शनिवार, 10 अप्रैल 2010

उसकी ज़िम्मेदारी; हमारी ज़िम्मेदारी

जब परमेश्वर हमें कोई कठिन काम सौंपता है तो उसे पूरा करने के लिये आवश्यक संसाधन भी देता है। जॉन वैसली ने लिखा कि "हमारी आरंभिक सेवा में उठने वाली कई मुश्किलों में मेरा भाई चार्लस कहता था कि यदि परमेश्वर मुझे पंख देता तो मैं उड़ता। तब मैं उसे उत्तर देता कि यदि परमेश्वर चाहेगा कि मैं उड़ुँ तो मैं उसपर भरोसा रखुंगा कि वह मुझे पंख भी देगा।"

आज का बाइबल पाठ हमें बताता है यहोशु के बारे में जिसे एक बड़ा दायित्व सौंपा गया। उस बड़ी चुनौती के सामने, निसन्देह वह डर से थरथरया होगा। वह कैसे मूसा जैसे महान अगुवे का स्थान लेकर लोगों की मूसा के समान ही अगुवाई कर सकेगा? उसकी अपनी सामर्थ में उसके लिये लोगों को वायदा किये हुए देश में लेजाकर बसाना असंभव था। लेकिन कूच के आदेश के साथ परमेश्वर ने उसे एक हिम्मत बढ़ाने वाला वायदा भी दिया - "न तो मैं तुझे धोखा दूंगा और न तुझे छोड़ुंगा" (यहोशु १:५)। फिर परमेश्वर ने उससे कहा "क्या मैंने तुझे आज्ञा नहीं दी? हियाव बांधकर दृढ़ हो जा; भय न खा और तेरा मन कच्चा न हो; क्योंकि जहां जहां तू जायेगा वहां वहां तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे संग रहेगा" (पद९)। यहोशु को ऐसे ही आश्वासन की आवश्यक्ता थी।

यदि परमेश्वर ने आपको कोई विशेष काम दिया है जिससे आप घबरा रहे हैं, तो यह आपकी ज़िम्मेदारी है कि उस कार्य को तुरंत निसंकोच हो कर स्वीकार कर लें। उससे पार लगाना परमेश्वर की ज़िम्मेदारी है। आप विश्वासयोग्यता के साथ अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कीजिए, और वह अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करेगा। - रिचर्ड डी हॉन


परमेश्वर जहां ले चलता है, वहां उसके लिये आवश्यक संसाधन भी देता है।


बाइबल पाठ: यहोशु १: १-९


तू उठ, यरदन पार होकर जा।...न तो मैं तुझे धोखा दूंगा और न तुझे छोड़ुंगा। - यहोशु १:२, ५


एक साल में बाइबल:
  • १ शमुएल १५, १६
  • लुका १०:२५-४२