रविवार, 19 जून 2011

दृढ़ निश्चय

एक मसीही सेवक कुछ समय से एक चर्च में पास्टर का कार्य कर रहा था, लेकिन उसकी सेवकाई और मेहनत का कोई विषेश प्रभाव उसे चर्च की मण्डली में दिखाई नहीं दे रह था और वह निराश होने लगा। एक रात उसे एक स्वप्न दिखाई दिया जिसमें वह एक घन द्वारा एक भारी चट्टान को तोड़ने का प्रयत्न कर रहा है। घंटों की लगातार मेहनत और पूरी सामर्थ से किए गए प्रहारों के बावजूद उस चट्टान पर कोई प्रभाव दिखाई नहीं दिया, और थक कर उसने निराशा से कहा, "इसमें कोई फायदा नहीं, मैं इस काम को छोड़ रहा हूँ" और घन नीचे रखने लगा। तभी एक व्यक्ति उसके पास आकर खड़ा हो गया और उससे पूछा, "क्या तुम्हें इसी कार्य के लिए नियुक्त नहीं किया गया था? तुम क्यों अपनी ज़िम्मेवारी से मुँह मोड़ रहे हो?" सेवक ने उत्तर दिया, "श्रीमन, यह कार्य व्यर्थ है; इतनी मेहनत के बाद भी इस चट्टान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। अब क्यों और व्यर्थ इसमें अपनी ताकत और समय गवाऊँ?" व्यक्ति ने उत्तर दिया, "यह सब सोचना तुम्हारा कार्य नहीं है। जिसने तुम्हें यह ज़िम्मेदारी दी, वह इस सब के बारे में जानता है; उसे तुम्हारी योग्यता और सामर्थ भी पता है तथा इस चट्टान की मज़बूती भी। बस सौंपा गया कार्य करो भली-भाँति करो, परिणाम की चिंता मत करो। चलो निराशा छोड़ो और अपने काम में पुनः लग जाओ।" उस व्यक्ति के कहने से सेवक ने घन फिर से उठाकर उस चट्टान पर भरपूर प्रहार किया, अब कि बार के एक ही प्रहार से चट्टान टुकड़े टुकड़े होकर बिखर गई। वह चौंक कर जाग उठा; उसे मार्ग मिल गया था, वह अपने कार्य के लिए एक महत्वपूर्ण सबक अब सीख चुका था।

यदि परमेश्वर ने हमें किसी कार्य पर नियुक्त किया है, तो वह हमारी क्षमता और योग्यता तथा कार्य की आवश्यक्ताएं हम से बेहतर जानता है। उसके चुनाव और नियुक्ति में कोई गलती नहीं हो सकती, इसलिए निराश होकर उसके कार्य को अधूरा छोड़ देना हमारे लिए विकल्प कभी नहीं हो सकता। अपने जीवन की ’चट्टानें’ हमें लोहे से भी अधिक मजबूत लग सकती हैं, लेकिन हमें अपने प्रयास में लगे रहना हैं क्योंकि परमेश्वर के समय और विधि में वे अवश्य ही टूट जाएंगी। निराशा और हताश होकर हार मानवा लेना शैतान के हथियार हैं। ऐसा कोई मसीही सेवक नहीं है जिन्हें इन परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ा हो, लेकिन वे ही कामयाब हुए और उन्होंने ही प्रतिफल पाया, जो दृढ़ निश्चय और दृढ़ विश्वास के साथ परमेश्वर द्वारा सौंपे गए कार्य में सन्लग्न रहे।

जब हम निराश और असंभव प्रतीत होने वाली परिस्थितियों में हों, तो ऐसे में हमारे विश्वास का प्रमाण हमारा दृढ़ निश्चय के साथ कार्यरत रहना ही है। - डेनिस डी हॉन


दृढ़ता से कार्य पर डटे रहना केवल मज़बूत मनोबल से ही नहीं होता, वरन उसके साथ उतनी ही मज़बूती से निराशा का इनकार भी करना होता है।

हम भले काम करने में हियाव न छोड़े, क्‍योंकि यदि हम ढीले न हों, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे। - गलतियों ६:९


बाइबल पाठ: गलतियों ६:९-१८

Gal 6:9 हम भले काम करने में हियाव न छोड़े, क्‍योंकि यदि हम ढीले न हों, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे।
Gal 6:10 इसलिये जहां तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें; विशेष करके विश्वासी भाइयों के साथ।
Gal 6:11 देखो, मैं ने कैसे बड़े बड़े अक्षरों में तुम को अपने हाथ से लिखा है।
Gal 6:12 जितने लोग शारीरिक दिखावा चाहते हैं वे तुम्हारे खतना करवाने के लिये दबाव देते हैं, केवल इसलिये कि वे मसीह के क्रूस के कारण सताए न जाएं।
Gal 6:13 क्‍योंकि खतना कराने वाले आप तो, व्यवस्था पर नहीं चलते, पर तुम्हारा खतना कराना इसलिये चाहते हैं, कि तुम्हारी शारीरिक दशा पर घमण्‍ड करें।
Gal 6:14 पर ऐसा न हो, कि मैं और किसी बात का घमण्‍ड करूं, केवल हमारे प्रभु यीशु मसीह के क्रूस का जिस के द्वारा संसार मेरी दृष्‍टि में और मैं संसार की दृष्‍टि में क्रूस पर चढ़ाया गया हूं।
Gal 6:15 क्‍योंकि न खतना, और न खतनारिहत कुछ है, परन्‍तु नई सृष्‍टि।
Gal 6:16 और जितने इस नियम पर चलेंगे उन पर, और परमेश्वर के इस्‍त्राएल पर, शान्‍ति और दया होती रहे।
Gal 6:17 आगे को कोई मुझे दुख न दे, क्‍योंकि मैं यीशु के दागों को अपनी देह में लिये फिरता हूं।
Gal 6:18 हे भाइयो, हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम्हारी आत्मा के साथ रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल:
  • नहेम्याह १२, १३
  • प्रेरितों ४:२३-३७