शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010

खरा भंडारी

उष्ण जलवायु में पाया जाने वाला फल ’डूरियन’ फलों का राजा भी कहलाता है। या तो आप उसे बहुत पसन्द करेंगे या उसे बिलकुल नापसन्द करेंगे। जो उसे पसन्द करते हैं, वे उसे पाने के लिये हर प्रयास करने को तैयार रहते हैं, जो नापसन्द करते हैं वो उसकी तीखी गंध के कारण उसके पास भी नहीं जाना चाहते। मेरी पत्नी को डूरियन बहुत पसन्द हैं। हाल ही में, उसकी एक सहेली ने मेरी पत्नी से मिली सहायता के लिये आभार प्रकट करने के लिये मेरी पत्नी को सबसे अच्छे डूरियन फलों का एक डिब्बा भेंट किया। उस सहेली ने बड़ी मेहनत से यह सुनिश्चित किया कि उस डिब्बे का हर फल सर्वोत्म ही हो।

मैंने अपने आप से प्रश्न किया, "यदि हम अपने मित्र को सर्वोत्तम देने का प्रयास कर सकते हैं, तो प्रभु के प्रति इससे कम कैसे कर सकते हैं, जिसने अपना जीवन भी हमारे लिये दे दिया?"

प्रभु यीशु ने लूका १९ अध्याय में एक नीति-कथा दी - एक धनी पुरुष की जिसने विदेश जाने से पहले अपने १० दासों को अपने धन का भाग दिया और उनसे कहा कि इसे मेरे लौटने तक व्यापार में लगाओ। लौटने के बाद उसने प्रत्येक से हिसाब मांगा। जितनों ने उसके कहे अनुसार करके उसके धन का सदुपयोग किया था उन सब की उसने प्रशंसा करी और उन्हें ईनाम दिया, लेकिन एक दास ने उस धन को उपयोग नहीं किया और जैसा मिला था वैसा ही लौटा दिया, उसके स्वामी ने उसे ’दुष्ट’ कहा और दण्ड दिया।

इस नीति-कथा का मुख्य उद्देश्य है सिखाना कि जो सौंपा गया है उसका खरा भण्डारी भी होना है। परमेश्वर का खरा भण्डारी होने के लिये, परमेश्वर द्वारा दी गयी योग्यताओं और गुणों का, उसकी इच्छानुसार अपनी पूरी सामर्थ से सदुपयोग करना है। जैसी हमारी मेहनत होगी वैसा ही हमारा प्रतिफल भी होगा। खरा भण्डारी उत्तम प्रतिफल पाएगा और निकम्मा भण्डारी दण्ड पाएगा। हमारा नफा या नुकसान हमारे ही हाथों में है। - सी. पी. हिया


परमेश्वर द्वारा प्रदान योग्यताओं और गुणों का उचित उपयोग दूसरों की सेवा में करने से हम परमेश्वर ही की सेवा करते हैं।

इसलिये हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर बिनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ: यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है। - रोमियों १२:१

बाइबल पाठ: लूका १९:१२-२६

सो उस ने कहा, एक धनी मनुष्य दूर देश को चला ताकि राजपद पाकर फिर आए।
और उस ने अपने दासों में से दस को बुलाकर उन्‍हें दस मुहरें दीं, और उन से कहा, मेरे लौट आने तक लेन-देन करना।
परन्‍तु उसके नगर के रहने वाले उस से बैर रखते थे, और उसके पीछे दूतों के द्वारा कहला भेजा, कि हम नहीं चाहते, कि यह हम पर राज्य करे।
जब वह राजपद पाकर लौट आया, तो ऐसा हुआ कि उस ने अपने दासों को जिन्‍हें रोकड़ दी थी, अपने पास बुलवाया ताकि मालूम करे कि उन्‍होंने लेन-देन से क्‍या क्‍या कमाया।
तब पहिले ने आकर कहा, हे स्‍वामी तेरे मोहर से दस और मोहरें कमाई हैं।
उस ने उस से कहा, धन्य हे उत्तम दास, तुझे धन्य है, तू बहुत ही थोड़े में विश्वासी निकला अब दस नगरों का अधिकार रख।
दूसरे ने आकर कहा, हे स्‍वामी तेरी मोहर से पांच और मोहरें कमाई हैं।
उस ने कहा, कि तू भी पांच नगरों पर हाकिम हो जा।
तीसरे ने आकर कहा, हे स्‍वामी देख, तेरी मोहर यह है, जिसे मैं ने अंगोछे में बान्‍ध रखी।
क्‍योंकि मैं तुझ से डरता था, इसलिये कि तू कठोर मनुष्य है: जो तू ने नहीं रखा उसे उठा लेता है, और जो तू ने नहीं बोया, उसे काटता है।
उस ने उस से कहा, हे दुष्‍ट दास, मैं तेरे ही मुंह से तुझे दोषी ठहराता हूं: तू मुझे जानता था कि कठोर मनुष्य हूं, जो मैं ने नहीं रखा उसे उठा लेता, और जो मैं ने नहीं बोया, उसे काटता हूं।
तो तू ने मेरे रुपये कोठी में (लेन देन करने वालों के पास) क्‍यों नहीं रख दिए, कि मैं आकर ब्याज समेत ले लेता?
और जो लोग निकट खड़े थे, उस ने उन से कहा, वह मोहर उस से ले लो, और जिस के पास दस मोहरें हैं उसे दे दो।
(उन्‍होंने उस से कहा, हे स्‍वामी, उसके पास दस मोहरें तो हैं)।
मैं तुम से कहता हूं, कि जिस के पास है, उसे दिया जाएगा, और जिस के पास नहीं, उस से वह भी जो उसके पास है ले लिया जाएगा।

एक साल में बाइबल:
  • अमोस ७-९
  • प्रकाशितवाक्य ८