मंगलवार, 12 जनवरी 2010

सहायता के परे?

बाइबल पाठ:लूका २३:३३ - ४३

यीशु ने उससे कहा,, मैं तुझ से सच कहता हूँ कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा - लूका २३:४३




एक ११० साल की उम्र का इस्त्राएली बेदुइन चरवाहा दिल के दौरे के लिये बीरशीबा के अस्पताल में भर्ती किया गया। उसकी उम्र के बावजूद, डॉक्टरों ने उसकी जान बचाने का भरसक प्रयत्न किया। यह माना जा रहा है कि दिल के दौरे से पीड़ित वह सबसे अधिक उम्र का व्यक्ति था जिसकी सफल चिकित्सा रक्त का थक्का बनने से रोकने वाली दवा के प्रयोग से हुई। अस्पताल के प्रतिनिधि ने बताय कि वह चरवाहा ठीक होकर नेगेव मरुभूमि के अपने डेरे में लौटा और फिर से भेड़ें चराने लगा।

११० साल के इस बूढ़े की जो चिकित्सा और देख रेख हुई, वह हमें यीशु का स्मरण कराती है, जिसने ठुकराए हुए लोगों की सहायता की। सामजिक सीमाओं को लांघ कर, यीशु ने कोढ़ियों और समाज के निन्दितों की देख रेख की, यह किसी सामन्य भले व्यक्ति के कार्यों से बढ़कर था।

क्रूस पर पीड़ा से स्वयं तड़पते समय भी यीशु ने एक मरते अपराधी की सहायता की, जिसके सहायता के सब मार्ग बन्द थे। वह आदमी अपराधी था मृत्यु दण्ड भोग रहा था और नर्क में प्रवेश से कुछ घंटे ही दुर था। यीशु ने उस अपराधी की मदद की पुकार का उत्तर दिया और कहा, "आज ही तू मेरे साथ स्वर्ग लोक में होगा" (लूका २३:४३)

क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में जानते हैं जो निस्सहाय अवस्था में है? शायद आप स्वयं ही निराश हों? बाइबल का परमेश्वर ऐसे लाचारों को, कमज़ोरों को, बहुत समय से पाप के बोझ से दबे हुओं को, मदद देने को तैयार है जिन्हें संसार मदद के लिये अयोग्य मानता है। - मार्ट डी. हॉन



परमेश्वर की सामर्थ हमारी कमज़ोरी में सबसे अधिक प्रगट होती है।
एक साल में बाइबल:

  • उत्पत्ती २९, ३०

  • मत्ती : - १७