रविवार, 16 जनवरी 2011

अव्श्यंभावी

इटली में स्थित पीसा की झुकती मीनार का गिर जाना तय है। वैज्ञानिकों का कहना है कि १७९ फुट उंची यह मीनार हर साल अधिक और अधिक झुकती जा रही है और अन्ततः इतनी अधिक झुक जाएगी कि वह निकट स्थित उसी रेस्टोरेन्ट पर जा गिरेगी जहां बैठ कर अब वैज्ञानिक उसके संबंध में अपनी शोध के परिणामों पर विचार करते हैं। पीसा शब्द का अर्थ है ’दलदली भूमी’ और इससे पता चलता है कि क्यों अपने निर्माण के पूरा होने से पहले ही वह मीनार झुकना आरंभ हो गई थी।

हम यह तो जानते हैं कि कुछ वस्तुएं, जैसे पीसा की झुकती मीनार का गिर जाना अव्श्यंभावी है, लेकिन उन का क्या जिन्हें हम स्थिरता और अटलता की मिसाल मानते हैं, जैसे अमेरिका का गोल्डेन गेट पुल, मिस्त्र के विशाल पिरामिड, भूमध्य सागर स्थित जिब्रॉलटर की चट्टान और भारत के हिमालय पर्वत श्रंखला? पीसा की मीनार की तरह ये सब भी ’कमज़ोर नींव’ पर टिके हैं और परमेश्वर द्वारा पूर्वनिर्धारित समय पर टूट कर गिर जाएंगे।

परमेश्वर के उस दिन और तब होने वाले विनाश के बारे में संभवतः हम विशेष चिंतित न हों, क्योंकि हमें लगता है कि उस न्याय के दिन के आने से पूर्व ही हम इस पृथ्वी से कूच कर चुके होंगे। परन्तु परमेश्वर के न्याय का सामना तो प्रत्येक को करना ही होगा, उस दिन के आने पर चाहे वे जीवित हों अथवा मृत्युओपरांत।

पतरस की प्रतिक्रिया, इस अव्श्यंभावी विनाश के बारे में जानने के बाद, लापरवाही की नहीं थी। उसने इस बात से प्रेरित होकर एक ऐसे समाज के बारे में सोचा जो अनन्त काल तक न्याय और धार्मिकता की नींव पर स्थिर बना रहेगा, जब ये सब वस्तुएं नाश हो चुकी होंगी। उसने अपना जीवन उस स्थिर चट्टान - प्रभु यीशु मसीह पर अपना जीवन बनाया, जो कभी नहीं टलेगा।

आज आपका दृष्टिकोण आने वाले अव्श्यंभावी न्याय के विष्य में क्या है? आपके जीवन की नींव किस पर है, कहीं किसी अस्थिर बात अथवा विचार पर तो नहीं? - मार्ट डी हॉन


इस संसार में हमारा मुख्य उद्देश्य आने वाले संसार के बारे में रुचि जागृत करना है।

तो जब कि ये सब वस्‍तुएं, इस रीति से पिघलने वाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चाल चलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए? - २ पतरस ३:११


बाइबल पाठ: २ पतरस ३:१०-१८

परन्‍तु प्रभु का दिन चोर की नाईं आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़ी हड़हड़ाहट के शब्‍द से जाता रहेगा, और तत्‍व बहुत ही तप्‍त होकर पिघल जाएंगे, और पृथ्वी और उस पर के काम जल जाऐंगे।
तो जब कि ये सब वस्‍तुएं, इस रीति से पिघलने वाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चाल चलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए?
और परमेश्वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्‍न करना चाहिए? जिस के कारण आकाश आग से पिघल जाएंगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्‍त होकर गल जाएंगे।
पर उस की प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिन में धामिर्कता वास करेगी।
इसलिये, हे प्रियो, जब कि तुम इन बातों की आस देखते हो तो यत्‍न करो कि तुम शान्‍ति से उसके साम्हने निष्‍कलंक और निर्दोष ठहरो।
और हमारे प्रभु के धीरज को उद्धार समझो, जैसे हमारे प्रिय भाई पौलुस न भी उस ज्ञान के अनुसार जो उसे मिला, तुम्हें लिखा है।
वैसे ही उस ने अपनी सब पत्रियों में भी इन बातों की चर्चा की है जिन में कितनी बातें ऐसी है, जिनका समझना कठिन है, और अनपढ़ और चंचल लोग उन के अर्थों को भी पवित्र शास्‍त्र की और बातों की नाईं खींच तान कर अपने ही नाश का कारण बनाते हैं।
इसलिये हे प्रियो तुम लोग पहिले ही से इन बातों को जान कर चौकस रहो, ताकि अधमिर्यों के भ्रम में फंस कर अपनी स्थिरता को हाथ से कहीं खो न दो।
पर हमारे प्रभु, और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनुग्रह और पहचान में बढ़ते जाओ। उसी की महिमा अब भी हो, और युगानुयुग होती रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति ३९-४०
  • मत्ती ११