गुरुवार, 20 मई 2010

आत्मिक दृष्टि लौटाना

सन्डुक रूइत एक नेपाली डॉकटर है जिसने अपने ऑपरेशन के ऑज़ारों का प्रयोग एक बहुत सरल विधि द्वारा मोतियाबिंद (cataract) का इलाज करने के लिये किया है। पिछले २३ वर्षों में वह लगभग ७०,००० लोगों की दृष्टि लौटा चुका है। बिल्कुल निर्धन मरीज़ भी जो काठमान्डु में उसके द्वारा चलाये जा रहे ’बिना लाभ के अस्पताल’ में आते हैं, वे केवल अपने आभार से इलाज की कीमत चुकाते हैं।

हमारा प्रभु यीशु मसीह भी जब पृथ्वी पर था तो उसने कई शारीरिक रूप से अंधों को आंखें दीं। किंतु उसकी ज़्यादा चिंता आत्मिक अन्धेपन के प्रति थी। जब यीशु ने एक जन्म के अन्धे को चंगा किया तो कई धार्मिक अधिकारियों ने इस बात की छान-बीन करी, किंतु यह मानने से सर्वथा इन्कार किया कि यीशु पापी नहीं है (यूहन्ना ९:१३-३४)। उनके इस रवैये पर यीशु ने कहा कि, "मैं इस जगत में न्याय के लिये आया हूं, ताकि जो नहीं देखते वे देखें, और जो देखते हैं वे अन्‍धे हो जाएं" (यूहन्ना ९:३९)।

पौलुस प्रेरित ने इस आत्मिक अंधेपन के संबंध में लिखा "परन्‍तु यदि हमारे सुसमाचार पर परदा पड़ा है, तो यह नाश होने वालों ही के लिये पड़ा है। और उन अविश्वासियों के लिये, जिन की बुद्धि को इस संसार के ईश्वर ने अन्‍धी कर दी है, ताकि मसीह जो परमेश्वर का प्रतिरूप है, उसके तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमके" (२ कुरिन्थियों ४:३, ४)।

भजनकार ने कहा "तेरी बातों के प्रवेश से प्राकाश होता है" (भजन ११९:१३०)।

केवल परमेश्वर का वचन ही है जो हमारे मन की आंखों को खोल देगा और हमारे आत्मिक अंधेपन को चंगा करेगा। - सी. पी. हीया


अंधकार से भरे संसार को यीशु के प्रकाश की आवश्यक्ता है।


बाइबल पाठ: यूहन्ना ९:१-११


तेरी बातों के प्रवेश से प्राकाश होता है; उस से भोले लोग समझ प्राप्त करते हैं। - भजन ११९:१३०


एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास १०-१२
  • यूहन्ना ६:४५-७१