रविवार, 28 मार्च 2010

दया का नाप

परमेश्वेर के महिमामय सिंहासन की ऊंचाई से कलवरी के क्रूस की गहराई तक की दूरी कितनी है? हमारे प्रति उद्धारकर्ता का प्रेम क्या नापा जा सकता है? फिलिप्पियों को लिखी अपनी पत्री में पौलुस वर्णन करता है यीशु के महिमा की ऊंचाईयों से उतरकर शर्मनाक यातना और मृत्यु की गहराईयों तक जाने की और वहाँ से उसके फिर वापस लौटने की (२:५-११)।

मसीह अनंत, सृष्टीकर्ता और समस्त सृष्टि का प्रभु है; इस पृथ्वी की सड़ाहट और गलाहट से ऊपर असीम ऊंचाई तक महिमित है। वह जीवन का स्त्रोत है, अनगिनित स्वर्गदूत उसकी आराधना करते रहते हैं और उसकी आज्ञा मानने को तत्पर रहते हैं। फिर भी, पाप में खोई हुई मानव जाति के प्रति अपने प्रेम से प्रेरित होकर, "उसने अपने आप को दीन किया और यहाँ तक आज्ञाकारी हुआ कि मृत्यु, हाँ क्रूस की मृत्यु भी सह ली" (पद ८)। वह हमारे इस छोटे से ग्रह पर आया, एक गोशाला की गन्दगी और बदबू में पैदा हुआ और एक असहाय नवजात शिशु के रूप में जानवरों के चारा खाने की चरनी में उसे रखा गया।

जब वह व्यसक हुआ, तो उसे बेघर होने का अनुभव झेलना पड़ा (मत्ती८:२०)। वह प्यासा हुआ, और एक व्यभिचारी स्त्री से पानी मांगना पड़ा (यूहन्ना ४:७-९)। थकान से चूर, तूफान में हिचकोले खाती नाव में ही सो गया (मरकुस ४:३७, ३८)। वह पाप से रहित था, एक दिन उसे बड़ी भीड़ ने सर-आंखों पर बैठाया (मत्ती २१:९) और फिर उसी भीड़ ने उसे एक अपराधी करार देकर रोमी क्रूस की अत्याधिक पीड़ा दायक मृत्यु दे दी।

यह है परमेश्वर के सिंहासन से कलवरी तक की वह दूरी! यह है उसके अनुग्रह, करुणा और दया का नाप! - वेर्नन ग्राउंड्स


परमेश्वर मानवीय इतिहास में अनंत उद्धार की भेंट देने आया।


बाइबल पाठ: फिलिप्पियों २:५-११


तुम्हारा छुटकारा नाशमान वस्तुओं से नहीं...वरन मसीह के बहुमूल्य लहू से हुआ है। - १ पतरस १:१८, १९


एक साल में बाइबल:
  • न्यायियों ४-६
  • लूका ४:३१-४४