मंगलवार, 22 जून 2010

खुला निमंत्रण

सन १६८२ में राजा लूई XIV ने पैरिस की जगह वेरसेलेयस को फ्रांस की राजधनी बनाया और वह १७८९ तक राजधानी रही (बीच के थोड़े से समय को छोड़कर), फिर वापस राजधानी पैरिस हो गई। वेरसेलेयस में राजा ने एक भव्य महल का निर्माण करवाया, जिसमें एक २४१ फुट लम्बा और दर्पणों से भरा शनदार हॉल है। इस हॉल के एक सिरे पर चांदी से बना राजा का सिंहासन था। राजा से भेंट करने आने वालों को दूसरे सिरे से प्रवेश करना होता था, और हर पांच कदम पर, चमचमाते हुए राज-सिंहासन पर बैठे राजा को, झुककर आदर देना होता था। विदेशी राजदूतों को भी फ्रांस के राजा की कृपादृष्टि बनाए रखने के लिए इस अपमानजनक आचार को निभाना पड़ता था।

इसकी तुलना में, हमारा परमेश्वर, जो राजाओं के राजा है, सभी लोगों को अपने सिंहासन के समीप निर्बाध आने का निमंत्रण देता है। जब कभी हमें आवश्यक्ता हो, हम हर हाल और परिस्थिति में उसके समीप आ सकते हैं, इसके लिये कोई पूर्व-नियुक्ति लेने या किसी प्रक्रिया को निभाने की बन्दिश नहीं है।

इतने खुले दिल से हमारा स्वागत करने वाले और हम से मिलने को सदा तत्पर रहने वाले स्वर्गीय पिता के प्रति हमें कितना आभारी होना चाहिये। "क्‍योंकि उस ही (यीशु मसीह) के द्वारा हमारी एक आत्मा में पिता के पास पंहुच होती है" (इफिसियों २:१८)। इसी कारण इब्रानियों की पत्री का लेखक हमें प्रेरित करता है कि "इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्‍धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे" (इब्रानियों ४:१६)।

क्या आपने परमेश्वर के इस खुले निमंत्रण का लाभ उठाया? आदर, भय और आभार के साथ सृष्टि के रचियेता और परमेश्वर के सम्मुख आएं, वह आपकी प्रार्थना सुनने के लिये सदा तैयार है। - सी. पी. हिया


परमेश्वर के सिंहासान का मार्ग सदा खुला रहता है।


बाइबल पाठ: इफिसियों २:१४-२२


इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्‍धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे। - इब्रानियों ४:१६


एक साल में बाइबल:
  • एस्तेर ६-८
  • प्रेरितों के काम ६