रविवार, 2 मई 2010

हमारी सेवा

प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करके उद्धार पाने के तुरंत बाद हमें स्वर्ग ले जाने की बजाए पृथ्वी पर ही रहने देने के पीछे परमेश्वर का एक उद्देश्य है; वह हमें कुछ सेवाकाई देना चाहता है। परमेश्वर के एक संत - अगस्तीन ने कहा कि "मनुष्य, जब तक उसके ज़िम्मे दिये काम पूरे नहीं कर लेता, अमर है।"

हमारी मृत्यु का समय इस पृथ्वी पर किसी व्यक्ति या परिस्थिति द्वारा निर्धारित नहीं किया जाता, यह निर्णय तो स्वर्ग में होता है। जब हम वह सब पूरा कर चुकते हैं जो परमेश्वर ने हमारे लिये निर्धारित किया है, तब और केवल तब ही वह हमें अपने पास बुलाता है, उससे एक भी क्षण पहले नहीं। जैसा पौलुस ने कहा "दाऊद, परमेश्वर की इच्छा के अनुसार अपने समय में सेवा करके सो गया।" (प्रेरितों १३:३६)।

परमेश्वर के द्वारा हमें बुलाए जाने से पहले अभी बहुत काम करना बाकी है। यीशु ने कहा "जिसने मुझे भेजा है, हमें उसके काम दिन ही में करना आवश्यक है। वह रात आने वाली है जिसमें कोई काम नहीं कर सकता" (यूहन्ना ९:४)। वह रात आयेगी जब हम सदा के लिये अपनी आंखें इस सन्सार से मूंद लेंगे, या हमारा प्रभु हमें ले जाने के लिये आ जाएगा। हर दिन उस पल को और निकट ले आता है।

जब तक हमारे पास दिन की रौशनी है, हमें काम करना है - कुछ जीतने, प्राप्त करने, जमा कर लेने या सेवा निवृत होने के लिये नहीं, परन्तु मसीह के प्रेम से लोगों को छू लेने के द्वारा अदृश्य मसीह का उन्हें दर्शन कराने के लिये। तब हम निश्चिंत हो सकते हैं कि "हमारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है" (१ कुरिन्थियों १५:५८)। - डेविड रोपर



परमेश्वर की दृष्टि में सच्ची महानता दूसरों की सेवा करने में है।


बाइबल पाठ: भजन ११२


धर्मी का स्मरण सदा तक बना रहेगा। - भजन ११२:६


एक साल में बाइबल: राजा १२, १३ लूका २२:-२०