गुरुवार, 25 नवंबर 2010

पाप अंगीकार और धन्यवाद

एक इतवार की आराधना सभा में हमारी सारी मण्डली ने सामूहिक रूप से पाप अंगीकार की यह प्रार्थना करी: "अनुग्रहकारी परमेश्वर, अन्य कितने ही विश्वासियों के समान हम भी असन्तुष्ट होकर शिकायत करते हैं जब बातें हमारी इच्छा के अनुसार नहीं होतीं। हम भी, अपनी आवश्यक्ता के अनुसार नहीं वरन हर चीज़ बहुतायत से उप्लब्ध हो, चाहते हैं। हमारी भी इच्छा रहती है कि जिस स्थान पर आपने हमें रखा है, उसे छोड़कर हम कहीं और चले जाएं। जो आपने हमें दिया है वह नहीं परन्तु जो दूसरों को मिला है वह हमें मिले। हमारी इच्छा रहती है कि आप हमारी सेवा करते रहें, न कि यह कि हम आप की सेवा में लगे रहें। जो कुछ आपने हमें दिया और हमारे लिये किया, हमारा उसके लिये धन्यवादी न होने को कृप्या क्षमा करें।"

किसी का संपन्न होना कोई निशचितता नहीं है कि वह उसके लिये आभारी और धन्यवादी भी होगा। कई बार संपन्नता हमारे मन परमेश्वर से विमुख भी कर देती हैं। प्रभु यीशु ने चेलों को चिताया "...चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्‍योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता।" (लूका १२:१५)

जब निशकासित यहूदियों का एक समूह बाबुल की अपनी बन्धुआई से, नेहेमियाह के साथ वापस यरूशलेम का पुनःनिर्माण करने लौटा, तो लौटकर उन्होंने अपने और अपने पूर्वजों के पाप अंगीकार की प्रार्थना करी। उन्होंने प्रार्थना में कहा: "और हमारे राजाओं और हाकिमों, याजकों[पुरोहितों] और पुरखाओं ने, न तो तेरी व्यवस्था को माना है और न तेरी आज्ञाओं और चितौनियों की ओर ध्यान दिया है जिन से तू ने उनको चिताया था। उन्होंने अपने राज्य में, और उस बड़े कल्याण के समय जो तू ने उन्हें दिया था, और इस लम्बे चौड़े और उपजाऊ देश में तेरी सेवा नहीं की, और न अपने बुरे कामों से पश्चाताप किया।" (नेहेमियाह ९:३४, ३५)

परमेश्वर के सन्मुख पापों का अंगीकार और उनके लिये पश्चाताप करने वाले ही खरे और निर्मल मन से फिर उसकी सच्ची आराधाना भी कर सकते है। परमेश्वर ऐसे ही आराधाकओं को ढूंढ़ता है - "परन्‍तु वह समय आता है, वरन अब भी है जिस में सच्‍चे भक्त पिता का भजन आत्मा और सच्‍चाई से करेंगे, क्‍योंकि पिता अपने लिये ऐसे ही भजन करने वालों को ढूंढ़ता है। परमेश्वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसके भजन करने वाले आत्मा और सच्‍चाई से भजन करें।" (यूहन्ना ४:२३, २४)

पापों के लिये पश्चातापी और परमेश्वर के प्रति धन्यवादी तथा आज्ञाकारी मन, जीवन में परमेश्वर की आशीशों के भंडारों को भर देता है। - डेविड मैकैसलैंड


पश्चाताप, धन्यवादी होने के द्वार खोल देता है।

उस बड़े कल्याण के समय जो तू ने उन्हें दिया था, और इस लम्बे चौड़े और उपजाऊ देश में तेरी सेवा नहीं की, और न अपने बुरे कामों से पश्चाताप किया। - नेहेमियाह ९:३५

बाइबल पाठ: नेहेमियाह ९:३२-३७

अब तो हे हमारे परमेश्वर ! हे महान पराक्रमी और भययोग्य ईश्वर ! जो अपनी वाचा पालता और करुणा करता रहा है, जो बड़ा कष्ट, अश्शूर के राजाओं के दिनों से ले आज के दिन तक हमें और हमारे राजाओं, हाकिमों, याजकों, नबियों, पुरखाओं, वरन तेरी समस्त प्रजा को भोगना पड़ा है, वह तेरी दृष्टि में थोड़ा न ठहरे।
तौभी जो कुछ हम पर बीता है उसके विष्य तू तो धमीं है; तू ने तो सच्चाई से काम किया है, परन्तु हम ने दुष्टता की है।
और हमारे राजाओं और हाकिमों, याजकों और पुरखाओं ने, न तो तेरी व्यवस्था को माना है और न तेरी आज्ञाओं और चितौनियों की ओर ध्यान दिया है जिन से तू ने उनको चिताया था।
उन्होंने अपने राज्य में, और उस बड़े कल्याण के समय जो तू ने उन्हें दिया था, और इस लम्बे चौड़े और उपजाऊ देश में तेरी सेवा नहीं की, और न अपने बुरे कामों से पश्चाताप किया।
देख, हम आज कल दास हैं, जो देश तू ने हमारे पितरों को दिया था कि उसकी उत्तम उपज खाएं, उसी में हम दास हैं।
इसकी उपज से उन राजाओं को जिन्हें तू ने हमारे पापों के कारण हमारे ऊपर ठहराया है, बहुत धन मिलता है, और वे हमारे शरीरों और हमारे पशुओं पर अपनी अपनी इच्छा के अनुसार प्रभुता जताते हैं, इसलिये हम बड़े संकट में पड़े हैं।

एक साल में बाइबल:
  • यहेजेकेल २४-२६
  • १ पतरस २