गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010

महान कहानीकार

’पुलिटज़र’ पुरुस्कार विजेता लेखक फ्रैंक मैक्कोर्ट, अपनी पुस्तक "टीचर मैन" में अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर के विद्यालयों में ३० साल के अपने अद्यापन के अनुभव के बारे में बताते हैं। विद्यार्थियों को अन्ग्रेज़ी पढ़ाने और रचनात्मक रुप से लिखना सिखाने के लिये उन्होंने विविध तरीकों को अपनाया, परन्तु छात्रों का ध्यान खींचने और उनको प्रोत्सहित करने में सबसे प्रभावशाली तरीका कहानी सुनाना ही पाया।

सिखाने का यही तरीका संसार के सर्वोत्तम गुरू प्रभु यीशु मसीह ने भी उपयोग किया। विद्वान धार्मिक नेता नीकुदेमुस ने यीशु से कहा, "हम जानते हैं कि तू परमेश्वर की ओर से गुरू होकर आया है" (युहन्ना ३:२)। परन्तु यीशु ने जब लोगों की बड़ी भीड़ को उपदेश दिया तो पुरखों की रीति के अनुसार गहन व्याख्या नहीं की; वह उनसे एक कहानीकार की शैली में बोला।

यीशु की दृष्टांत-कथाएं आज भी सार्थक हैं, क्योंकि वे जीवन के मर्म से संबंधित हैं और हृदयस्पर्शी हैं। फरीसी और चुंगी लेने वाले की कहानी के द्वारा (लूका १८), हम परमेश्वर की कृपा और क्षमा के विष्य में समझाते हैं। उड़ाऊ पुत्र की कहानी (लूका १५) मनफिराव करने वाले पापियों की ओर परमेश्वेर के प्रेम को प्रकट करती है।

यीशु की प्रेरणादायक दृष्टांत-कथाएं हमें उसके बारे में सिखाती हैं और यह भी कि हमसे वह कैसे जीवन की अभिलाषा रखता है। हम अपने विश्वास की कहानियों के द्वारा उस महान कहानीकार और गुरू की ओर लोगों का ध्यान खींच सकते हैं, जिसका जीवन ही संसार की सबसे महान कथा है। - डैनिस फिशर

परमेश्वर का सत्य जानने का एक अच्छा तरीका उसे दूसरों को सिखाना है।


बाइबल पाठ: लूका १५:११-२४


ये सब बातें यीशु ने दृष्टांतों में लोगों से कहीं, और बिना दृष्टांत वह उनसे कुछ न कहता था। - मत्ती १३:३४


एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन ३४, ३५
  • मत्ती २२:२३-४६