शनिवार, 30 जनवरी 2010

रोपने का समय

इस समय संसार में कहीं न कहीं कोई किसान बीज बोता होगा। कुछ समय में वे बीज अपने बोये गये स्थान को ही बदलने लगेंगे। अच्छी तरह तैयार की गई मिट्टी की भूमी जो आज वीरान दिखती है, जल्द ही फसल काटने को तैयार खेत बनेगी।

इसी तरह नये साल के निर्णय दुसरों के और हमारे जीवन की भूमि को बदलने वाले बीज हो सकते हैं। असिसी के सन्त फ्रांसिस की प्रार्थना दुख भरे संसार में अच्छा परिवर्तन लाने की आशा का एक सामर्थी नमूना है: "हे प्रभु मुझे शांति का साधन बना दे। जहां घृणा है, वहां मैं प्रेम बोऊं; चोट की जगह क्षमा; सन्देह की जगह विश्वास; निराशा की जगह आशा; अन्धेरे की जगह ज्योति और दुख की जगह खुशी बोने पाऊं"

गेंहूं बोने वाले किसान गेहूं के पौधे उगते देखता है तो उसे कभी आश्चर्य नहीं होता। यह बोने और काटने का विश्वव्यापी नियम है। पौलुस ने इसका आत्मिक सिद्धांत के दृष्टांत के रूप में प्रयोग किया: "धोखा न खाओ, परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है वही काटेगा" (गलतियों ६:७)। हमारी पाप प्रवृति कहती है, "स्वयं को सन्तुष्ट करो" लेकिन पवित्र आत्मा हमें परमेश्वर को सन्तुष्ट करने की प्रेरणा देता है (पद ८)।

आज बोने का समय है। परमेश्वर की प्रतिज्ञा है, "हम भले काम करने में हियाव न छोड़ें, क्योंकि यदि हम ढीले न हों तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे" (पद ९)। - डेविड मैक्कैसलैन्ड

जो तुम कल काटना चाहते हो, उसे आज बो देना।

धोखा न खाओ, परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता; क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा। - गलतियों ६:७

बाइबल पाठ: गलतियों ६:६-१०

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन २३, २४
  • मत्ती २०:१-१६