गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

ईर्ष्या की औषधि

इटली के पादुआ इलाके में एक चर्च में मध्यकालीन चित्रकार जियोटो द्वारा बनाया गया एक चित्र टंगा है। चित्रकार ने इस चित्र में "ईर्ष्या" को दिखाया है - उसके लम्बे लम्बे कान हैं जो किसी दूसरे की उपल्बधियों की सभी बातों की ओर लगे हैं, उसकी लम्बी सी ज़ुबान है, जो सांप की ज़ुबान के समान है जिससे वह अपने ईर्ष्या के पात्र की कीर्ति को विषाक्त करती है। लेकिन चित्र में एक अद्भुत बात भी दिखाई गई है - ईर्ष्य़ा की यह लम्बी सी ज़ुबान मुड़कर उसकी अपनी आंखों में घुसी हुई है, यह दिखाने के लिए कि न सिर्फ ईर्ष्या अन्धी होती है वरन वह अपना नुकसान भी खुद ही करती है।

सच है, ईर्ष्या और द्वेश से भरे मन से दुखी और अभागा और कोई नहीं हो सकता। ईर्ष्यालु व्यक्ति न केवल दूसरों की खुशियों को नाश करते हैं, वे दूसरों की उपल्ब्धियों को भी खराब करते हैं और अपनी ईर्ष्या में स्वयं ही जल जाते हैं।

ईर्ष्या उन पापों में से एक थी जो कुरिन्थुस के चर्च का नाश कर रही थी। उस चर्च के सदस्य एक दूसरे के आत्मिक वरदानों से डाह रखते थे, और वह मण्डली गुटों में विभाजित हो गई थी। हर कोई अपनी ही बड़ाई चाहता था। पौलुस ने उन्हें समझाया "...तुम बड़ी से बड़ी बरदानों की धुन में रहो! परन्‍तु मैं तुम्हें और भी सब से उत्तम मार्ग बताता हूं।" (१ कुरिन्थियों १२:३१) - प्रेम का मार्ग, क्योंकि " प्रेम धीरजवन्‍त है, और कृपाल है; प्रेम डाह नहीं करता; प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं।" (१ कुरिन्थियों १३:४)

यदि हम दूसरों की सफलता पर अप्रसन्न होते हैं, कुड़कुड़ाते हैं और उनपर लांछन लगाते हैं, उनकी बुराई करते हैं, तो हम "ईर्ष्या रोग" से ग्रसित हैं, जिससे चंगा होने की "प्रेम औषधि" परमेश्वर हमें देना चाहता है।

प्रेम ही वह औषधि है जो हमें "ईर्ष्या रोग" से बचा सकती है। - डेव एगनर


दूसरों पर छोड़े गए ईर्ष्या के बाण, स्वयं हमें ही घायल करते हैं।

क्योंकि मूढ़ तो खेद करते करते नाश हो जाता है, और भोला जलते जलते मर मिटता है। - अय्युब ५:२


बाइबल पाठ: गलतियों ५:१९-२६

Gal 5:19 शरीर के काम तो प्रगट हैं, अर्थात व्यभिचार, गन्‍दे काम, लुचपन।
Gal 5:20 मूर्ति पूजा, टोना, बैर, झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, विरोध, फूट, विधर्म।
Gal 5:21 डाह, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा, और इन के ऐसे और और काम हैं, इन के विषय में मैं तुम को पहिले से कह देता हूं जैसा पहिले कह भी चुका हूं, कि ऐसे ऐसे काम करने वाले परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे।
Gal 5:22 पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्‍द, मेल, धीरज,
Gal 5:23 और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई व्यवस्था नहीं।
Gal 5:24 और जो मसीह यीशु के हैं, उन्‍होंने शरीर को उस की लालसाओं और अभिलाषों समेत क्रूस पर चढ़ा दिया है।
Gal 5:25 यदि हम आत्मा के द्वारा जीवित हैं, तो आत्मा के अनुसार चलें भी।
Gal 5:26 हम घमण्‍डी होकर न एक दूसरे को छेड़ें, और न एक दूसरे से डाह करें।

एक साल में बाइबल:
  • १ शमूएल २५-२६
  • लूका १२:३२-५९