गुरुवार, 15 अप्रैल 2010

अपने व्यवहार को जाँचें

एक बड़े चर्च के समूहगान की मुख्य पुरुष आवाज़ एक प्रशिक्षित संगीत अध्यापक की थी और अधिकतर वही समुहगान के मुख्य एकल भाग गाया करता था। उसी समुह में एक जवान व्यक्ति बॉब था, जिसे संगीत का कोई प्रशिक्षण प्राप्त नहीं था और वह कुछ छोटे एकल भाग गा लिया करता था। क्रिसमस के गानों की तैयारी करते समय समूहगान की संचालिका को लगा कि बॉब की आवाज़ और गाने की शैली उसके मुख्य गायक होने के लिये उपयुक्त है। किंतु उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि बॉब को मुख्य गायक बनाने से यदि वह प्रौढ़ संगीत अध्यापक बुरा मान जाए तो स्थिति को कैसे संभाला जाए।

उसकी यह चिंता व्यर्थ निकली क्योंकि उस संगीत अध्यापक का भी ऐसा ही सोचना था, और उस अध्यापक ने संचालिका से कहा कि बॉब को ही मुख्य भाग दिया जाए। वह अध्यापक वफादारी से समूह में अपनी भूमिक निभाता रहा और समूह में केवल कोरस गाता रहा तथा बॉब को भी प्रोत्साहित करता रहा।

जो लोग अपनी स्वार्थी अभिलाषा छोड़ कर वास्तव दूसरों की भलाई चाहते हैं उनके व्यवहार से परमेश्वर प्रसन्न होता है। क्या आपको ध्यान है कि युहन्ना बपतिस्मा देने वाले की क्या प्रतिक्रीया थी जब उसके अनुयायी उसे छोड़कर प्रभु यीशु के पीछे हो लिये? उसने कहा "अवश्य है कि वह बढ़े और मैं घटूं" (युहन्ना ३:३०)।

युहन्ना बपतिस्मा देने वाले और उस संगीत अध्यापक में क्या समानता थी? यही कि वे दोनो स्वार्थी नहीं थे। सामूहिक भलाई के लिये वे दूसरों को अपने से ऊपर उठते देखने में प्रसन्न हो सके। क्या ऐसा ही व्यवहार आप में भी है? - हर्ब वैन्डर लुट


जब हम अपने बारे में सोचना छोड़ देते हैं तो हम ऐसे कार्य कर पाते हैं जिन्हें दूसरे याद करते हैं।


बाइबल पाठ: युहन्ना ३:२२-३१


अवश्य है कि वह बढ़े और मैं घटूं। - युहन्ना ३:३०


एक साल में बाइबल:
  • १ शमुएल २७-२९
  • लूका १३:१-२२