मंगलवार, 2 नवंबर 2010

पाप के बन्दी

सयंयुक्त राष्ट्र संघ के नशा और अपराध से संबंधित दफतर की सन २००८ की एक रिपोर्ट में बताया गया कि संसार भर में किसी भी समय औसतन १ करोड़ लोग बन्दीगृहों में कैदी होते हैं। क्योंकि कुछ बन्दी छोड़े जाते हैं और कुछ नए बन्दी बनते हैं, इसलिये औसतन संसार भर में प्रतिवर्ष लगभग ३ करोड़ लोग बन्दी रहते हैं। इस तरह के आंकड़ों के कारण बन्दीयों के लिये काम करने को बहुत से लोग प्रेरित हुए और उनके प्रयासों से, बहुत से देशों में बन्दीगृहों की दशा में और बन्दी बनाये जाने से संबंधित कनूनों में सुधार हो रहे हैं।

आत्मिक दृष्टिकोण से बाइबल इससे भी अधिक गंभीर और झकझोरने वाला आंकड़ा देती है " परन्‍तु पवित्र शास्‍त्र ने सब को पाप के आधीन कर दिया..." (गलतियों ३:२२) - सारा संसार पाप का कैदी है!

एक परिच्छेद में, जिस को समझने में बहुत लोगों को कठिनाई होती है, पौलुस कहता है कि यद्यपि पुराने नियम में दी गई व्यवस्था जीवन नहीं दे सकती थी (गलतियों ३:२१), फिर भी वह एक प्रभावी शिक्षक थी हमें यह दिखाने के लिये कि हमें एक उद्धारकर्ता की आवश्यक्ता है जो जीवन दे सके (गलतियों ३:२४)। भले ही संसार का पाप का बन्दी होना बुरा समाचार है, परन्तु साथ ही, उसी पद में सुसमाचार भी है "... ताकि वह प्रतिज्ञा जिस का आधार यीशु मसीह पर विश्वास करना है, विश्वास करने वालों के लिये पूरी हो जाए" (गलतियों ३:२२)। अर्थात, पाप के बन्दियों [संसार] के लिये प्रभु यीशु मसीह में विश्वास के द्वारा मुक्ति का मार्ग उपलब्ध है और जो कोई विश्वास से इस मार्ग पर चलेगा वह अवश्य मुक्ति पाएगा।

जब हम अपने पापों से पश्चाताप करके, साधारण विश्वास के साथ अपने जीवन प्रभु यीशु को समर्पित करते हैं, जो व्यवस्था की सारी आवश्यक्ताओं को हमारे लिये पूरा कर चुका है, तो वह हमारे पाप क्षमा करके अपनी धार्मिकता हमें दे देता है, और हम पाप के दासत्व से मुक्त हो जाते हैं। ऐसे लोग अब प्रभु की विश्वव्यापी मण्डली के सदस्य हो जाते हैं, जिसमें देश, राष्ट्रियता, रंग, भाषा, धर्म, सामाजिक ओहदे आदि बातों का कोई महत्व नहीं है। उस मण्डली में सब समान रूप से प्रभु के प्रिय तथा परमेश्वर की सन्तान और उसकी आशीशों के वारिस हैं। ऐसी कोई भी बात जो आज संसार के लोगों को विभाजित करती है, वहां महत्व नहीं रखती।

प्रभु यीशु में हम वास्तव में स्वतंत्र हैं! - डेविड मैककैसलैंड


पापों से मुक्ती ही सबसे बड़ी स्वतंत्रता है।

परन्‍तु पवित्र शास्‍त्र ने सब को पाप के आधीन कर दिया, ताकि वह प्रतिज्ञा जिस का आधार यीशु मसीह पर विश्वास करना है, विश्वास करने वालों के लिये पूरी हो जाए। - गलतियों ३:२२


बाइबल पाठ: गलतियों ३:१९-२९

तब फिर व्यवस्था क्या रही? वह तो अपराधों के कारण बाद में दी गई, कि उस वंश के आने तक रहे, जिस की प्रतिज्ञा दी गई थी, और वह स्‍वर्गदूतों के द्वारा एक मध्यस्थ के हाथ ठहराई गई।
मध्यस्थ तो एक का नहीं होता, परन्‍तु परमेश्वर एक ही है।
तो क्‍या व्यवस्था परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं के विरोध में है? कदापि न हो, क्‍योंकि यदि ऐसी व्यवस्था दी जाती जो जीवन दे सकती, तो सचमुच धामिर्कता व्यवस्था से होती।
परन्‍तु पवित्र शास्‍त्र ने सब को पाप के आधीन कर दिया, ताकि वह प्रतिज्ञा जिस का आधार यीशु मसीह पर विश्वास करना है, विश्वास करने वालों के लिये पूरी हो जाए।
पर विश्वास के आने से पहिले व्यवस्था की अधीनता में हमारी रखवाली होती थी, और उस विश्वास के आने तक जो प्रगट होने वाला था, हम उसी के बन्‍धन में रहे।
इसलिये व्यवस्था मसीह तक पहुंचाने को हमारा शिक्षक हुई है, कि हम विश्वास से धर्मी ठहरें।
परन्‍तु जब विश्वास आ चुका, तो हम अब शिक्षक के आधीन न रहे।
क्‍योंकि तुम सब उस विश्वास करने के द्वारा जो मसीह यीशु पर है, परमेश्वर की सन्‍तान हो।
और तुम में से जितनों ने मसीह में बपतिस्मा लिया है उन्‍होंने मसीह को पहिन लिया है।
अब न कोई यहूदी रहा और न यूनानी, न कोई दास, न स्‍वतंत्र, न कोई नर, न नारी; क्‍योंकि तुम सब मसीह यीशु में एक हो।
और यदि तुम मसीह के हो, तो इब्राहीम के वंश और प्रतिज्ञा के अनुसार वारिस भी हो।
एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह २७-२९
  • तीतुस ३