शनिवार, 19 जून 2010

प्रलोभन

दो भाई, दोनो अलग अलग स्थानों पर, अपने घर और एक दूसरे से दूर, दोनो एक जैसे ही प्रलोभन में पड़े किंतु उनकी उस प्रलोभन की प्रतिक्रीया में ज़मीन-आसमान का अन्तर था। एक, अपने परिवार से दूर, एक जवान युवती की युक्ति का शिकार हुआ और उसके इस पाप के कारण पारिवारिक कलेश और शर्मिंदगी हुई। दूसरा, पारिवारिक कलेश के कारण अपने प्रीय जनों से दूर हुआ, उसने एक व्यसक युवती के निमंत्रण को ठुकराया और उसकी इस विश्वासयोग्यता से परिवार का बचाव और पुनर्वास हुआ।

कौन हैं ये भाई? दोनो याकूब की सन्तान हैं, पहला था यहूदा जो अपनी उपेक्षित बहु तामार द्वारा परेशानी में बनाई गई चाल में फंस गया (उत्पत्ति ३८) और दूसरा था यूसुफ जो अपने स्वामी पोतिफर की पत्नी के प्रलोभनों से बचकर भागा (उत्पत्ति ३९)। एक अध्याय एक घिनौनी कहानी है गैरज़िम्मेदार बर्ताव और धोखे की, दूसरा अध्याय एक सुन्दर उदाहरण है विश्वासयोग्यता का।

यहूदा और यूसुफ की कहानियां, याकुब के वंश के वृतांत (उत्पत्ति ३७:२) के बीच में एक दूसरे के आगे-पीछे दी गईं हैं, ये दर्शाती हैं कि समस्या प्रलोभन नहीं है वरन उसके प्रति होने वाली प्रतिक्रीया है। सबको प्रलोभनों का सामना करन पड़ता है, प्रभु यीशु ने भी किया (मत्ती ४:१-११)। सवाल है कि हम प्रलोभन का सामना कैसे करते हैं? क्या हम दिखाते हैं कि परमेश्वर में विश्वास हमें पाप के सामने घुटने टेक जाने से बचा सकता है?

यूसुफ ने प्रलोभन का सामना करने का एक तरीका दिखाया - प्रलोभन को परमेश्वर के प्रति अपमान जानकर उससे दूर भागना। यीशु ने एक और तरीका बताया - परमेश्वर के वचन के सत्य से प्रलोभन पर जय पाना।

क्या आप किसी प्रलोभन का सामना कर रहे हैं? इसे एक अवसर समझिये परमेश्वर और उसके वचन को अपने जीवन में सार्थक दिखाने का, और उस प्रलोभन से भाग निकलिये। - डेव ब्रैनन


हम प्रलोभन में तब ही गिरते हैं जब हम उसके विरुद्ध खड़े नहीं रहते।


बाइबल पाठ: उत्पत्ति ३९:१-१२


सो भला, मैं ऐसी बड़ी दुष्टता करके परमेश्वर का अपराधी क्योंकर बनूं? - उत्पत्ति ३९:९


एक साल में बाइबल:
  • नेहेमियह १२, १३
  • प्रेरितों के काम ४:२३-३७