गुरुवार, 16 सितंबर 2010

गुमनामी में कही बातें

कहावत है कि कायर ही गुमनामी के पीछे छिप कर अपनी बात कहते या करते हैं। गुमनाम लोगों द्वारा जो मुझे पत्र और टिप्पणियां भेजी जाती हैं और जो बातें वे लिखते हैं, उनके आधार पर मुझे यह कहावत काफी सत्य प्रतीत होती है। लोग गुमनामी या झूठी पहचान के पीछे छिप कर दूसरों पर तीव्र आघात और दोषारोपण करने की स्वतंत्रता महसूस करते हैं। गुमनामी उन्हें बिना अपनी कही बातों की ज़िम्मेदारी लिये, कटु होने का अवसर देती है।

जब कभी मुझे प्रलोभन होता है कि मैं किसी बात पर गुमनामी से लिखुं, क्योंकि मैं अपने नाम को अपनी उस बात के साथ जोड़ना नहीं चाहती, तो मैं ठहर कर उस बात पर पुनः विचार करती हूँ। यदि मैं अपने नाम को किसी बात के साथ जुड़ा हुआ नहीं देखना चाहती तो उस बात को कहना मेरे लिये अनुचित होगा; ऐसे में मैं फिर दो में से कोई एक बात करती हूँ - या तो मैं उस बात को छोड़ देती हूँ, या उसे ऐसे तरीके से कहती हूँ कि वह बात चोट पहुँचाने की बजाए उभारने और सहायता करने वाली बात हो जाए।

इफिसियों की पत्री के अनुसार हमारे शब्दों द्वारा दूसरों की उन्नति हो और उन्हें अनुग्रह पहुँचे (इफिसियों ४:२९)। यदि मैं बात कहने के लिये अपने नाम का प्रयोग नहीं करना चाहती, तो प्रगट है कि संभवतः बात का उद्देश्य चोट पहुँचाना है न कि उभारना।

आप को जब कभी किसी को कोई बात गुमनामी में कहने का प्रलोभन हो - चाहे अपने परिवार के सदस्य या सहकर्मी या अपने पास्टर से, तो थोड़ा रुक कर सोचिये कि आप अपनी बात के साथ अपना नाम क्यों नहीं जोड़ना चाहते? और यदि आप ही अपने नाम को अपनी बात के साथ नहीं जोड़ना चाहते तो फिर भला परमेश्वर क्यों चाहेगा कि ऐसी किसी भी बात के साथ उसका नाम जोड़ा जाये?

परमेश्वर अनुग्रहकारी, सहनशील और विलंब से क्रोध करने वाला है (निर्गमन ३४:६) और चाहता है कि उसके लोग भी ऐसे ही हों। - जूली ऐकरमैन लिंक


चोट पहुंचाने वाले शब्दों को कहने के लिये गुमनामी के पीछे छुपना का कायरों का काम है।

बुद्धिमान के वचनों के कारण अनुग्रह होता है - सभोपदेशक १०:१२


बाइबल पाठ: इफिसियों ४:२५-३२

इस कारण झूठ बोलना छोड़ कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्‍योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं।
क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्‍त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे।
और न शैतान को अवसर दो।
चोरी करने वाला फिर चोरी न करे वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्र्म करे, इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो।
कोई गन्‍दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।
और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है।
सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्‍दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए।
और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।

एक साल में बाइबल:
  • नीतिवचन २५, २६
  • २ कुरिन्थियों ९