मंगलवार, 23 मार्च 2010

स्मृति-चिन्ह

सन १८७६ में अमेरिका के डकोटा प्रांत में वहाँ के मूल निवासियों के एक काबाइली नेता ’क्रेज़ी हौर्स’ ने एक और नेता ’सिटिंग बुल’ के साथ मिलकर अमेरीकी सेनापति क्लस्टर की सेना को मात दी। लेकिन कुछ समय बाद भुखमरी ने क्रेज़ी हौर्स को सेनापति क्लस्टर के सामने समर्पण करने की स्थिति में ला दिया और जान बचाने के प्रयास में वह मारा गया। जीवन के दुखद अन्त के बावजूद वह खतरे में पड़े लोगों के लिये एक साहसी नेतृत्व का प्रतीक बन गया।

आज दक्षिण डकोटा प्रांत के ब्लैक हिल्स में पहाड़ तराशकर क्रेज़ी हौर्स का एक विशाल स्मारक बनाया जा रहा है जो पूरा होने पर ६४१ फुट लम्बा और ५६३ फुट चौड़ा होगा और क्रेज़ी हौर्स को दौड़ते घोड़े पर बैठे अपने लोगों को आगे बढ़ने की राह दिखाते हुए दर्शाएगा।

हज़ारों साल पहले, शमुएल नबी ने एक महत्वपूर्ण बात के लिये, एक छोटी चट्टान का एक स्मारक बनाया। पलिश्ती सेना से हो रहे इस्त्राएली सेना के एक बहुत महत्वपूर्ण युद्ध में शमुएल ने परमेश्वर से इस्त्राएल के लिये प्रार्थना करी। परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना सुनी और इस्त्राएलियों को विजयी किया (१ शमुएल ७:१०)। कृतज्ञता से भरे शमुएल ने एक पत्थर खड़ा किया और उसका नाम ’एबेनज़र’ रखा, जिसका अर्थ है "यहाँ तक परमेश्वर ने हमारी सहायता करी है" (पद १२)।

शमुएल ने हमारी आत्मिक यात्रा के लिये एक उदाहरण स्थापित किया है। परमेश्वर की आराधना और सेवा करने में सहायता करने के लिए हम भी अपने लिये स्म्रूति-चिन्ह रख सकते हैं, जो हमारे जीवन में रही उसकी विश्वासयोग्यता हमें याद दिलाते रहें। इस बात को याद रखना कि "यहाँ तक यहोवा ने हमारी सहायता की है" हमेशा अच्छा रहेगा। - डेनिस फिशर


कृतज्ञता एक आनन्दित मन का स्मृति-चिन्ह है।


बाइबल पाठ: १ शमुएल ७:३-१२


शमुएल ने एक पत्थर लेकर....यह कहकर उसका नाम एबेनज़र रखा, कि यहाँ तक यहोवा ने हमारी सहायता की है। - १ शमुएल ७:१२


एक साल में बाइबल:
  • यहोशु १३-१५
  • लूका १:५७-८०