शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010

परमेश्वर से सहमति

एक रेडियो कार्यक्रम में एक फोन करने वाले ने धर्म के संबंध में कुछ कहा। इस पर उस कार्यक्रम के संचालक ने धर्म के नाम पर पाखण्ड करने वालों के विरुद्ध बोलना शुरू कर दिया। वह कहने लगा कि "मुझे इन धर्मी ढोंगियों से घृणा है। वे केवल धर्म के बारे में बोलते ही हैं, लेकिन वे वास्तव में मुझ से ही बेहतर नहीं हैं। इसलिये मुझे धर्म की बातें पसन्द नहीं हैं।"

उस व्यक्ति को यह एहसास नहीं हुआ कि अपनी इस राय में वह परमेश्वर के साथ पूर्ण सहमत है। परमेश्वर भी ढोंगियों को बिलकुल पसन्द नहीं करता। विडम्बना यह है कि जिस बात का परमेश्वर विरोध करता है, उसी को आधार बनाकर लोग परमेश्वर से दूर रहते हैं।

यीशु ने ढोंगीयों के लिये कहा: "यह लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उनके मन मुझसे दूर रहते हैं। ये व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं, क्योंकि मनुष्य की विधियों को धर्म उप्देश करके सिखाते हैं" (मत्ती १५:८,९)।

ध्यान दीजिये कि यीशु ने अपने समय के सम्भवतः सबसे बड़े ढोंगियों - धर्म के अगुवे उन फरीसीयों को क्या कहा। मत्ती के २३वें अध्याय में उसने उन्हें एक नहीं, दो नहीं, वरन सात बार ढोंगी कहा। वे लोगों के सामने धर्म का दिखावा करते थे पर परमेश्वर उनके मन को जानता था। वह जानता था कि वे उससे बहुत दूर हैं।

जब गैरमसीही हम विश्वासियों में ढोंग का दोष दिखाते हैं तो सही करते हैं। वे परमेश्वर के साथ सहमत हैं जो स्वयं भी इससे घृणा करता है। हमारी ज़िम्मेदारी है कि हमारे जीवन परमेश्वर आदर करें जो हमारे सम्पूर्ण समर्पण के योग्य है। - डेव ब्रैनन

शैतान हमसे प्रसन्न रहता है अगर हमारा मसीही प्रचार और जीवन मेल नहीं खाता।


बाइबल पाठ: मत्ती १५:१-१९


यह लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उनके मन मुझसे दूर रहते हैं। - मत्ती १५:८


एक साल में बाइबल:
  • २ शमुएल १६-१८
  • लूका १७:२०-३७