रविवार, 25 अप्रैल 2010

दीवार के सामने

२५ अप्रैल १९१५ को ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड की सामूहिक सेना गल्लीपोली प्रायद्वीप पर शीघ्र विजय की आशा से उतरी। किन्तु तुर्की की सेना ने उनका जमकर मुकाबल किया और युद्ध ८ महीने तक खिंचा जिसमें दोनो पक्षों के हज़ारों सैनिक घायल हुए या मारे गए।

ऑस्ट्रेलिया-न्यूज़ीलैन्ड के जो घायल सैनिक युद्धक्षेत्र से निकाल कर मिस्त्र भेजे गए, उनमें से कई मिस्त्र की राजधानी कायरो के बाहर स्थित YMCA के एक कैंप में गए। वहाँ के पादरी ओस्वाल्ड चैम्बर्स ने युद्ध से अत्यंत निराश और टूटे हुए इन सिपाहियों की बहुत अच्छी देखभाल करी और उन्हें आशा बंधाई। बड़ी सहनुभूति और समझदारी से चैम्बर्स ने उन्हें कहा, "कोई भी व्यक्ति किसी भारी विपत्ती से निकलकर पहले जैसा नहीं रहता। वह पहले से या तो बेहतर हो जाता है या बदतर। किसी व्यक्ति के दुख के अनुभव अक्सर उसके मन को खोलते हैं कि वह यीशु के द्वारा किये गये उद्धार के कार्य को पहचाने। जब सन्सार में निराशा की दीवार किसी के सामने हर मार्ग को रोक देती है तो वहाँ परमेश्वर अपने हाथ फैलाये खड़ा होता है। जो कोई उस दीवार तक आता है, वह परमेश्वर के पास आता है कि परमेश्वर उसे अपनी बाहों में भर सके। यीशु का क्रूस, परमेश्वर के प्रेम का उच्चत्त्म प्रमाण है।"

पौलुस ने पूछा: "कौन हमको मसीह के प्रेम से अलग करेगा?" (रोमियों ८:३५)। उसका विश्वास भरा उत्तर था कि कुछ भी हमें परमेश्वर के प्रेम से जो प्रभु यीशु मसीह में है, अलग नहीं कर सकेगा (पद ३८, ३९)।

जब हम रास्ता रोकने वाली दीवार के सामने होते हैं तो परमेश्वर वहाँ हमारे लिये अपनी बाहें फैलाये खड़ा होता है। - डेविड मैक कैसलैण्ड


जब सब कुछ नष्ट हो जाता है तब भी परमेश्वर का प्रेम स्थिर खड़ा मिलता है।


बाइबल पाठ: रोकियों ८:३१-३९


कौन हमको मसीह के प्रेम से अलग करेगा? - रोमियों ८:३५


  • एक साल में बाइबल:
  • २ शमुएल २१, २२
  • लूका १८:२४-४३