शनिवार, 8 मई 2010

बुराई से भलाई

जब मेरी लगभग नई कार की टक्कर एक ट्रक से हुई तो मेरे मन में तुरन्त कोई सकारात्मक विचार नहीं आये। मैं उस समय खर्चे, असुविधा और अपने अहं को पहुंची चोट के बारे में सोच रहा था। किंतु एक ऐसा विचार से, जिसमें मैं अन्य लेखकों के साथ सहमत हूं, कि ’प्रत्येक बुरे अनुभव से एक अच्छी शिक्षा ली जा सकती है’ मुझे कुछ आशा मिली।

ऐसे में अच्छाई को ढूंढना एक चुनौती हो सकती है, परन्तु परमेश्वर का वचन सिखाता है कि परमेश्वर बुरी परिस्थितियों को भी, भले उद्देश्यों के लिये प्रयोग कर सकता है।

बाइबल में २ राजा के ५ अध्याय में दो व्यक्तियों का उल्लेख है जिनके साथ बुरी घटनाएं हुईं। एक थी इस्त्राएल की एक लड़की जिसे अराम की सेना बंदी बनाकर ले गई थी; और दुसरा अराम की सेना का सेनापती जो कोढ़ से पीड़ित था। यद्यपि अपने आक्रमणकारियों और बंदी बनाने वालों के लिये बुरा चाहने का लड़की के पास पर्याप्त कारण था, फिर भी उसने नामान की सहायता करनी चाही। उसने नामान को बताया कि इस्त्राएल का भविष्यद्वक्ता एलाईशा उसे चंगा कर सकता है। चंगाई पाने को आतुर नामान इस्त्राएल चला गया। वहां उसे एलाईशा द्वारा दिये गए निर्देश अपमानजन्क लगे और उसने उन्हें मानने से संकोच किया। आखिरकर जब उसने उन निर्देशों क पालन किया तो उसे चंगाई मिली; जिस कारण उसने यह घोषणा करी कि इस्त्राएल का परमेश्वर ही सच्चा परमेश्वर है (पद १५)।

परमेश्वर ने दो बुरी बातों - पहली, बंदी बनाया जाना और दूसरी, एक भयानक रोग, के द्वारा इस्त्राएल के शत्रु को मित्र बनाने के लिये प्रयोग किया। चाहे हम समझ ना पाएं कि कोई बुराई हमारे साथ क्यों हुई, हम यह जानते हैं कि परमेश्वर उस बुराई को भी भलाई के लिये प्रयोग कर सकता है। - जूली एकर्मैन लिंक


परमेश्वर कष्टों को आशीश में परिवर्तित करने में निपुण है।


बाइबल पाठ: २ राजा ५:१-१५


अब मैंने जान लिया है कि समस्त पृथ्वी में इस्त्राएल को छोड़ और कहीं परमेश्वर नहीं है। - २ राजा ५:१५


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा ४-६
  • लूका २४:३६-५३