रविवार, 21 नवंबर 2010

स्वर्ग - कल्पना से परे

एक मसीही कॉलेज के प्राध्यापक ने पाया कि उसके विद्यार्थी स्वर्ग के विष्य में सही विचार नहीं रखते और स्वर्ग को एक गतिहीन और उबाने वाला स्थान समझते हैं। तो उनकी कल्पना को उभारने और उनकी गलतफहमी को दूर करने के लिये उसने उनसे यह प्रश्न किये:
कैसे लगे कि आप जब कल सुबह उठें तो - आपको पता लगे कि जिससे आप सबसे अधिक प्रेम करते हैं, वह आपसे आपके प्रेम से भी कहीं अधिक प्रेम करता है? सुबह आप अपने मनपसन्द संगीत को सुनते हुए उठें और आपका रोम रोम आनन्द से भर जाए? हर नया दिन, नए आनन्द के साथ बिताने को मिले? किसी बात के लिये मन में कोई ग्लानि या कड़ुवाहट कभी न हो? हर नए दिन में अपने अन्दर सम्पूर्ण रूप से देख सकें और जो देखें वह सब भला ही हो? परमेश्वर को वायु और श्वास के समान अपने अन्दर बाहर व्याप्त पाएं? परमेश्वर से, और उसमें होकर दूसरों से सच्चे मन से प्रेम करने वाले हों?

प्राध्यापक के इन टटोलने वाले प्रश्नों के उत्तर में स्वर्ग की इस नई अनुभूति को पसन्द करने की सहमति सभी छात्रों ने जताई। यदि स्वर्ग ऐसा हो तो वे अवश्य वहां होना चाहेंगे; वास्तव में स्वर्ग तो इससे भी कहीं अधिक आकर्षक और रोमांचकारी स्थान होगा। हम सब की भी यही लालसा होगी कि ऐसे महिमामय स्थान में हम भी सदा रहने पाएं। वह एक अवर्णनीय आनन्द का स्थान है, जिसकी सबसे बड़ी बात है वहां सदा बनी रहने वाली स्वयं प्रभु यीशु की उपस्थिति। "परन्‍तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उस ने उन्‍हें परमेश्वर के सन्‍तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्‍हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं" (यूहन्ना १:१२) - और सन्तान अपने पिता के साथ पूरे आदर और अधिकार के साथ रहेगी।

प्रभु यीशु मसीह ने अपने चेलों से कहा "...मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूं। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूं, तो फिर आकर तुम्हें अपके यहां ले जाऊंगा, कि जहां मैं रहूं वहां तुम भी रहो।" (यूहन्ना १४:२, ३)।

क्या आपने प्रभु का निमन्त्रण स्वीकार किया है? क्या आप उसके साथ स्वर्ग में होंगे? - वेर्नन ग्राउंड्स


संसार के सर्वोतम सुखों की तुलना स्वर्ग के आनन्द से नहीं की जा सकती।

परन्‍तु जैसा लिखा है, कि जो आंख ने नहीं देखी, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ी वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखने वालों के लिये तैयार की हैं। - १ कुरिन्थियों २:९


बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य २१:१-८

फिर मैं ने नये आकाश और नयी पृथ्वी को देखा, क्‍योंकि पहिला आकाश और पहिली पृथ्वी जाती रही थी, और समुद्र भी न रहा।
फिर मैं ने पवित्र नगर नये यरूशलेम को स्‍वर्ग पर से परमेश्वर के पास से उतरते देखा, और वह उस दुल्हिन के समान थी, जो अपने पति के लिये सिंगार किए हो।
फिर मैं ने सिंहासन में से किसी को ऊंचे शब्‍द से यह कहते सुना, कि देख, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है, वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उन के साथ रहेगा, और उन का परमेश्वर होगा।
और वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं।
और जो सिंहासन पर बैठा था, उस ने कहा, कि देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं: फिर उस ने कहा, कि लिख ले, क्‍योंकि ये वचन विश्वास के योग्य और सत्य हैं।
फिर उस ने मुझ से कहा, ये बातें पूरी हो गई हैं, मैं अलफा और ओमिगा, आदि और अन्‍त हूं: मैं प्यासे को जीवन के जल के सोते में से सेंतमेंत पिलाऊंगा।
जो जय पाए, वही उन वस्‍तुओं का वारिस होगा, और मैं उसका परमेश्वर होऊंगा, और वह मेरा पुत्र होगा।
पर डरपोकों, और अविश्वासियों, और घिनौनों, और हत्यारों, और व्यभिचारियों, और टोन्‍हों, और मूतिर्पूजकों, और सब झूठों का भाग उस झील में मिलेगा, जो आग और गन्‍धक से जलती रहती है: यह दूसरी मृत्यु है।

एक साल में बाइबल:
यहेजेकेल १६-१७
याकूब ३