बुधवार, 25 मई 2011

के बारे में जानना; को जानना

एक शाम को आई आंधी-बारिश के बाद मैंने आकाश में अति सुन्दर इन्द्रधनुष देखा, ऐसा जैसा मैंने पहले कभी नहीं देखा था। लेकिन जब मैंने उसका वर्णन अपनी पत्नि के सामने करना चाहा तो मैं बहुत कुण्ठित हो गया क्योंकि उसकी सुन्दरता बयान करने के लिए मुझे शब्द नहीं मिल रहे थे।

जो मैंने देखा उसे समझने के लिए मैंने ज्ञान के विश्वकोष में खोजा; वहाँ मुझे इन्द्रधनुष को समझाने वाले तथ्य मिले कि इन्द्र्धनुष तब बनता है जब प्रकाश के पानी की बून्दों में होकर निकलने से वह अपनी विभिन्न तरंगों में बिखर जाता है, प्रत्येक तरंग का रंग अलग होता है और इस कारण इन्द्रधनुष आकाश में एक रंगीन पट्टी दिखता है। विश्वकोष ने मेरे ज्ञान को तो बढ़ाया, लेकिन जो मैंने जाना वे केवल वैज्ञानिक तथ्य मात्र थे, इन तथ्यों में इन्द्रधनुष की सुन्दरता नहीं थी।

पतरस की दूसरी पत्री के पहले अध्याय में दो तरह के ज्ञान के बारे में बताया गया है। मूल युनानी भाषा में आत्मिक उन्नति के संबंध में, ५ और ६ पद में, लेखक जो शब्द प्रयोग करता है उसका तात्पर्य तत्व ज्ञान से है; किंतु पद २, ३ और ८ में आत्मिक उन्नति के संबंध में जो शब्द प्रयोग हुआ है उसका तात्पर्य मसीह के व्यावाहरिक और व्यक्तिगत ज्ञान से है। इन दोनो अलग अलग शब्दों का प्रयोग बताता है कि प्रभु के बारे जानना और प्रभु को जानना वैसे ही भिन्न हैं जैसे इन्द्रधनुष के बारे में जानना और उसकी सुन्दरता को जानना।

अय्युब ने भी इस भिन्नता को पहचाना, और उसने परमेश्वर से कहा, "मैंने कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आंखें तुझे देखती हैं" (अय्युब ४२:५)।

जैसे जैसे आप परमेश्वर के बारे में अपना ज्ञान बढ़ाते हैं, यह प्रयास भी कीजिए कि आप परमेश्वर को जानने वाले भी हो सकें। - मार्ट डी हॉन


सच्चा ज्ञान विश्वास से भरे हृदय से आरंभ होता है, तथ्यों से भरे दिमाग से नहीं।

परमेश्वर को किसी ने कभी नहीं देखा, एकलौता पुत्र जो पिता की गोद में हैं, उसी ने उसे प्रगट किया। यूहन्ना १:१८


यीशु ने उस से कहा; हे फिलप्‍पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूं, और क्‍या तू मुझे नहीं जानता? जिस ने मुझे देखा है उस ने पिता को देखा है। युहन्ना १४:९

बाइबल पाठ: २ पतरस १:१-११

2Pe 1:1 शमौन पतरस की और से जो यीशु मसीह का दास और प्रेरित है, उन लोगों के नाम जिन्‍होंने हमारे परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की धामिर्कता से हमारा सा बहुमूल्य विश्वास प्राप्‍त किया है।
2Pe 1:2 परमेश्वर के और हमारे प्रभु यीशु की पहचान के द्वारा अनुग्रह और शान्‍ति तुम में बहुतायत से बढ़ती जाए।
2Pe 1:3 क्‍योंकि उसके ईश्वरीय सामर्थ ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्‍ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिस ने हमें अपनी ही महिमा और सदगुण के अनुसार बुलाया है।
2Pe 1:4 जिन के द्वारा उस ने हमें बहुमूल्य और बहुत ही बड़ी प्रतिज्ञाएं दी हैं: ताकि इन के द्वारा तुम उस सड़ाहट से छूटकर जो संसार में बुरी अभिलाषाओं से होती है, ईश्वरीय स्‍वभाव के समभागी हो जाओ।
2Pe 1:5 और इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्‍न करके, अपने विश्वास पर सदगुण, और सदगुण पर समझ।
2Pe 1:6 और समझ पर संयम, और संयम पर धीरज, और धीरज पर भक्ति।
2Pe 1:7 और भक्ति पर भाईचारे की प्रीति, और भाईचारे की प्रीति पर प्रेम बढ़ाते जाओ।
2Pe 1:8 क्‍योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और बढ़ती जाएं, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचानने में निकम्मे और निष्‍फल न होने देंगी।
2Pe 1:9 और जिस में ये बातें नहीं, वह अन्‍धा है, और धुन्‍धला देखता है, और अपने पूर्वकाली पापों से धुलकर शुद्ध होने को भूल बैठा है।
2Pe 1:10 इस कारण हे भाइयों, अपने बुलाए जाने, और चुन लिये जाने को सिद्ध करने का भली भांति यत्‍न करते जाओ, क्‍योंकि यदि ऐसा करोगे, तो कभी भी ठोकर न खाओगे।
2Pe 1:11 वरन इस रीति से तुम हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनन्‍त राज्य में बड़े आदर के साथ प्रवेश करने पाओगे।

एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास २५-२७
  • यूहन्ना ९:१-२३