सोमवार, 8 नवंबर 2010

दुख में आनन्द

चित्रकला के थोड़े से ही सबक सीखने के बाद १० वर्षीय जोएल ने एक फूल का चित्र बनाने में अपना हाथ आज़माया। शारोन के गुलाब की रंगीन फोटो को देख कर उसने एक सुंदर चित्र बना लिया। जिस फोटो को देख कर जोएल ने चित्र बनाया था वह उसकी आन्टी के मृत्यु के दिन ली गई थी। जोएल की चित्रकला द्वारा वह फूल और उससे जुड़ी यादें परिवार के लोगों के लिये सजीव हो उठीं। एक तरफ तो जोएल का चित्र अपने निकट कुटुम्बी को खोने की याद दिला रहा था तो दूसरी तरफ जोएल की नयी प्रतिभा की पहिचान होने से परिवार को हर्ष भी था। यह परिवार के लिये दुख-सुख का मिला जुला अनुभव था, दुख में भी आनन्द की अनुभूति थी।

जब यहूदा के लोग ७० वर्ष की बाबुल की बन्धुआई से वापस यरुशलेम को लौटे तो उन्हों ने युद्ध मे ध्वस्त हो चुके मन्दिर के पुनः निर्माण का कार्य आरंभ किया। जब मन्दिर बन कर तैयार हो गया और उसके परमेश्वर को समर्पण का समय आया तो यह उपस्थित लोगों के लिये दुख और आनन्द दोनो ही की बात थी। कुछ तो आनन्द के गीत गा रहे थे तो कुछ, जिन्होंने पुराने मन्दिर, उसकी भव्यता और उसकी सुन्दरता को देखा था, पुरानी यादों के कारण ऊंची आवाज़ में विलप कर रहे थे। ऐसा माहौल हो गया था कि "... लोग, आनन्द के जय जयकार का शब्द, लोगों के रोने के शब्द से अलग पहिचान न सके..." (एज़रा ३:१३)।

मारथा, मरियम और लाज़र का अनुभव (यूहन्ना ११) दुख में भी भविष्य के आनन्द को दिखाता है। लाज़र की मृत्यु के कारण उसकी बहिनें मार्था और मरियम दुखी थीं, परन्तु "यीशु ने उस से कहा, पुनरूत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा। और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्‍त काल तक न मरेगा" (यूहन्ना ११:२५, २६)।

भारी दुख में भी हमारे प्रभु यीशु का अपने लोगों को दिया गया आश्वासन और उसकी शांति उसमें मिलने वाले अनन्त आनन्द की ओर हमारा ध्यान खींच कर हमें दुख पर विजयी करती है और निराश या हताश नहीं होने देती।

क्या आप के पास प्रत्येक परिस्थिति में उपलब्ध प्रभु यीशु की वह शांति है जो भारी दुख में भी अनन्त आनन्द को स्मरण दिलाती है? - डेनिस फिशर


जीवन के सबसे कठिन और अन्धकारमय समय में भी मसीही विश्वासी के पास सबसे स्थायी और उत्तम शांति होती है।

यीशु ने उस से कहा, पुनरूत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा। और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्‍त काल तक न मरेगा। - यूहन्ना ११:२५, २६

बाइबल पाठ: यूहन्ना ११:१९-२७

और बहुत से यहूदी मार्था और मरियम के पास उन के भाई के विषय में शान्‍ति देने के लिये आए थे।
सो मार्था यीशु के आने का समचार सुनकर उस से भेंट करने को गई, परन्‍तु मरियम घर में बैठी रही।
मार्था ने यीशु से कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता, तो मेरा भाई कदापि न मरता।
और अब भी मैं जानती हूं, कि जो कुछ तू परमेश्वर से मांगेगा, परमेश्वर तुझे देगा।
यीशु ने उस से कहा, तेरा भाई जी उठेगा।
मार्था ने उस से कहा, मैं जानती हूं, कि अन्‍तिम दिन में पुनरूत्थान के समय वह जी उठेगा।
यीशु ने उस से कहा, पुनरूत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा।
और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्‍त काल तक न मरेगा, क्‍या तू इस बात पर विश्वास करती है?
उस ने उस से कहा, हां हे प्रभु, मैं विश्वास कर चुकी हूं, कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आने वाला था, वह तू ही है।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह ४३-४५
  • इब्रानियों ५