शुक्रवार, 18 जून 2010

जोशीला साहस

लंदन की बाहरी सीमा के एक इलाके - हाउन्स्लो में एक युवक राह चलते लोगों को प्रचार कर रहा था। अधिकतर लोग उसे नज़रन्दाज़ कर रहे थे, कुछ उसका मज़ाक बना रहे थे और थोड़े से उसकी बात सुन रहे थे। परन्तु लोगों की प्रतिक्रीया से बेपरवाह वह अपनी बात बोलता ही जा रहा था। बुलन्द आवाज़ और दृढ़ निश्चय के साथ वह अपने दिल की बात कह रहा था, एक क्रुद्ध भविष्यद्वक्ता के जैसे नहीं वरन उस मार्ग पर उपस्थित लोगों के प्रति एक गहरी चिंता रखने वाले के समान। उसके हाव-भाव और आवाज़ में करुणा थी, निन्दा नहीं; वह बड़ी हिम्मत के साथ सम्सत संसार के प्रति मसीह के प्रेम और अनुग्रह का वर्णन कर रहा था।

प्रेरितों ४ में, जबकि कलीसिया अभी नई ही थी, पतरस और यूहन्ना ने भी बड़े हियाव के साथ अपने समय के लोगों को संबोधित किया। उन को सुनने वाले लोगों की क्या प्रतिक्रीया हई? "जब उन्‍होंने पतरस और यूहन्ना का हियाव देखा, ओर यह जाना कि ये अनपढ़ और साधारण मनुष्य हैं, तो अचम्भा किया; फिर उन को पहचाना, कि ये यीशु के साथ रहे हैं" (प्रेरितों ४:१३)। पतरस और यूहन्ना में यह हियाव किसी विद्यालय में शिक्षा पाने से नहीं आया, यह नतीजा था अपने प्रभु एवं गुरू के साथ बहुत समय बिताने का। इस कारण वे भी उसी के लिये जोशीले हो गए थे जिसकी प्रभु को चिंता थी - मनुष्यों का अनन्त अन्तिम स्थान। यही जोश हाउन्स्लो के उस युवक में था।

क्या लोग हम में ऐसा जोश देखते हैं? - बिल क्राउडर


एक मसीही राजाओं के राजा का सन्देश देने वाला उसका राजदूत है।


बाइबल पाठ: प्रेरितों के काम ४:५-१३


जब उन्‍होंने पतरस और यूहन्ना का हियाव देखा, ओर यह जाना कि ये अनपढ़ और साधारण मनुष्य हैं, तो अचम्भा किया; फिर उन को पहचाना, कि ये यीशु के साथ रहे हैं। - प्रेरितों ४:१३



एक साल में बाइबल:
  • नेहेमियाह १०, ११
  • प्रेरितों के कम ४:१-२२