शनिवार, 21 मई 2011

सर्वोत्तम निवेदन

एक फारसी दार्शनिक से पूछा गया कि उसने इतना ज्ञान कैसे अर्जित किया? उसने उत्तर दिया, "मैंने घमंड को कभी अपने आड़े आने नहीं दिया; यदि मैं किसी चीज़ के बारे में नहीं जानता था तो बिना झिझके पूछ लिया करता था।"

जीवन निर्वाह करने के लिए हम सब को समझ-बूझ चाहिए। नवयुवक वयस्क होते समय सोचते हैं कि मैं अपने जीवन में क्या करूँ? वयस्क नौकरी, परिवार की ज़िम्मेदारियों तथा कई अन्य निर्णयों के बारे में सोचते हैं जिनके बहुत दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। अकसर हम परमेश्वर से समझ-बूझ इसलिए माँगते हैं कि उसके द्वारा हम धन और रुतबा अर्जित कर सकें। लेकिन हम परमेश्वर को झाँसा नहीं दे सकते; वह हमारी मनसा तथा उद्देश्य जानता है। जो उसका आदर करते हैं, उन्हें वह यह सब स्वतः ही दे देता है।

यद्यपि सुलेमान इस्त्राएल का राजा था, तौ भी उसे अपनी समझ-बूझ की सीमाएं स्वीकार करने में कोई हिचकिचाहट नहीं थी। लेकिन वह केवल सांसारिक ज्ञान पाने ही से संतुष्ट नहीं था, उसे ज्ञान से भी अधिक परमेश्वर की लालसा थी। जब परमेश्वर ने उससे पूछा कि तू क्या चाहता है कि मैं तुझे दूँ, तो सुलेमान ने परमेश्वर से केवल एक ही निवेदन किया; उसने माँगा कि परमेश्वर उसे अपनी प्रजा का खरा न्याय करने की सामर्थ और सदबुद्धि दे। परमेश्वर ने उसे न केवल यह सामर्थ दी वरन असीम दौलत, वैभव और आदर भी साथ में दे दिया।

हमें अपने हृदयों को टटोलने और परमेश्वर से ज्ञान तथा समझ-बूझ पाने के अपने वास्तस्विक उद्देश्य का उसके सामने अंगीकार करने की आवश्यक्ता है। जब हम अपनी प्राथमिकताएं सही निर्धारित कर लेंगे, तब हम परमेश्वर से याकूब १:५ में उसकी दी हुई प्रतिज्ञा "पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उस को दी जाएगी" को भी बेझिझक माँग सकते हैं।

यदि हमारी दिली इच्छा अपने जीवन से परमेश्वर का आदर करने की है, तो परमेश्वर से समझ-बूझ पाने के सर्वोत्तम निवेदन को करने में हमें कोई रुकावट नहीं। - डेनिस डी हॉन


वे ही बुद्धिमान हैं जो परमेश्वर को अपना गुरू बना लेते हैं।

अब मुझे ऐसी बुद्धि और ज्ञान दे, कि मैं इस प्रजा के साम्हने अन्दर-बाहर आना-जाना कर सकूं, क्योंकि कौन ऐसा है कि तेरी इतनी बड़ी प्रजा का न्याय कर सके? - २ इतिहास १:१०


बाइबल पाठ: २ इतिहास १:१- १२

2Ch 1:1 दाऊद का पुत्र सुलैमान राज्य में स्थिर हो गया, और उसका परमेश्वर यहोवा उसके संग रहा और उसको बहुत ही बढ़ाया।
2Ch 1:2 और सुलैमान ने सारे इस्राएल से, अर्थात सहस्रपतियों, शतपतियों, न्यायियों और इस्राएल के सब रईसों से जो पितरों के घरानों के मुख्य मुख्य पुरुष थे, बातें कीं।
2Ch 1:3 और सुलैमान पूरी मण्डली समेत गिबोन के ऊंचे स्थान पर गया, क्योंकि परमेश्वर का मिलाप वाला तम्बू, जिसे यहोवा के दास मूसा ने जंगल में बनाया था, वह वहीं पर था।
2Ch 1:4 परन्तु परमेश्वर के सन्दूक को दाऊद किर्यत्यारीम से उस स्थान पर ले आया था जिसे उस ने उसके लिये तैयार किया था, उस ने तो उसके लिये यरूशलेम में एक तम्बू खड़ा कराया था।
2Ch 1:5 और पीतल की जो वेदी ऊरी के पुत्र बसलेल ने, जो हूर का पोता था, बनाई थी, वह गिबोन में यहोवा के निवास के साम्हने थी। इसलिये सुलैमान मण्डली समेत उसके पास गया।
2Ch 1:6 और सुलैमान ने वहीं उस पीतल की वेदी के पास जाकर, जो यहोवा के साम्हने मिलाप वाले तम्बू के पास थी, उस पर एक हजार होमबलि चढ़ाए।
2Ch 1:7 उसी दिन रात को परमेश्वर ने सुलैमान को दर्शन देकर उस से कहा, जो कुछ तू चाहे कि मैं तुझे दूं, वह मांग।
2Ch 1:8 सुलैमान ने परमेश्वर से कहा, तू मेरे पिता दाऊद पर बड़ी करुणा करता रहा और मुझ को उसके स्थान पर राजा बनाया है।
2Ch 1:9 अब हे यहोवा परमेश्वर ! जो वचन तू ने मेरे पिता दाऊद को दिया था, वह पूरा हो; तू ने तो मुझे ऐसी प्रजा का राजा बनाया है जो भूमि की धूलि के किनकों के समान बहुत है।
2Ch 1:10 अब मुझे ऐसी बुद्धि और ज्ञान दे, कि मैं इस प्रजा के साम्हने अन्दर- बाहर आना-जाना कर सकूं, क्योंकि कौन ऐसा है कि तेरी इतनी बड़ी प्रजा का न्याय कर सके?
2Ch 1:11 परमेश्वर ने सुलैमान से कहा, तेरी जो ऐसी ही मनसा हुई, अर्थात तू ने न तो धन सम्पत्ति मांगी है, न ऐश्वर्य और न अपने बैरियों का प्राण और न अपनी दीर्घायु मांगी, केवल बुद्धि और ज्ञान का वर मांगा है, जिस से तू मेरी प्रजा का जिसके ऊपर मैं ने तुझे राजा नियुक्त किया है, न्याय कर सके,
2Ch 1:12 इस कारण बुद्धि और ज्ञान तुझे दिया जाता है। और मैं तुझे इतना धन सम्पत्ति और ऐश्वर्य दूंगा, जितना न तो तुझ से पहिले किसी राजा को, मिला और न तेरे बाद किसी राजा को मिलेगा।

एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास १३-१५
  • यूहन्ना ७:१-२७