नाती-पोतों के समान थे। वे जब परमेश्वर के साथ पृथ्वी पर चलते फिरते थे, तो जो भी वे देखते थे वह सभी उनके लिए आश्चर्यजनक होती होगी। किन्तु एक दिन उन्होंने जानते-बूझते हुए अनाज्ञाकारिता की, और वर्जित वृक्ष के फल को खा लिया (उत्पत्ति 2:15-17; 3:6)। और इस अनाज्ञाकारिता के परिणामस्वरूप पाप ने संसार में प्रवेश किया और उन्होंने बहाने बनाना तथा औरों पर दोषारोपण करना आरंभ कर दिया (उत्पत्ति 3:8-13)।


          फिर भी परमेश्वर ने उनसे प्रेम करना नहीं छोड़ा, उसने उन्हें पहनने के वस्त्र दिए, जिसके लिए पशुओं का बलिदान देना पड़ा (3:21)। यह परमेश्वर द्वारा मनुष्य के पाप को ढाँपने के लिए बाद में प्रभु यीशु के बलिदान का प्रतीक था, जिसके द्वारा उसने सारे संसार के सभी मनुष्यों के लिए पापों की क्षमा और उद्धार का मार्ग तैयार करके दिया (यूहन्ना 3:16)। यह हमारे प्रति परमेश्वर के प्रेम का सूचक कि हमारे पापी स्वभाव के बावजूद परमेश्वर हमसे कितना प्रेम करता है। - एलिसन कीडा

 

प्रभु परमेश्वर हम से इतना प्रेम करता है 

कि उसने हमारे लिए अपने आप को बलिदान कर दिया।


क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना इकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। - यूहन्ना 3:16


बाइबल पाठ: उत्पत्ति 3:1-13

उत्पत्ति 3:1 यहोवा परमेश्वर ने जितने बनैले पशु बनाए थे, उन सब में सर्प धूर्त था, और उसने स्त्री से कहा, क्या सच है, कि परमेश्वर ने कहा, कि तुम इस वाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना?

उत्पत्ति 3:2 स्त्री ने सर्प से कहा, इस वाटिका के वृक्षों के फल हम खा सकते हैं।

उत्पत्ति 3:3 पर जो वृक्ष वाटिका के बीच में है, उसके फल के विषय में परमेश्वर ने कहा है कि न तो तुम उसको खाना और न उसको छूना, नहीं तो मर जाओगे।

उत्पत्ति 3:4 तब सर्प ने स्त्री से कहा, तुम निश्चय न मरोगे,

उत्पत्ति 3:5 वरन परमेश्वर आप जानता है, कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आंखें खुल जाएंगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे।

उत्पत्ति 3:6 सो जब स्त्री ने देखा कि उस वृक्ष का फल खाने में अच्छा, और देखने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये चाहने योग्य भी है, तब उसने उस में से तोड़कर खाया; और अपने पति को भी दिया, और उसने भी खाया।

उत्पत्ति 3:7 तब उन दोनों की आंखे खुल गई, और उन को मालूम हुआ कि वे नंगे है; सो उन्होंने अंजीर के पत्ते जोड़ जोड़ कर लंगोट बना लिये।

उत्पत्ति 3:8 तब यहोवा परमेश्वर जो दिन के ठंडे समय वाटिका में फिरता था उसका शब्द उन को सुनाई दिया। तब आदम और उसकी पत्नी वाटिका के वृक्षों के बीच यहोवा परमेश्वर से छिप गए।

उत्पत्ति 3:9 तब यहोवा परमेश्वर ने पुकार कर आदम से पूछा, तू कहां है?

उत्पत्ति 3:10 उसने कहा, मैं तेरा शब्द बारी में सुन कर डर गया क्योंकि मैं नंगा था; इसलिये छिप गया।

उत्पत्ति 3:11 उसने कहा, किस ने तुझे चिताया कि तू नंगा है? जिस वृक्ष का फल खाने को मैं ने तुझे मना किया था, क्या तू ने उसका फल खाया है?

उत्पत्ति 3:12 आदम ने कहा जिस स्त्री को तू ने मेरे संग रहने को दिया है उसी ने उस वृक्ष का फल मुझे दिया, और मैं ने खाया।

उत्पत्ति 3:13 तब यहोवा परमेश्वर ने स्त्री से कहा, तू ने यह क्या किया है? स्त्री ने कहा, सर्प ने मुझे बहका दिया तब मैं ने खाया।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 110-112
  • 1 कुरिन्थियों 5