रविवार, 30 मई 2010

क्या बात है!

जून महीने में हम सपरिवार कैनडा के पहाड़ी इलाके में छुट्टीयां मनाने गये। एक दिन हमें एक ऐसे पर्यटक स्थान को देखने जाना था जिसके बारे में कहा जाता है कि पर्यटकों को उसे अवश्य देखना चाहिये। तेज़ ठंडी हवा के कारण मैं और आगे उस स्थान तक जाने से हिचकिचा रहा था। मैंने उस स्थान से लौटते कुछ अन्य पर्यटकों को देखा तो उनसे पूछा कि क्या वह स्थान वास्तव में ऐसे मौसम में भी जाकर देखने योग्य है? उनका उत्तर था "अवश्य"। उनके इस उत्तर ने हमें हौंसला दिया कि हम आगे बढ़ें और उस स्थान तक जाएं। अन्ततः जब वहां पहुंचकर हम ने उस स्थान की सुन्दरता को देखा तो हम अवाक् रह गए और हमारे मुंह से केवल "क्या बात है" ही निकल सका।

पौलुस भी अपनी आत्मिक यात्रा में एक ऐसे मुकाम पर पहुंचा जब वह परमेश्वर के गुणों के बारे में जानकर अवाक् रह गया। रोमियों को लिखी अपनी पत्री में उसने इस के बारे में लिखा, कि कैसे बड़ी अद्भुत रीति से परमेश्वर ने यहूदियों और अन्यजातियों को उद्धार दिया।

परमेश्वर के बारे में तीन बातों ने उसे अति प्रभावित किया:

पहली, परमेश्वर सर्वबुद्धिमान है (रोमियों ११:३३) - उद्धार के लिये उसकी सिद्ध योजना दिखाती है जीवन की समस्याओं के लिये उसके द्वारा दिये गए समाधान, हमारे द्वारा बनाये गई किसी भी समाधान से कहीं अधिक बेहतर हैं।

दूसरा, परमेश्वर सर्वज्ञानी है (रोमियों ११:३४) - उसका ज्ञान असीमित है, उसे किसी सलाहकार की आवश्यक्ता नहीं है, कुछ ऐसा नहीं है जो उसे चकित कर सके।

तीसरा, परमेश्वर सर्वसंपन्न है (रोमियों ११:३५) - कोई परमेश्वर को ऐसा कुछ नहीं दे सकता जो पहले परमेश्वर ने उसे न दिया हो। ना ही कोई परमेश्वर कि भलाई के बदले उसे कुछ प्रत्युत्तर में लौटा सकता है।

हम मूसा के साथ कह सकते हैं, " हे यहोवा, देवताओं में तेरे तुल्य कौन है? तू तो पवित्रता के कारण महाप्रतापी, और अपनी स्तुति करने वालों में भय के योग्य, और आश्चर्य कर्म का कर्त्ता है" (निर्गमन १५:११)। - सी. पी. हिया


परमेश्वर के चरित्र और उसकी सृष्टि में हम उसके महान गौरव और विभव को देखते हैं।


बाइबल पाठ: रोमियों ११:३३-३६


हे यहोवा, देवताओं में तेरे तुल्य कौन है? तू तो पवित्रता के कारण महाप्रतापी, और अपनी स्तुति करने वालों में भय के योग्य, और आश्चर्य कर्म का कर्त्ता है - निर्गमन १५:११


एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास १०-१२
  • यूहन्ना ११:३०-५७